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जन्मराशि के अनुसार करें ज्योतिर्लिंग की पूजा
देवाधिदेव महादेव ही सर्वशक्तिमान हैं। उनकी पूजा का विशेष महत्त्व है।
जानिए किन योगों में होती हैं रेल दुर्घटना ?
बालासोर ट्रेन दुर्घटना
23 ग्रैंडस्लैम खिताब जीतने वाले पहले पुरुष खिलाड़ी बने
नोवक जोकोविच ने रचा इतिहास
श्रीकालाहस्ती मन्दिर - यहाँ होती राहुकाल और कालसर्प की पूजा
तिरुपति शहर से करीब 35 कि.मी. दूर श्रीकालहस्ती गाँव में स्थित यह मन्दिर दक्षिण भारत में भगवान् शिव के तीर्थस्थलों में स्थित है।
कोरा जीवन कोरा ही रह गया!
अष्टमेश सूर्य का शनि-राहु द्वारा विशेष रूप से पीड़ित होना शारीरिक कष्ट और आत्महत्या की प्रवृत्ति का प्रबल संकेत भी दे रहा है। मरते समय रोहित बस यही कह रहा था 'कोरा जीवन, कोरा ही रह गया।'
अतीत में सहेजा पर्यावरण संस्कार
अतीत सदैव वर्तमान की धड़कनों में रचा-बसा होता है। वर्तमान में अतीत (इतिहास) की असंख्य पुरातात्विक सामग्री एवं विरासतें अपने अप्रतिम वैभव के साथ अपने आँचल में पर्यावरण को करीने से संजोए हुए हैं।
शनि के नकारात्मक प्रभाव और निवारण के उपाय
शनि के जन्मपत्रिका में नीच राशि में होने पर अथवा शनि की ढय्या अथवा साढ़ेसाती में शरीर में विशेषकर निचले हिस्से में (कमर से नीचे), हड्डी अथवा स्नायुतन्त्र से सम्बन्धित रोग हो जाते हैं।
भारतीय मूर्तिकला और योग
भगवान् शिव एवं श्रीकृष्ण योग और योगियों के प्रधान योगाचार्य माने जाते हैं। योगी शिव को अपने भीतर देखते हैं, प्रतिमाओं को नहीं। प्रतिमा तो भावना करने के लिए निर्माण की गई है।
नाड़ियों के शुद्धीकरण का सटीक तरीका है अनुलोम-विलोम एवं भस्त्रिका
इस प्राणायाम के अभ्यास से नाड़ियों का शुद्धीकरण होता है, अतः इसे नाड़ीशोधन इ कहते हैं।
क्यों जरूरी है कुलदेवी का आशीर्वाद?
विषय बहुत महत्त्वपूर्ण है...
अनोखा भविष्यवक्ता!
कभी-कभी जीवन में ऐसी घटनाएँ घटित हो जाती हैं, जिन्हें देखकर हमें आश्चर्यचकित होना पड़ता है...
शक्ति का प्रतीक 'देवी दुर्गा'
यह उत्सव राजा कंसनारायण ने अपने क्षेत्र राजाशाही (बंगाल) प्रान्त के ताहिरपुर में आयोजित किया था। कहा जाता है कि तभी से दुर्गा पूजा को विशेष लोकप्रियता मिली। इनकी पूजा पद्धति को 'कंसनारायण पद्धति' कहा जाता है।
कर्नाटक में कांग्रेस के नए सितारे डी.के.शिवकुमार
कर्नाटक में कांग्रेस की बड़ी जीत में जिन प्रमुख नेताओं की भूमिका अहम मानी जा रही है, उनमें डी.के. शिवकुमार भी शामिल हैं।
कर्नाटक में कांग्रेस की जीत - क्या कहते हैं राहुल-प्रियंका के सितारे?
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत की एक बड़ी वजह राहुल- प्रियंका दोनों की कड़ी मेहनत मानी जा रही है।
सांस्कृतिक एकता का प्रतीक पुरी की रथयात्रा
नारद ने ही श्रीभगवान् से प्रार्थना की कि हे भगवान् आप चारों के जिस महाभाव में लीन मूर्तिस्थ रूप में मैंने दर्शन किए हैं, वह सामान्यजनों के दर्शन हेतु पृथ्वी पर सदैव सुशोभित रहें और महाप्रभु ने 'तथास्तु' कह दिया।
आयुर्वेद के अनुसार आरोग्य हेतु अनुकूल रत्न का चयन
भारतीय ज्योतिष में रत्नों का विशेष महत्त्व है। कुल 84 रत्न और उपरत्न हमें पृथ्वी और समुद्र के गर्भ से प्राप्त होते हैं, जिनका मानव जीवन पर गहरा प्रभाव है।
देवताओं का मिलन-पर्व है कुल्लू दशहरा
कुल्लू दशहरा में रामलीला का मंचन नहीं होता वरन् पालकियों में सजे-धजे देवी-देवता पधारते हैं, जो भगवान् श्री रघुनाथ जी की रथयात्रा में शामिल होते हैं।
अखण्ड सुहाग की कामना का पर्व - वटसावित्री अमावस्या
वटसावित्री का पर्व विवाहिताओं के लिए अखण्ड सुहाग की कामना का द्योतक है। सीता और सावित्री की संस्कृति वाले देश में वट अमावस्या स्त्रियों के अदम्य साहस को भी दर्शाती है।
नमामि पुण्य-निर्झरिणी
गुप्तकालीन स्थापत्य कला में गंगा-यमुना अपने कर (हाथ) में पूर्ण कुम्भ के स्थान पर चँवर के साथ प्रदर्शित हैं। इन नदी मूर्तियों के चामरधारी मानवीय स्वरूप की कल्पना कुमारसम्भव में भी प्राप्य है।
न्याय के पोषक हैं शनिदेव
शनि, न्याय के देव हैं, लेकिन उनके बारे में कई तरह की शंकाएँ मन में रहती हैं। उन्हें 'क्रूर' तक कहा जाता है।
सारनाथ दिखाता है महात्मा बुद्ध का सामाजिक पहलू
जीवन में दो अतियाँ हैं: एक इन्द्रिय सुख और विलासिता की अति और दूसरी जीवन से विरक्ति एवं आत्मदमन की अति। तुम्हें इन दोनों ही अतियों से बचकर मध्यम मार्ग का चुनाव करना है।
मेरी लाठी मेरे सिर पर ही बरसी
सफल होने पर मनुष्य की मेहनत जिम्मेदार होती है और असफल होने पर वह भाग्य को जिम्मेदार मानता है जबकि भाग्य कर्म का ही परिणाम है।
सोलह संस्कारों की वैज्ञानिकता और माहात्म्य
सनातन हिन्दू धर्म एक शाश्वत और प्राचीन धर्म है। यह एक वैज्ञानिक और विज्ञान आधारित धर्म होने के कारण निरन्तर विकास कर रहा है।
जानें शनि-मंगल-केतु कैसे निर्मित करते हैं तकनीकी गुरु योग!
जब मंगल, शनि एवं केतु का सम्बन्ध आपस में बन रहा हो, दृष्टि से देख रहे हों अथवा मंगल शनि की राशि में हो और शनि मंगल की राशि को देख रहे हों और केतु शनि पर अथवा मंगल पर अपनी दृष्टि डाल रहा हो, तब यह योग निर्मित होता है।
एक रहस्यमयी दशा: शुक्र में शनि की दशा और शनि में शुक्र की दशा!
चन्द्रमा की लग्न कर्क में तथा सूर्य की लग्न सिंह में शुक्र और शनि केन्द्रेश होते हैं तथा अपनी दशा-अन्तर्दशा में विशेष उन्नतिकारक नहीं होते। सामान्यतः इनका विपरीत फल प्राप्त होता है।
श्रीगुरुगीता (भाग-18)
सद्गुरु के निवास से न केवल वह आश्रम या पीठ ही शुद्ध या पवित्र होती है, वरन् वह सम्पूर्ण प्रदेश भी पवित्र और ऊर्जावान् बन जाता है।
और उस योगी ने मृत चिड़िया को जीवित कर दिया....
मन और मस्तिष्क की शक्ति अपरम्पार है। मन की गति अति तीव्र होती है; प्रकाश की गति से भी तीव्र।
अन्य ग्रहों पर जीवन की सम्भावना!
आकाशगंगा
शुक्र और शनि के फल
कैसे करें सटीक फलादेश (भाग-189) कुम्भ लग्न के अष्टम भाव में स्थित
शंकर के अंशावतार आदि गुरु शंकराचार्य
आद्यगुरु श्री शंकराचार्य जयन्ती (25 अप्रैल, 2023) पर विशेष