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बायोचार: स्वस्थ मृदा का आधार ( भूमि के लिए काला सोना )
Modern Kheti - Hindi
|15th June 2023
आजादी के समय आधुनिक तकनीकियों की कमी के कारण खेती से बहुत ही कम अनाज उत्पादित होता था, इसलिए खाने के लिए अनाज विदेशों से मंगाया जाता था फिर जनसंख्या में तेजी से वृद्धि हुई और अनाज की और भी ज्यादा कमी महसूस होने लगी जिसके कारण नई किस्मों का प्रवेश, जन्म हुआ और अनाज उत्पादन में अत्याधिक वृद्धि हुई जिसका मुख्य कारण नई किस्मों का प्रवेश, आधुनिक तकनीकियों का समायोजन तथा कृषि में रासायनिक पदार्थों का उपयोग रहा।
हरित क्रांति में रसायनों की मुख्य भूमिका रही। हरित क्रांति के दौरान रसायनिक खादों एवं गुणवत्ता बीज के कारण फसल उत्पादन में अत्याधिक वृद्धि हुई। यह देखने में आया कि कृषि में रासायनिक श्रोतों का प्रयोग अंधाधुंध होने लगा, जिससे पर्यावरण प्रदूषित तथा भूमि की उर्वरा शक्ति का हास् होने लगा जो आज तक निरंतर जारी है जो मानव स्वास्थ्य के साथ-साथ सभी जीवों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है। कृषि में रासायनिक उर्वरक, खरपतवार नाशी, कीटनाशी व रोगनाशकों के अत्याधिक प्रयोग से भूमि की विषाक्तता बढ़ गई जिससे बहुत से लाभदायक जीवाणु मर गए तथा भूमि अनुपजाऊ होती गई। मानव के स्वास्थ्य पर दूषित खाद्य पदार्थों के सेवन के कारण भारी प्रभाव पड़ रहा है। बहुत सी बीमारियों को इंसानों ने खुद न्योता दिया है। इनके उपयोग से तथा पशुओं को दूषित चारा खिलाने से इनके दूध उत्पादन में कमी के साथ बांझपन जैसी समस्या नजर आई है। ये ऐसी समस्याएं हैं जो और भी गंभीर होती जा रही हैं। लेकिन अब इस मृदा उर्वरता में स्थिरता आ गई चाहे जितने महंगे उर्वरक किसान इस्तेमाल करें। एक तथ्य यह भी है कि भूमि की उर्वरा शक्ति की कमी के कारण किसान उत्पादन बढ़ाने के लिए महंगे से महंगे कृषि रसायनों का प्रयोग कर रहे हैं जिसके कारण किसानों की आर्थिक स्थिति डांवाडोल होती नजर आ रही है। क्योंकि भूमि में कार्बनिक पदार्थों की मात्रा कम हो गई है। अगर रासायनिक खादों की वजह से उत्पादन बढ़ता तो अब तक बढ़ता रहता परन्तु अब यह वृद्धि नहीं हो रही है। इन सब बातों को ध्यान में रखा जाए तो एक ही बात सामने आती है और वो यह हैं कि फसल उत्पादन में वृद्धि संभव है यदि भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ा ली जाए तो और वो केवल बढ़ सकती है भूमि में कार्बनिक पदार्थों की मात्रा बढ़ाने से। अगर भूमि में कार्बनिक पदार्थों की मात्रा में वृद्धि होगी तो निश्चित रूप से फसल उत्पादन अपने आप बढ़ेगा। कार्बनिक पदार्थों में वृद्धि से सूक्ष्म जीवों की मात्रा में इजाफा होगा जो आवश्यक पोषक तत्व पौधे को उपलब्ध कराएंगे। लेकिन अब फसल में कई पोषक तत्वों की कमी होती जा रही है। वह इसलिए है क्योंकि मृदा में कार्बनिक पदार्थों और लाभदायक सूक्ष्म जीवों की कमी हो रही है।
Esta historia es de la edición 15th June 2023 de Modern Kheti - Hindi.
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