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रूस को समझने से इन्कार करता अमेरिका
Dainik Jagran
|May 29, 2025
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को 'पागल' कह दिया, क्योंकि वह यूक्रेन पर हमले रोक नहीं रहे।
ट्रंप संभवतः रूसियों का चरित्र नहीं जानते और न ही उनका इतिहास। किसी अमेरिकी द्वारा युद्ध को अपवाद की तरह लिया जाता है। यह स्वाभाविक है, क्योंकि अमेरिका ने कभी विदेशी कब्जा नहीं झेला। द्वितीय विश्व युद्ध और वियतनाम युद्ध, दोनों में मिलाकर ही पांच लाख अमेरिकी सैनिक मारे गए थे। उसी से अमेरिकी काफी खिन्न हुए थे। इसके विपरीत रूस का इतिहास युद्धों से भरा हुआ है। अमेरिकी इतिहासकार प्रोफेसर ग्रेगोरी कार्लटन ने अपनी पुस्तक 'रशियाः द स्टोरी आफ वार' में सदियों के रूसी इतिहास का आकलन किया है। रूसियों ने अनेक युद्ध झेले हैं। केवल द्वितीय विश्व युद्ध में ही दो करोड़ से अधिक रूसी मारे गए थे। हिटलर ने सचमुच रूसियों को खत्म कर देने के लिए ही लेनिनग्राद पर घेरा डाला था। उस युद्ध में पांच साल में रूस की लगभग संपूर्ण युवा पुरुष आबादी के तीन चौथाई का सफाया हो गया था। उसके पूर्व प्रथम विश्व युद्ध, कम्युनिस्ट क्रांति और गृहयुद्ध में भी छह-सात वर्षों में एक करोड़ रूसी मारे गए, जबकि रूस की कुल आबादी ही 18 करोड़ थी। इसके पहले 1812 में नेपोलियन की विशाल सेना ने मास्को को जलाकर राख कर दिया था। वह सेना तब तक के यूरोपीय इतिहास की सबसे बड़ी थी। लियो टालस्टाय की कालजयी कृति ‘वार एंड पीस' उसी पृष्ठभूमि में लिखी गई, जिसे विश्व का महानतम उपन्यास माना जाता है। उससे पहले 13वीं सदी में मंगोलों और तातारों ने कितने ही रूसी नगरों का विनाश कर दिया था। मंगोलों ने रूस पर 15वीं सदी के अंतिम चरण तक बहुत लंबे समय तक शासन किया। हारने के बाद भी मंगोल क्रीमिया पर छापे मारते रहते थे। उन्होंने भी दो बार मास्को को जलाया और रूसियों को गुलाम बनाकर अरब देशों और तुर्किये के बाजारों में बेचा। इसलिए रूसी
This story is from the May 29, 2025 edition of Dainik Jagran.
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