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प्रशांत किशोर का पैंतरा
DASTAKTIMES
|August 2024
पीके राजनीतिक सलाहकार के रूप में जाने जाते हैं, हालांकि राजनेता के रूप में जदयू में रहे, लेकिन बहुत दिनों तक नीतीश कुमार के साथ नहीं चल सके। नीतीश ने पीके को जदयू का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया था। तब उनकी पार्टी में नंबर दो की हैसियत थी। बाद में जदयू से किनारे लगा दिए गए। अब वे पूरी तरह से एक राजनेता के रूप में लोगों के सामने आने को तैयार हैं।
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बिहार विधानसभा चुनाव में अभी भले ही डेढ़ साल का समय है, लेकिन इसकी तैयारी में राजनीतिक दल अभी से जुट गए हैं। इससे पहले बिहार में एक नए राजनीतिक दल का जन्म होने वाला है। यह दल निश्चित ही नए समीकरण पैदा करेगा।
सिर्फ बिहार ही नहीं आने वाले समय में पूरे देश में इसकी चर्चा जोर-शोर से चल रही है। इसके कर्ता-धर्ता राजनीतिक सलाहकार व जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर (पीके) हैं। वे नई पार्टी का गठन जल्द ही करने वाले हैं। इस नाम जन सुराज होगा या कुछ और, अभी कहा नहीं जा सकता, लेकिन इसकी चर्चा लंबे समय से चल रही है।
यह बात वह कई बार इशारों में कह चुके हैं। हाल में मीडिया को दिए इंटरव्यू में वे यह साफ कर चुके हैं कि बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव उनकी ओर से लड़ा जाएगा। यह साफ है कि वे यह चुनाव अपनी पार्टी के बैनर तले लड़ेंगे। बीते वर्ष गांधी जयंती पर पीके ने जन सुराज के तहत पूरे बिहार के लिए पदयात्रा की शुरुआत की थी। इसके एक साल पूरे होने पर पार्टी की घोषणा की संभावना है।
पदयात्रा की शुरुआत उन्होंने पश्चिम चंपारण के भितिहरवा गांधी आश्रम से की थी। चंपारण सत्याग्रह के दौरान गांधी जी यहां रुके थे। इसके जरिए वे संदेश देना चाहते हैं कि वे गांधी के आदर्शों पर काम करने वाले हैं। इससे पहले वे राज्य में अपनी राजनीतिक ताकत का एहसास करा चुके हैं।
एमएलसी चुनाव में सारण से समर्थित प्रत्याशी अफाक अहमद को जीत दिला चुके हैं। प्रशांत किशोर के राजनीतिक दल बनाने की घोषणा के बाद से कोई इन्हें भाजपा की बी टीम बता रहा तो कोई कुछ और।
किसको नुकसान, किसे फायदा This story is from the August 2024 edition of DASTAKTIMES.
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