Try GOLD - Free
इन्सटेन्ट राखी कितनी सही कितनी गलत?
Sadhana Path
|August 2023
रक्षा बंधन का त्योहार बहुत खूबसूरत रिश्ते में पिरोया हुआ पर्व है। भारत वो देश है जहां इस पर्व की नींव पड़ी। देवताओं से लेकर इंसानों तक ने इस पर्व को खास माना है। इन्द्र की पत्नी ने इन्द्र की रक्षा के लिए विष्णु को, द्रोपदी ने श्रीकृष्ण को, सिकंदर की पत्नी रुकसाना ने राजा पुरु को, हुमायूं को मेवाड़ की रानी कर्मवती ने राखी बांधी थी। राखी तब भी खास थी आज भी खास है और आगे भी रहे।

राखी वही है उसका महत्त्व वही, पर बदला है तो उसका स्वरूप। आइए जानने का प्रयास करें कैसे?
राखी का रूप
पहले समय में राखी हर बहन अपने भाई के लिये खुद बनाती थी। लाल चुनरी कपड़े में राई नमक की पोटली बनायी जाती थी। जिसको कलावे से बांधकर राखी का आकार दिया जाता था भाई की कलाई पर बांधने के लिए। लाल रंग का कपड़ा शुभता का प्रतीक होता था उसमें बंधी नमक, राई भाई को बुरी नजर से बचाने का कार्य करती थी कलावे की धागे में बंधी गांठें भाई बहन के रिश्ते को मजबूती देती थी। इन्द्रा मंत्री का कहना है कि 'मुझे आज भी याद है कि हमारी माता जी विद्यावती जी घर का सारा कार्य करके रात में अपने दोनों भाइयों के लिए राखी अपने हाथों से बनाती थी राखी बनाते समय वो इतने सुन्दर भावपूर्ण गाने गाती थी जो आज भी जुबान पर आते हैं तो आंखें नम हो जाती हैं। उनकी बनाई राखी अपने प्यार को झलकाती थी उनकी राखी का अलग ही रंग होता था' जी हां सही तो है पर आज राखी का स्वरूप बदल चुका है। हाथ से बनी राखी लुप्त हो गयी है आज बाजार में एक नहीं अनेक तरह की राखी है जैसे चंदन राखी, कार्टून रखी, म्यूजिकल राखी, जरी राखी, नेट राखी, रेशमी राखी, रुद्राक्ष राखी, स्टोन राखी, मेटल राखी, राखी स्टोन वाली, ब्रेसलेट राखी, भगवान की मूर्ति वाली राखी, सोने, चांदी, डायमंड से बनी राखी आज बाजार में मिलती है। अनुरिमा जौहरी कहती हैं 'जब बाजार में ही इतनी वैरायटी और कम दानों पर ही राखी मिल जाती है तो फिर हाथों से राखी बनाने में समय क्यों गंवाया जाये फिर घर की बनी राखी में वो बात नहीं आ पाती और मेरे भाई को तो राखी में भी हर साल वैरायटी चाहिए इसलिए मैं एक नहीं कई राखी खरीदती हूं उसके लिये फिर जो उसको पंसद आती है वही बांधती हूं उसको'।
निष्कर्ष
This story is from the August 2023 edition of Sadhana Path.
Subscribe to Magzter GOLD to access thousands of curated premium stories, and 10,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
MORE STORIES FROM Sadhana Path
Sadhana Path
विवेकशील ज्ञान को विकसित करें
दुख ईश्वर का काम नहीं है, बल्कि शैतान की माया की शक्ति अर्थात् भ्रम का कार्य है।
2 mins
September 2025
Sadhana Path
मन और रचनात्मकता का प्रतीक-चंद्र ग्रह
चन्द्र यानी सोम, चन्द्रमा जो की नव ग्रहों में से एक है, चंद्र एक बहुत सुंदर व युवा ग्रह है।
10 mins
September 2025

Sadhana Path
कौन कहता है नहीं मिलता है बेटी के हाथों मोक्ष
जब मैंने तय किया कि मैं बिहार जाऊंगी, तो बहुत से लोगों का एक ही प्रश्न था, 'तुम्हें और कोई जगह नहीं मिली ?' राजधानी जैसी ट्रेन में भी किसी ने मुझे यह नहीं भूलने दिया कि मैं बिहार जा रही हूं और उससे बड़ी बात अकेली जा रही हूं। जाने से पहले मिलने वाली ढेर सारी नसीहतें और सफर के दौरान गुंडागर्दी के तमाम किस्से सुनते हुए जब मैंने छोटे से शहर 'गया' की जमीन पर कदम रखा, तो मन ही मन प्रार्थना दोहरा दी कि मैं सही-सलामत लौट आऊं। बिहार राज्य का छोटा सा शहर 'गया' पिंडदान और तर्पण के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है। लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि यहां उन मृतात्माओं को भी शांति और मोक्ष प्राप्त होता है, जिनके पुत्र नहीं हैं। आम धारणा है कि पुत्र यदि यह कर्म करें, तो ही माता-पिता को मोक्ष प्राप्त होगा। इस मान्यता के चलते कई परिवारों में यह कर्म ताऊ या चाचा के बेटों से कराया जाता है। जब हम विष्णुपद (पिंडदान यहां किए जाते हैं) पहुंचे, तो कई पिंडदानी (स्थानीय लोग पिंडदान करने वालों को यही कहते हैं) मौजूद थे। कर्म करा रहे शास्त्री जी ने बताया कि श्राद्ध सिर्फ कर्म ही नहीं श्रद्धा का प्रतीक भी है, इसलिए स्त्री हो या पुरुष जिसके मन में बड़ों के लिए श्रद्धा हो यह कर्म कर सकता है। गया में पितृपक्ष के दौरान ऐसा जनसैलाब उमड़ता है कि लगता है कहीं कुंभ का मेला ही लगा हुआ है। खुद के
5 mins
September 2025
Sadhana Path
हर हाल में मस्त रहिए
जिदा रहने के लिए भोजन जरूरी है।
2 mins
September 2025

Sadhana Path
आंखों के रोग तथा उपचार
आंखें सृष्टि की सुंदरता को देखने का एकमात्र साधन है जो मनुष्य का सबसे नाजुक अंग हैं। इसके प्रति लापरवाही न बरतें। दिये गये उपायों को आजमाएं और अपनी आंखों को स्वस्थ व सुंदर बनाएं।
3 mins
September 2025

Sadhana Path
रामलीला का इतिहास
यद्यपि रामलीला का प्रदर्शन 1200 ई. से होना आरम्भ हो गया था, संस्कृत राजसी और संभ्रांत भाषा होने के कारण यह राज प्रासादों और धनाढ्य लोगों के यहां ही प्रदर्शित होती थी।
2 mins
September 2025

Sadhana Path
श्राद्ध की महिमा और महत्त्व
श्राद्ध की महिमा के बारे में पुराणों में भी उल्लेख पढ़ने को मिलता है। पितृ ऋण से मुक्ति के लिए श्राद्ध करना अति महत्त्वपूर्ण बताया गया है। लेख से विस्तार पूर्वक जानें श्राद्ध की महिमा, उसका अर्थ व उससे होने वाले लाभों के बारे में।
10 mins
September 2025
Sadhana Path
वास्तु अनुसार करें भगवान गणेश की मूर्ति स्थापना ?
घर में गणेश जी की मूर्ति स्थापित करते समय हमें दिन, दिशा, स्थान आदि बातों का ध्यान रखना चाहिए। क्या है सही नियम ? आइए विस्तारपूर्वक जानें इस लेख से।
2 mins
September 2025

Sadhana Path
शक्ति उपासना का एक स्वरूप यह भी
हिन्दू संस्कृति में परब्रह्म को शिव-शक्ति का संयुक्त रूप माना गया है।
6 mins
September 2025

Sadhana Path
रामनगर की रामलीला
आज रामलीला के मंचन में काफी बदलाव हुआ है। रामलीलाएं आज जहां आधुनिक हुई हैं, वहीं पर वाराणसी में रामनगर की रामलीला आज भी अपने पुराने रूप में कायम हैं। आइए जानें राम नगर की रामलीला की कहानी।
4 mins
September 2025
Translate
Change font size