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गांव के खजाने की खोज
Champak - Hindi
|August First 2024
अनन्या ने ज्यों ही बस की खिड़की से बाहर का दृश्य देखा, उस की आह निकल गई.
 "हम लगभग वहां पहुंच चुके हैं,” सामने की सीट पर बैठी दादीमां ने कहा.
एक बार फिर चंद्रपुर गांव के एक नीरस मानसून के बारे में सोच कर अनन्या का दिल बैठ गया, क्योंकि उस के दोस्त शहर में मानसून के रोमांच का आनंद ले रहे थे.
डगमगाती बस आखिरकार रुकी तो दादीमां ने अपने बैग इकट्ठा किए. “आओ, प्रिय," उन्होंने गंदगी भरे रास्ते पर चलते हुए कहा. छोटी ईंटों से बने मकानों के समूह को उन्होंने देखा. महिलाएं रंगीन कपड़े पहन कर बाहर बातें कर रही थीं, जबकि बच्चे कंचे खेल रहे थे.
जब वे एक घर के पास पहुंचे तो अनन्या का हमउम्र एक लड़का ऊपर से उन्हें देख रहा था. "आप का स्वागत है दादीमां,” उस ने आवाज लगाई. अनन्या को देख कर वह गर्मजोशी से मुसकराया, "हैलो, मै रोहन हूं. मैं तुम्हें यहां चारों तरफ गांव और जंगल दिखाऊंगा."
रोहन के मन में उस के लिए प्रसन्नता का भाव था. वह गांव में अपने इसी प्रेमी स्वभाव के लिए जाना जाता था. अनन्या उसे तुरंत पसंद करने लगी. एक दोपहर उस ने अपनी हमउम्र लड़की मीरा का उस से परिचय कराया.
"हैलो," मीरा मुसकराते हुए बोली.
हैलो प्रकृति से बहुत प्यार करती थी और अपनी नोटबुक में जानवरों और पौधों के चित्र बनाती थी.
रोमांच के कार्यों के लिए उन की अद्भुत तिकड़ी बन गई. एक दिन अनन्या ने सुझाव दिया, “क्यों न हम जंगल में और अंदर जाएं? शायद हमें कोई अद्भुत चीज मिल जाए.” रोहन और मीरा की आंखें चमक उठीं और उन्होंने उत्सुकता से सिर हिलाया.
जंगल में घुसते ही वे कुछ दूर तक आगे बढ़े और अचानक रुक गए. एक विशाल बरगद का पेड़ उन के सामने खड़ा था, जिस की जड़ें सांप की तरह जमीन पर ऐंठन लिए फैली थीं. अनन्या को पुराने मुड़े हुए पेड़ के तने के अंदर पुराने कागज की तुड़ीमुड़ी एक शीट मिली और उस ने इसे सावधानी से खोला.
इस में अजीब नमूने थे, पेड़ों के चित्र, एक पुरानी इमारत के साथ एक पहाड़ी और रेखाएं जो एक पथ को चिन्हित करती प्रतीत होती थीं.
"यह एक नक्शा है,” रोहन ने कहा. "मुझे लगता है कि यह जंगल में एक खुली जगह की तरफ इशारा कर रहा है, लेकिन मैं ने इसे खुद कभी नहीं देखा है."

This story is from the August First 2024 edition of Champak - Hindi.
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