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सूत्रकृमि जांच के लिए विभिन्न फसलों में मिट्टी से नमूना लेने की विधियां व उनका महत्व

Modern Kheti - Hindi

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1st April 2025

परिचय : सूत्रकृमि अथवा नेमाटोड एक छोटे आकार के बेलनाकार शरीर वाले सूक्ष्म जीव होते हैं जिनमें श्वसन प्रणाली व परिसंचरण तंत्र नहीं होते। इनमें नर और मादा को आसानी से अलग-अलग पहचाना जा सकता है। नर प्राय: पतले और लम्बे होते हैं, जबकि मादा आमतौर पर मोटी होती है लेकिन कुछ वंशज में दोनों (नर एवं मादा) ही धागेनुमा आकार के होते हैं।

- लोचन शर्मा, प्रियंका एवं अनिल कुमार सूत्रकृमि विभाग चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार

सूत्रकृमि जांच के लिए विभिन्न फसलों में मिट्टी से नमूना लेने की विधियां व उनका महत्व

कुछ सूत्रकृमि मिट्टी के स्वास्थ्य के जैविक संकेतक भी हैं। मिट्टी में नेमाटोड की संख्या और प्रकार मिट्टी के भौतिक व रासायनिक वातावरण और उनके द्वारा खाए जाने वाले रोगाणुओं में परिवर्तन का संकेत देते हैं। ये मिट्टी की गुणवत्ता व स्वास्थ्य के संकेतक भी हैं। ये मिट्टी के कार्बनिक पदार्थों के अपघटन, खाद्य श्रृंखला चक्रण, मिट्टी प्रदूषण के क्षरण और स्वस्थ मिट्टी संरचना के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

सूत्रकृमियों की कुल संख्या के केवल दस प्रतिशत ही पौधों पर आक्रमण करते हैं और विभिन्न कृषि एवं बागवानी फसलों में हानि पहुंचाते हैं। एक शोध के अनुसार साल भर में सूत्रकृमि 173 बिलियन डॉलर तक फसलों में नुकसान पहुंचाते हैं। इनके मुख में एक स्टाइलेट नाम का अंग होता है जिसकी सहायता से ये पौधों पर हमला कर पोषक तत्व ग्रहण करते हैं। ये समय के साथ पौधों में पोषक तत्वों और पानी की गति को पौधे के अलग-अलग भाग में जाने से रोक देते हैं। परिणामस्वरूप पौधों की बढ़वार रुक जाती है और पौधे पीले पड़ जाते हैं।

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