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उर्द व मूंग में एकीकृत रोग प्रबंधन

Modern Kheti - Hindi

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1st September 2024

दलहनी फसलों में उर्द व मूंग का प्रमुख स्थान है। जायद में समय से बुवाई व सघन पद्धतियों को अपनाकर खेती करने से इन फसलों की अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है। जायद में पीला मौजेक रोग का प्रकोप भी कम होता है।

- परुल चौधरी, वीरेंद्र सिंह और परविंदर कुमार

उर्द व मूंग में एकीकृत रोग प्रबंधन

कृषक जायद में इन फसलों को उगाकर अच्छी आय प्राप्त कर सकते हैं। सर्कोस्पोरा पर्णचित्ती, पीला मौजेक, चारकोल विगलन, पर्ण व्याकुंचन आदि रोग इन फसलों की उपज को कम करते हैं, जिनका संक्षिप्त विवरण यहां दिया जा रहा है।

1. बीज और पौध विगलन : बीज पर पूरे विगलन के लक्षण उत्पन्न होते हैं। सामान्य रूप में बीज का सड़ जाना, उनका जमाव कम या न होना, खेत में पौधों का दूर-दूर उगना इस रोग के लक्षण हैं। जमने के बाद नई पौध का मर जाना भी कुछ कवक जातियों के कारण हो सकता है। बोआई के बाद ही इस रोग के लक्षण दिखाई देते हैं। भूमि में अधिक नमी का होना और तापमान का कम होना इस रोग को बढ़ाने में सहायक है।

नियंत्रण :

* इस रोग से फसल को बचाने के लिए थीरम या कैप्टन (2 ग्राम प्रति कि.ग्रा. बीज) द्वारा बीज का उपचार करें।

* ट्राइकोडरमा जैवकारक (5 ग्राम प्रति कि.ग्रा. बीज) द्वारा बीजोपचार करें।

* बुवाई से पहले खेत की मिट्टी का ट्राइकोडरमा द्वारा शोधन करें।

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