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ग्रामीण तालाबों में मछली पालन कैसे करें?
Modern Kheti - Hindi
|1st May 2023
हरियाणा में मछली पालन के मुख्य स्रोत मानसून के पानी को सिंचाई एवं दैनिक उपयोग के लिए एकत्रित करने हेतु बनाए गए छोटे एवं बड़े तालाब हैं। मानसून की अनिश्चितता एवं कृषि कार्यों की आवश्यकता के अनुरूप राज्य के तालाबों में पानी का भराव एवं ठहराव की स्थिति भी अनिश्चित रहती है। ऐसी अवस्था में राज्य में मछली पालन हेतु पद्धति का निर्धारण पानी की उपलब्धता को ध्यान में रखकर किया जाना उचित होता है।
मछली पालन हेतु ग्रामीण तालाबों की उपयुक्तता: राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में जल संग्रहण हेतु अनेक छोटे एवं बड़े तालाब हैं। तालाबों का निर्माण किया गया इन का उपयोग जल संग्रहण, सिंचाई के अतिरिक्त मछली पालन जैसे अन्य कार्यों में पूर्णरूप से नहीं हो रहा है। जबकि उनमें भारतीय मेजर कार्प मछलियाँ कतला, रोहू, मृगल एवं विदेशी का मछलियाँ मछली पालन एवं जलजीवों के पालन (प्रोटीनयुक्त खाद्य सामग्री के उत्पादन) की काफी प्रबल सम्भावनाएँ हैं। मत्स्य वैज्ञानिकों ने छोटे तालाब में मत्स्य पालन की नवीनतम तकनीक विकसित की है जिसका उपयोग कर ग्रामीण अपनी आमदनी में बढ़ोतरी करने के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने व देश की खाद्यान्न उत्पादन व जनसंख्या वृद्धि के बीच अन्तर को कम करने में अपना योगदान दे सकते हैं।
तालाबों में पालने योग्य मछलियाँ: देश में वैज्ञानिकों द्वारा मत्स्य पालन की दृष्टि से विकसित की गई तकनीक को मिश्रित मत्स्य पालन के नाम से जाना जाता है। मिश्रित मछली पालन प्रणाली में एक ही तालाब में एकसाथ विभिन्न प्रकार की दो या दो से अधिक ऐसी प्रजातियों का पालन किया जाता है। आमतौर पर इस प्रणाली में स्वदेशी मेजर कार्प मछलियों का पालन किया जाता है। इस प्रणाली में सुधार कर विदेशी कार्प मछलियों का समावेश किया जाता है जिसे समन्वित मछली पालन कहा जाता है। इससे तालाब में उपलब्ध भोजन सामग्री को अधिकतम उपयोग में लेते हुए अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। उत्पादन की दृष्टि से भारत में भारतीय मेजर कार्प एवं विदेशी कार्प मछलियों का पालन एकसाथ किए जाने की प्रणाली में काफी विकास हुआ है एवं इस प्रणाली को देश के सभी प्रान्तों में अपनाया भी गया है। देश में इस प्रणाली के अन्तर्गत पाली जाने वाली मछली की प्रजातियों का विवरण निम्नानुसार है:
This story is from the 1st May 2023 edition of Modern Kheti - Hindi.
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