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बटन मशरूम के उत्पादन से संबंधित मुख्य समस्याएँ और उनका उचित प्रबंधन
Modern Kheti - Hindi
|15th January 2023
बागवानी में विविधीकरण के लिए मशरूम एक ऐसा व्यवसाय है जो बहुत कम पूंजी से शुरू किया जा सकता है।
इसे भूमिहीन युवक व युवतियाँ भी उनके पास उपलब्ध किसी भी कच्चे या पक्के कमरे से शुरू कर सकते हैं। पूरे विश्व में लगभग 14000 से 15000 मशरूम की प्रजातियाँ पाई जाती हैं और किन्तु सभी खाने योग्य नहीं होती। कुछ मशरूम जहरीली होती हैं और कुछ प्रजातियां केवल दवा बनाने के लिये प्रयोग में लाई जाती हैं। खाने योग्य सभी रू में भी पौष्टिकता के साथ साथ कई औषधीय गुण भी पाये जाते हैं। इनके नियमित सेवन से मनुष्य अपने आप को कई रोगों से बचा सकता है। किन्तु जागरूकता के अभाव से ग्रामीण आँचल में अभी भी इनका सेवन नहीं किया जाता। भारत में जहां मुख्यतया 4.5 तरह की ही मशरूम पैदा की जाती है वहीं चीन में लगभग 60 तरह की मशरूम का उत्पादन किया जाता है। देश में सफेद बटन मशरूम का उत्पादन ही मुख्य रूप से कई राज्यों में किया जाता है। वर्ष 2021-22 के दौरान देश में केवल 2,36,450 मैट्रिक टन मशरूम का उत्पादन हुआ। मशरूम का उत्पादन देश के सभी प्रदेशों में किया जाता है। 2021-22 वर्ष के दौरान बिहार राज्य ने 28710 मैट्रिक टन खुम्ब का उत्पादन करके प्रथम स्थान पाया और उड़ीसा राज्य ने 26000 मैट्रिक टन खुम्ब का उत्पादन करके दूसरा स्थान हासिल किया। हरियाणा प्रांत ने भी 21200 मैट्रिक टन खुम्ब का उत्पादन करके देश में तीसरे स्थान पर रहा। देश के दूसरे राज्यों जैसे पंजाब, हिमाचल प्रदेश, छतीसगढ़, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, तामिलनाडु, पश्चिम बंगाल इत्यादि में भी 10000 से लेकर 18000 मैट्रिक टन प्रति वर्ष मशरूम पैदा किया जाता है। हरियाणा प्रांत में लगभग 3000 उत्पादक सफेद बटन खुम्ब की काश्त करते हैं और ज्यादातर उत्पादन शरद ऋतु में किया जाता हैं बल्कि कुछ खुम्ब उत्पादक तो वातानुकूलित नियंत्रित कक्षों में सारा वर्ष इस मशरूम को पैदा करते हैं। यह एक नकदी फसल है और दूसरी नकदी फसलों की तरह इसमें भी कुछ जैविक तथा अजैविक समस्याएँ देखी जाती हैं जिनका मशरूम उत्पादकों को ज्ञान नहीं होता। कई बार मशरूम उत्पादक को सही ज्ञान न होने से आर्थिक हानि की आशंका बनी रहती है। इस लेख में सफेद बटन खुम्ब के मुख्य जैविक एवं अजैविक समस्याओं के कारण, लक्षण तथा इनके समाधान पर विस्तार से बताया गया है।
This story is from the 15th January 2023 edition of Modern Kheti - Hindi.
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