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बचें मानसून के रोगों से

Sadhana Path

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July 2021

आमतौर पर मानसून को आशिकाना मौसम माना जाता है, किंतु जरा बच के रहिएगा इस मौसम में। नहीं तो मौसम का आशिकाना अंदाज सेहत पर भारी पड़ सकता है।

- डॉ. हनुमान प्रसाद उत्तम

बचें मानसून के रोगों से

जिस तरह हर अच्छे ऋतु का कोई बुरा पक्ष होता है, उसी तरह मानसून का भी बुरा पक्ष है। मानसून में शरीर की प्रतिरोधक क्षमताएं कम हो जाती हैं, जिससे मौसम से संबंधित कई बीमारियां शरीर पर हमला कर देती हैं। वर्षा के कारण मच्छरों का प्रजनन होता है। इससे मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियां पैदा होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। मानसूनी रोगों के उपचार से पूर्व &

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जब मैंने तय किया कि मैं बिहार जाऊंगी, तो बहुत से लोगों का एक ही प्रश्न था, 'तुम्हें और कोई जगह नहीं मिली ?' राजधानी जैसी ट्रेन में भी किसी ने मुझे यह नहीं भूलने दिया कि मैं बिहार जा रही हूं और उससे बड़ी बात अकेली जा रही हूं। जाने से पहले मिलने वाली ढेर सारी नसीहतें और सफर के दौरान गुंडागर्दी के तमाम किस्से सुनते हुए जब मैंने छोटे से शहर 'गया' की जमीन पर कदम रखा, तो मन ही मन प्रार्थना दोहरा दी कि मैं सही-सलामत लौट आऊं। बिहार राज्य का छोटा सा शहर 'गया' पिंडदान और तर्पण के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है। लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि यहां उन मृतात्माओं को भी शांति और मोक्ष प्राप्त होता है, जिनके पुत्र नहीं हैं। आम धारणा है कि पुत्र यदि यह कर्म करें, तो ही माता-पिता को मोक्ष प्राप्त होगा। इस मान्यता के चलते कई परिवारों में यह कर्म ताऊ या चाचा के बेटों से कराया जाता है। जब हम विष्णुपद (पिंडदान यहां किए जाते हैं) पहुंचे, तो कई पिंडदानी (स्थानीय लोग पिंडदान करने वालों को यही कहते हैं) मौजूद थे। कर्म करा रहे शास्त्री जी ने बताया कि श्राद्ध सिर्फ कर्म ही नहीं श्रद्धा का प्रतीक भी है, इसलिए स्त्री हो या पुरुष जिसके मन में बड़ों के लिए श्रद्धा हो यह कर्म कर सकता है। गया में पितृपक्ष के दौरान ऐसा जनसैलाब उमड़ता है कि लगता है कहीं कुंभ का मेला ही लगा हुआ है। खुद के

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