Try GOLD - Free
मुस्कुराने के हैं कई लाभ
Sadhana Path
|July 2020
कुछ लोगों को आपने देखा होगा कि वह विकट परिस्थितियों में भी सदैव मुस्कुराते रहते हैं, वहीं दूसरे कुछ लोग होते हैं जो बात-बात पर दुरवी हो जाते हैं और जीवन से शिकायते करते रहते हैं। जबकि शोध भी बताते हैं कि सदैव प्रसन्न रहने वाले व्यक्ति निरोगी, स्वस्थ एवं सदैव सकारात्मक रहते हैं।

सदैव प्रसन्न रहना व मुस्कुराते रहना सबसे बड़ी प्रार्थना है एवं । एक महान साधना है। हमेशा मुस्कुराते रहना चाहिए। क्योंकि अन्य प्रार्थनाओं की अपेक्षा इससे आप स्वयं को परमात्मा के अधिक करीब अनुभव करेंगे। मानव के मुख पर मुस्कान सौभाग्य का चिह्न है। हंसना मनुष्य की स्वाभाविक क्रिया है। विधाता की सृष्टि का कोई भी दूसरा प्राणी इस प्रकार स्वाê
This story is from the July 2020 edition of Sadhana Path.
Subscribe to Magzter GOLD to access thousands of curated premium stories, and 9,500+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
MORE STORIES FROM Sadhana Path
Sadhana Path
विवेकशील ज्ञान को विकसित करें
दुख ईश्वर का काम नहीं है, बल्कि शैतान की माया की शक्ति अर्थात् भ्रम का कार्य है।
2 mins
September 2025
Sadhana Path
मन और रचनात्मकता का प्रतीक-चंद्र ग्रह
चन्द्र यानी सोम, चन्द्रमा जो की नव ग्रहों में से एक है, चंद्र एक बहुत सुंदर व युवा ग्रह है।
10 mins
September 2025

Sadhana Path
कौन कहता है नहीं मिलता है बेटी के हाथों मोक्ष
जब मैंने तय किया कि मैं बिहार जाऊंगी, तो बहुत से लोगों का एक ही प्रश्न था, 'तुम्हें और कोई जगह नहीं मिली ?' राजधानी जैसी ट्रेन में भी किसी ने मुझे यह नहीं भूलने दिया कि मैं बिहार जा रही हूं और उससे बड़ी बात अकेली जा रही हूं। जाने से पहले मिलने वाली ढेर सारी नसीहतें और सफर के दौरान गुंडागर्दी के तमाम किस्से सुनते हुए जब मैंने छोटे से शहर 'गया' की जमीन पर कदम रखा, तो मन ही मन प्रार्थना दोहरा दी कि मैं सही-सलामत लौट आऊं। बिहार राज्य का छोटा सा शहर 'गया' पिंडदान और तर्पण के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है। लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि यहां उन मृतात्माओं को भी शांति और मोक्ष प्राप्त होता है, जिनके पुत्र नहीं हैं। आम धारणा है कि पुत्र यदि यह कर्म करें, तो ही माता-पिता को मोक्ष प्राप्त होगा। इस मान्यता के चलते कई परिवारों में यह कर्म ताऊ या चाचा के बेटों से कराया जाता है। जब हम विष्णुपद (पिंडदान यहां किए जाते हैं) पहुंचे, तो कई पिंडदानी (स्थानीय लोग पिंडदान करने वालों को यही कहते हैं) मौजूद थे। कर्म करा रहे शास्त्री जी ने बताया कि श्राद्ध सिर्फ कर्म ही नहीं श्रद्धा का प्रतीक भी है, इसलिए स्त्री हो या पुरुष जिसके मन में बड़ों के लिए श्रद्धा हो यह कर्म कर सकता है। गया में पितृपक्ष के दौरान ऐसा जनसैलाब उमड़ता है कि लगता है कहीं कुंभ का मेला ही लगा हुआ है। खुद के
5 mins
September 2025
Sadhana Path
हर हाल में मस्त रहिए
जिदा रहने के लिए भोजन जरूरी है।
2 mins
September 2025

Sadhana Path
आंखों के रोग तथा उपचार
आंखें सृष्टि की सुंदरता को देखने का एकमात्र साधन है जो मनुष्य का सबसे नाजुक अंग हैं। इसके प्रति लापरवाही न बरतें। दिये गये उपायों को आजमाएं और अपनी आंखों को स्वस्थ व सुंदर बनाएं।
3 mins
September 2025

Sadhana Path
रामलीला का इतिहास
यद्यपि रामलीला का प्रदर्शन 1200 ई. से होना आरम्भ हो गया था, संस्कृत राजसी और संभ्रांत भाषा होने के कारण यह राज प्रासादों और धनाढ्य लोगों के यहां ही प्रदर्शित होती थी।
2 mins
September 2025

Sadhana Path
श्राद्ध की महिमा और महत्त्व
श्राद्ध की महिमा के बारे में पुराणों में भी उल्लेख पढ़ने को मिलता है। पितृ ऋण से मुक्ति के लिए श्राद्ध करना अति महत्त्वपूर्ण बताया गया है। लेख से विस्तार पूर्वक जानें श्राद्ध की महिमा, उसका अर्थ व उससे होने वाले लाभों के बारे में।
10 mins
September 2025
Sadhana Path
वास्तु अनुसार करें भगवान गणेश की मूर्ति स्थापना ?
घर में गणेश जी की मूर्ति स्थापित करते समय हमें दिन, दिशा, स्थान आदि बातों का ध्यान रखना चाहिए। क्या है सही नियम ? आइए विस्तारपूर्वक जानें इस लेख से।
2 mins
September 2025

Sadhana Path
शक्ति उपासना का एक स्वरूप यह भी
हिन्दू संस्कृति में परब्रह्म को शिव-शक्ति का संयुक्त रूप माना गया है।
6 mins
September 2025

Sadhana Path
रामनगर की रामलीला
आज रामलीला के मंचन में काफी बदलाव हुआ है। रामलीलाएं आज जहां आधुनिक हुई हैं, वहीं पर वाराणसी में रामनगर की रामलीला आज भी अपने पुराने रूप में कायम हैं। आइए जानें राम नगर की रामलीला की कहानी।
4 mins
September 2025
Translate
Change font size