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फसली अवशेष प्रबंधन एक चुनौती
Modern Kheti - Hindi
|1st November 2020
धान व गेहूं दोनों ही फसलें ऐसी हैं जो संभवतः अधिकतम प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करती हैं। इन फसलों में बहुत अधिक जल, रासायनिक खाद व दवाओं का प्रयोग होता है। इन्हीं फसलों के अधिकतर अवशेषों में आग लगाई जाती है। ये दोनों फसलें आमतौर पर अधिक उत्पादकता वाले क्षेत्रों में उगाई जाती हैं।
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भारत एक कृषि प्रधान राष्ट्र है एवं किसान इसकी रीढ़ की हड्डी हैं। किसान पहले कृषि अवशेष, खरपतवार एवं गोबर का उपयोग खाद के रूप में करता था। लेकिन 1960 के दशक के बाद फसल की अच्छी वृद्धि एवं पैदावार के लिए वह रासायनिक खादों का उपयोग करने लगा है। लगभग तीन दशक तक उसे रासायनिक खादों से अच्छा लाभ भी अर्जित किया है। लेकिन इसके बाद खासतौर से 1990 के बाद भूमि बजंर
This story is from the 1st November 2020 edition of Modern Kheti - Hindi.
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