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इंडियन फुटबाल टीम बदहाल, बेहाल

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July - 2025

भारत में फुटबाल का स्तर दिन-ब-दिन रसातल में जा रहा है। हर साल की तरह अगले साल अमेरिका में होने वाले 2026-फीफा विश्वकप टूर्नामेंट में भी भारत की टीम नहीं होगी। भारतीय फुटबाल टीम के खिलाड़ी हर साल करोड़ों रुपए कमा रहे हैं लेकिन चिंता की बात है कि अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में उनके खेल का स्तर गिरता जा रहा है। इसके कारणों की तलाश करती युवा समीक्षक अधृत पाण्डेय की रिपोर्ट।

- अधृत पाण्डेय

इंडियन फुटबाल टीम बदहाल, बेहाल

अगले साल ठीक इसी महीने दुनियाभर के फुटबाल प्रेमियों की धड़कने बढ़ी होंगी। 2026-फीफा विश्व कप का इंतज़ार अभी से शुरू हो गया है। 2026 में 11 जून से 19 जुलाई 2026 के बीच होने वाले फुटबॉल के इस अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट को फुटबाल का महाकुंभ कहा जाता है। इसके मेजबान तीन देश हैं अमेरिका, कनाडा और मैक्सिको। लेकिन इस प्रतिष्ठित और सम्मानजनक टूर्नामेंट में भारत एक बार फिर नहीं होगा। भारत का फीफा वर्ल्ड कप खेलने का सपना केवल सपना ही रहा है और अब गिरते हुए प्रदर्शन को देखकर तो लगता है कि यह इंतज़ार अभी कई दशकों तक और करना पड़ेगा। हर टीम को अपने कांटिनेंटल टूर्नामनेट से फीफा वर्ल्ड कप में क्वालीफाई करना होता है लेकिन इस प्रदर्शन के साथ अभी उसके बारे में सोचना बड़ी दूर की बात लगती है। ज्यादा नहीं सात साल पीछे जाइए। 2018 में जब पुरुषों की भारतीय फुटबॉल टीम फीफा विश्व रैंकिंग में उज्बेकिस्तान से सिर्फ तीन स्थान पीछे थी। भारतीय टीम 98वें और उज्बेकिस्तान 95वें पायदान पर काबिज़ था। इन सात साल में उज्बेकिस्तान की टीम न सिर्फ 57वें स्थान पर पहुंच गई, बल्कि उसने इतिहास रचते हुए पहली बार फीफा विश्व कप 2026 के लिए क्वालीफाई भी कर लिया। दूसरी तरफ भारतीय टीम लगातार खराब प्रदर्शन से 127वें स्थान तक पहुंच गई। भारत के फुटबॉल इतिहास का सबसे स्वर्णिम दौर 1950 और 1960 में आया था जब एक दशक में भारतीय राष्ट्रीय टीम ने ओलंपिक और एशियाई खेलों दोनों में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की थी। भारतीय टीम फीफा वर्ल्ड कप 2026 एएफसी क्वालीफायर राउंड-2 के ग्रुप-ए में थी, लेकिन टीम छह मैचों में सिर्फ एक जीत हासिल कर सकी। दो साल पहले भुवनेश्वर के कलिंगा स्टेडियम में हुए फाइनल क्वालीफायर में कतर के खिलाफ मिली हार से भारतीय टीम की उम्मीद खत्म हो गई। भारतीय टीम की वर्तमान रैंकिंग 127 है, जबकि कतर 55वें नंबर की टीम है। कतर की टीम एशियन चैंपियन भी है। यह उस देश का हाल है जहां खेलों के लिए जुनून कूट-कूट कर भरा है। क्रिकेट के लिए तो दीवानगी जगजाहिर है, लेकिन बावजूद इसके फुटबॉल को लेकर भी लोगों के दिलों में खास जगह है। खासतौर पर कोलकाता, गोवा, केरल और नॉर्थ-ईस्ट भारत जैसे राज्यों में फुटबॉल केवल एक खेल नहीं बल्कि

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अमेरिकी एच-1बी वीज़ा का खेल

एच-1बी वीज़ा की फीस करीब 50 गुना बढ़ाकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नया दांव खेला है। इस एक फैसले ने लाखों भारतीय युवा प्रोफेशनलों के भविष्य में अमेरिका जाने की राह में मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। अमेरिका को एक सर्वशक्तिमान देश बनाने में इन अप्रवासी प्रोफेशनलों की बड़ी भूमिका रही है। इस फैसले से सिलिकॉन वैली की कंपनियों और भारतीय प्रतिभाओं पर क्या असर पड़ेगा? क्या फीस बढ़ाकर अमेरिका ने अपने पांव पर कुल्हाड़ी दे मारी है ? इसका अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा? अमेरिका के लोकप्रिय एच-1बी वीज़ा पर दस्तक टाइम्स के संपादक दयाशंकर शुक्ल सागर की रिपोर्ट।

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अब जनजाति पहचान की जंग

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कौन होगा सीएम, सब हैं खामोश!

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आंदोलनकारी छात्रों के बीच पहुंच विपक्ष को किया चित सीबीआई जांच की सिफारिश

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