बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने अकेले चुनाव लड़ने के फैसले के साथ ही यूपी में आने वाली लोकसभा की सभी 80 सीटों के लिए प्रत्याशियों का चयन और जातीय समीकरण बैठाने के लिए रणनीति बनाना शुरू कर दिया है। मायावती के अकेले चुनाव लड़ने के फैसले के साथ इस बात को लेकर कयास भी शुरू हो गये हैं कि अबकी बार मायावती नये कलेवर और फ्लेवर के साथ चुनाव सभाएं करती नजर आ सकती हैं। इस बार उनकी चुनावी सभाओं की विस्तृत श्रृंखला देखने को मिले तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। बसपा सुप्रीमो सियासी हवा का रुख बदलने और माहौल पहचानने में महारथ रखती हैं। इसीलिए उनका सबसे पहले उन 10 सीटों पर फोकस है, जिन पर उन्होंने 2019 में जीत हासिल की थी। उसके वर्तमान सांसदों के दूसरे दलों के संपर्क में आने की खबरें भी आ रही हैं, इसे देखते हुए बसपा उनके विकल्प तलाश रही है। पार्टी उन खास सीटों पर भी काम कर रही है जहां पिछले लोकसभा चुनाव में बसपा ने 40 फीसदी से अधिक वोट हासिल किए थे। गौरतलब हो कि बसपा ने 2019 का लोकसभा चुनाव सपा के साथ मिलकर लड़ा था। उसने 38 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। इनमें से जीती हुई सीटों के अलावा 10 और सीटें ऐसी थीं जिन पर उसे 40 फीसदी से अधिक वोट हासिल हुए थे। यहां बसपा प्रत्याशी को बहुत कम वोटों के अंतर से हार मिली थी। वहीं जीती हुई सीटों के अलावा 21 सीटें ऐसी थीं, जहां 40 फीसदी से कम लेकिन 35 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे। मायावती की नजर ऐसी सीटों पर भी है जहां दलित वोटर बहुसंख्यक हैं और यहां बसपा का प्रदर्शन अक्सर बेहतर रहा है। इनमें सहारनपुर, अम्बेडकर नगर, बिजनौर, नगीना, अमरोहा, आगरा जैसी कुछ सीटें विशेष रूप से शामिल हैं। पार्टी की कोशिश है कि ऐसे मजबूत सीटों पर बेहतर प्रत्याशी देकर वहां ठीक से प्रचार किया जाए तो पासा पलट सकता है। यहां पर मायावती के अलावा भी पार्टी के अन्य बड़े नेताओं की अधिक से अधिक बैठकें और जनसभाएं की जाएंगी।
Diese Geschichte stammt aus der February 2024-Ausgabe von DASTAKTIMES.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent ? Anmelden
Diese Geschichte stammt aus der February 2024-Ausgabe von DASTAKTIMES.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent? Anmelden
दलतंत्र को लोकतंत्र की मजबूती के लिए काम करना चाहिए
वाणी की शक्ति अपरिमित है। संस्कृति मनुष्य को उदात्त बनाती है। संस्कृत देववाणी है। इसमें संस्कृति के विकास की विराट क्षमता है। भारतीय संस्कृति में वाणी और शब्द के आश्चर्यजनक सदुपयोग मिलते हैं लेकिन राजनैतिक क्षेत्र में सामान्य वक्तव्य भी हिंसक हो जाते हैं। भारतीय सुभाषितों में कहा गया है कि सत्य बोलो-सत्यम ब्रूयात। प्रिय बोलो-प्रियं ब्रूयात। लेकिन अप्रिय सत्य मत बोलो। यहां सत्य को भी अप्रिय होने के कारण उचित नहीं कहा गया।
देशभक्ति की भावना भरेंगे 'योद्धा' सिद्धार्थ मल्होत्रा
सिद्धार्थ मल्होत्रा, राशि खन्ना और दिशा पटानी अभिनित ऐक्शन फिल्म 'योद्धा' सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। यह फिल्म एक विशेष टास्क फोर्स अधिकारी अरुण कात्याल (सिद्धार्थ मल्होत्रा) की यात्रा की कहानी पर आधारित है, जो देश को आतंकवादियों से बचाने के लिए कुछ भी करेगा।
धोनी का जलवा बरकरार!
आईपीएल के अपने पहले ही मैच में विस्फोटक बल्लेबाजी से जीता दिल
बदल रहे मौसम में अपने खान-पान का रखें ध्यान
कहा जाता है कि तंदुरुस्ती हजार नियायत है, सेहत ठीक रहेगी तभी हर काम फिट होगा। पंचतत्व से बना मानव शरीर ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में से एक है पर इसका संचालन खुद मानव के हाथ में है।
समुद्री डकैतों के लिए खौफ बन कर उभर रही भारतीय नौसेना
हिंद महासागर के कई इलाकों में समुद्री डकैती जारी है । सोमालिया, इथोपिया, इरिट्रिया और जिबूती जैसे देशों के समुद्री डकैत समंदर में सामानों से भरे जहाज लूटने में लगे हैं और अब भारतीय नौसेना इनके लिए एक काल बनके उभरी है। भारतीय नौसेना ने अरब सागर और अदन की खाड़ी जैसे क्षेत्रों में मैरीटाइम सर्जिकल स्ट्राइक करते हुए 35 समुद्री लुटेरों को पकड़कर उन्हें मुंबई लेकर आई। इस कार्यवाही को आईएनएस कोलकाता ने अंजाम दिया है।
उत्तराखंड में ऊर्जा निगम से मिल रही नई ऊर्जा
उत्तराखंड ऊर्जा निगम ने केन्द्र सरकार की दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत पर्वतीय क्षेत्रों में घर-घर बिजली पहुंचाने और फाल्ट की समस्या के निस्तारण के लिए ठोस पहल की। उत्तराखंड ऊर्जा निगम का दावा है कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों को 99 प्रतिशत विद्युतीकृत कर दिया गया है। हालांकि पहाड़ों के कुछ दुर्गम क्षेत्रों तक बिजली पहुंचना बाकी है।
बसपा फिर से सोशल इंजीनियरिंग की राह पर
बहुजन समाज पार्टी लोकसभा चुनाव में अपना पूरा दमखम दिखाने की कोशिश कर रही है। किसी भी चुनाव में मायावती की उपस्थिति इसलिए काफी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि उनके पास दलितों का अच्छा खासा वोट है। मायावती की पहचान एक सशक्त दलित नेता के रूप में भी होती है लेकिन चौंकाने वाली बात यह है इस बार है मायावती नहीं, उनके उत्तराधिकारी आकाश आनंद ने प्रचार की शुरुआत की। मायावती के भतीजे आकाश अब बीएसपी में नंबर 2 की हैसियत पर हैं।
यूपी में पेंडुलम की तरह झूलते ओबीसी वोटर!
केन्द्र में मोदी को शीर्ष तक पहुंचाने में ओबीसी की बड़ी भूमिका रही है। राज्यों में मुलायम, लालू एवं नीतीश की राजनीति भी ओबीसी की फैक्ट्री से ही निकली। आज भी कई राज्यों में राजनीतिक दलों का भविष्य ओबीसी वोटरों के मूड पर निर्भर करता है। यह तब है जबकि चुनाव आयोग के पास ऐसा कोई आंकड़ा नहीं है, जो बता सके कि किस वर्ग ने किस दल को वोट किया।
पश्चिमी यूपी के मुसलमान इस बार किसके साथ?
पश्चिमी यूपी की 27 सीटों पर पहले तीन चरणों में मतदान होना है, जहां मुस्लिम वोटर की बड़ी आबादी किसी भी चुनाव का परिणाम बदलने का माद्दा रखती है। सपा, बसपा ने पिछले चुनाव में इसी समीकरण के जरिए आठ सीटें जीती थीं। वर्ष 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद जाटों और मुस्लिमों के बीच जो दूरी बढ़ी, वह रालोद के लगातार प्रयास से कम हुई थी।
पहला द्वार पश्चिमी यूपी तो 7वां पूर्वांचल में खुलेगा
19 और 26 अप्रैल को प्रथम एवं द्वितीय चरण का मतदान होगा। इन दोनों चरणों में पश्चिमी यूपी की 16 सीटों पर वोटिंग होगी। प्रथम और दूसरे चरण के मतदान में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की क्रमशः आठ-आठ सीटों के उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होगा। 07 मई को भी तीसरे चरण में दस सीटों पर मतदान होगा। इसमें भी 10 में से पश्चिमी यूपी की चार सीटें शामिल होंगी।