Versuchen GOLD - Frei
दर्द जो छलक ही जाता है! - गडकरी को रास नहीं आ रहा पार्टी में चाटुकारिता कल्चर
DASTAKTIMES
|April 2023
भाजपा में सबसे कद्दावर नेता और केन्द्रीय मंत्रियों में बेस्ट परफॉर्मर के रूप में चर्चित नितिन गडकरी ने भी भाजपा से दूरी बनाने का साफ संकेत दिया है। गडकरी के बयान से साफ है कि अब वे चापलूसी नहीं कर पाएंगे। लोगों को खुश करने की फितरत उनमें नहीं है। इसीलिए उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि मुझे समाजनीति पसंद है, न कि यह तुष्टनीति।

भाजपा में अब एक नए कल्चर का सृजन हो रहा है। जीहुजूरी और चाटुकारिता का कल्चर अब पार्टी में बढ़ने लगा है। यह हम नहीं उनके ही नेताओं के बयान से साबित होता है कि भाजपा अब पहले की तरह अब नैतिक और सैद्धांतिक मूल्यों पर चलने वाली पार्टी नहीं रही, बल्कि उसमें तानाशाही, कठोरता, चाटुकारिता और जीहुजूरी का कल्चर हावी हो चुका है। उसी का परिणाम है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता अब पार्टी से अपनी दूरी बनाने लगे हैं। भाजपा में सबसे कद्दावर नेता और केन्द्रीय मंत्रियों में बेस्ट परफॉर्मर के रूप में चर्चित नितिन गडकरी ने भी भाजपा से दूरी बनाने का साफ संकेत दिया है। गडकरी के बयान से साफ है कि अब वे चापलूसी नहीं कर पाएंगे। लोगों को खुश करने की फितरत उनमें नहीं है। इसीलिए उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि मुझे समाजनीति पसंद है, न कि यह तुष्टनीति।
इस वेदना की राह में नितिन गडकरी अकेले नहीं
बदलती भाजपा से दूरी बनाने वालों में भाजपा के नेताओं की लंबी लिस्ट है। उन्हें भाजपा की मौजूदा नीति राजनीतिक उद्देश्यों से परे ले जाती दिख रही है। जानकारों को मानें तो यही वजह है कि अब केंद्र में मंत्री राजनाथ सिंह, प्रकाश जावड़ेकर, शाहनवाज हुसैन, वसुंधरा राजे, मुख्तार अब्बास नकवी, बिहार में सुशील मोदी आदि लोग भाजपा में साइलेंट हो गए हैं। क्षेत्रीय नेताओं की लिस्ट तो और लंबी है। इसकी शुरुआत भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी से हुई। उसके बाद संजय जोशी, मुरली मनोहर जोशी, यशवंत सिन्हा, जशवंत सिंह, शत्रुधन सिन्हा आदि लोगों का नाम चरम पर रहा। विश्व हिंदू परिषद के प्रवीण तोगड़िया, बजरंग दल के अध्यक्ष विनय कटियार आदि नेताओं को दरकिनार कर दिया गया।
Diese Geschichte stammt aus der April 2023-Ausgabe von DASTAKTIMES.
Abonnieren Sie Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierter Premium-Geschichten und über 9.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Sie sind bereits Abonnent? Anmelden
WEITERE GESCHICHTEN VON DASTAKTIMES

DASTAKTIMES
सबका चहेता, सदाबहार हीरो संजीव कुमार
87वीं सालगिरह पर विशेष
8 mins
July - 2025

DASTAKTIMES
जहां मिलते हैं एक सींग वाले गैंडे
असम की वादियों में काजीरंगा भले टाइगर रिजर्व फॉरेस्ट घोषित किया गया हो लेकिन बरसों से इसकी पहचान यहां के एक सींग वाले गैंडे को लेकर रही है। एक सींगी गैंडे के साथ काजीरंगा केएनपी हाथी, जंगली जल भैंसों और दलदली हिरणों का प्रजनन स्थल भी है।
8 mins
July - 2025

DASTAKTIMES
पेसा पर फंसा पेच
झारखंड आदिवासी बहुल राज्य है, इसके बावजूद यहां अब तक पेसा कानून लागू नहीं हो पाया है। अब कांग्रेस इसे मुद्दा बना रही है, वहीं बीजेपी इस पूरे मामले को हवा दे रही है। सोरन सरकार ने इस कानून की नियमावली तैयार कर ली है जिसका विरोध भी शुरू हो गया है।
3 mins
July - 2025

DASTAKTIMES
जीवन की सभी बाधाओं से मुक्ति दिलाते हैं गुरु
श्री रामचरितमानस में गुरु की वन्दना करते हुए गोस्वामी तुलसीदासजी ने लिखा है कि गुरु 'नर' के रूप में 'नारायण' होता है और उसका स्वभाव 'कृपासिन्धु' का होता है।
3 mins
July - 2025

DASTAKTIMES
आस्था से अर्थव्यवस्था को मिली नई रफ्तार
चारधाम यात्रा 2025
7 mins
July - 2025

DASTAKTIMES
बोइंग-विमान हादसों की फेहरिस्त
भारत में अब तक नौ बड़े विमान हादसे हो चुके हैं। इनमें ज्यादातर हादसे बोइंग के हुए हालांकि इन हादसों में मानवीय चूक ज्यादा थी।
2 mins
July - 2025

DASTAKTIMES
जनता के दरबार में सीएम
मॉर्निंग वॉक के बहाने हर सुबह खुद जनता की नब्ज टटोलते हैं धामी
4 mins
July - 2025

DASTAKTIMES
बोइंग के बुरे दिन
दुनिया की सबसे भरोसेमंद एविएशन कंपनी रही बोइंग के बुरे दिन आ गए हैं। दुनिया में बहुत से विमान उड़ते हैं और हादसे भी होते हैं। अजब लेकिन दुखद संयोग है कि पिछले दस सालों में अलग-अलग विमान हादसों में कोई तीन हजार लोगों की मौत हुई, इनमें करीब आधे बोइंग के एयरक्राफ्ट में सवार थे। भारत में ही पिछले 10 साल में दो बड़े जानलेवा प्लेन क्रैश हुए और दोनों ही विमान बोइंग कंपनी के थे। बोइंग विमान पिछले दो दशक से विवादों में हैं। अहमदाबाद हादसे ने कंपनी की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। मुसीबतों में घिरी अमेरिकी एविएशन कंपनी बोइंग पर 'दस्तक टाइम्स’ के प्रमुख संपादक रामकुमार सिंह की एक रिपोर्ट।
7 mins
July - 2025

DASTAKTIMES
वृंदावन कॉरिडोर का विरोध क्यों?
अयोध्या-काशी की तर्ज पर वृंदावन में प्रस्तावित बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर का विरोध नहीं थम रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने बांके बिहारी मंदिर के इर्द गिर्द 5 एकड़ जमीन अधिगृहीत करने की मंजूरी दे दी है, इसके बावजूद मंदिर की देखरेख करने वाला गोसाईं परिवार जिद पर अड़ा है, लेकिन योगी सरकार भी पीछे हटने को तैयार नहीं। आखिर क्या है यह विवाद, बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार
7 mins
July - 2025

DASTAKTIMES
श्रीनगर तक ट्रेन यानी एक तीर से कई निशाने
दुनिया का सबसे ऊंचा 'चिनाब रेलवे ब्रिज' बनने के बाद कश्मीर घाटी आजादी के 76 साल बाद देश के रेलवे से अब सीधे जुड़ गई है।
10 mins
July - 2025
Translate
Change font size