Modern Kheti - Hindi - November 01, 2023Add to Favorites

Modern Kheti - Hindi - November 01, 2023Add to Favorites

Keine Grenzen mehr mit Magzter GOLD

Lesen Sie Modern Kheti - Hindi zusammen mit 8,500+ anderen Zeitschriften und Zeitungen mit nur einem Abonnement   Katalog ansehen

1 Monat $9.99

1 Jahr$99.99

$8/monat

(OR)

Nur abonnieren Modern Kheti - Hindi

1 Jahr$25.74 $4.99

Speichern 81% Mothers Day Sale!. ends on May 13, 2024

Diese Ausgabe kaufen $0.99

Geschenk Modern Kheti - Hindi

7-Day No Questions Asked Refund7-Day No Questions
Asked Refund Policy

 ⓘ

Digital Subscription.Instant Access.

Digital Subscription
Instant Access

Verified Secure Payment

Verifiziert sicher
Zahlung

In dieser Angelegenheit

Solar Energy Special

रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी

सरकार ने मार्केटिंग सीजन 2024-25 के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य या एमएसपी (MSP) 150 रुपये बढ़ाकर 2,275 रुपये प्रति क्विंटल करने की घोषणा की।

रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी

2 mins

भारत में प्याज और राजनीति

स्थानीय बाजारों में खरीफ की फसल के देरी से आने की चिंता के कारण महाराष्ट्र के नासिक जिले में प्याज की थोक कीमतें एक सप्ताह के भीतर लगभग 30 प्रतिशत बढ़ गई हैं।

भारत में प्याज और राजनीति

2 mins

बर्ड फ्लू को रोकने के लिए मुर्गियों में नये जीन की खोज

बीते कुछ दशकों में दुनिया भर में बर्ड फ्लू बीमारी के फैलने की घटनाएं देखी गई हैं। भारत भी इससे अछूता नहीं रहा है। ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने मुर्गियों में बर्ड फ्लू के प्रसार को सीमित करने के लिए जीन संपादन तकनीक का सफलतापूर्वक उपयोग किया है। बर्ड फ्लू मौजूदा वक्त में एक प्रमुख वैश्विक खतरा है। इस बीमारी का असर जंगली पक्षियों के अलावा कृषि क्षेत्र में देखा गया है। इसका प्रभाव बेहद विनाशकारी साबित हुआ है।

बर्ड फ्लू को रोकने के लिए मुर्गियों में नये जीन की खोज

2 mins

परागणकों में गिरावट से फसलें होंगी प्रभावित

एक नई रिसर्च से पता चला है कि जलवायु परिवर्तन और भूमि उपयोग में आते बदलावों से परागण करने वाले कीटों में 61.1 प्रतिशत की गिरावट आई है। इसकी वजह से आम, तरबूज, कॉफी और कोको जैसी उष्णकटिबंधीय फसलों के लिए भारी खतरा पैदा हो सकता है।

परागणकों में गिरावट से फसलें होंगी प्रभावित

3 mins

पड़ोसी पौधों में रोगों को रोकने के लिए नई खोजें

रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए एक ही खेत में कई प्रकार के पौधों को उगाना एक लंबे समय से चली आ रही कृषि पद्धति है, लेकिन इसके अप्रत्याशित परिणाम हो सकते है।

पड़ोसी पौधों में रोगों को रोकने के लिए नई खोजें

2 mins

खाली पड़ी जमीनों पर खेती के लिए करें उचित प्रयोग

क्या आप जानते हैं कि वैश्विक स्तर पर हर साल औसतन 36 लाख हैक्टेयर से ज्यादा कृषि भूमि को खाली छोड़ दिया जाता है। मतलब की यह वो जमीन है, जिस पर खेती की जा सकती थी, लेकिन विभिन्न कारणों के चलते उस पर खेती नहीं की जा रही। नतीजन धीरे-धीरे इस जमीन की गुणवत्ता में कमी आने लगती है।

खाली पड़ी जमीनों पर खेती के लिए करें उचित प्रयोग

3 mins

कोर्टेवा एग्रीसाइंस ने आईसीएआर के सहयोग से पर्ल मिलेट की किस्मों पर किया रिसर्च

बढ़ती वैश्विक आबादी और जलवायु परिवर्तन की चिंताओं के बीच कोर्टेवा एग्रीसाइंस, इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर द सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स (आईसीआरआईएसएटी) और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने आपसी सहयोग से एक रिसर्च प्रोडक्ट पूरा किया है। इस रिसर्च ने पर्ल मिलेट जीनोम की रिसिक्वेसिंग कर मील का पत्थर हासिल किया है। इसके जरिये नए मॉलिक्युलर मार्करों के विकास को बढ़ावा मिला है जिससे असाधारण उपज और बेहतर पोषण गुणवत्ता के साथ बाजरा की किस्मों के विकास का रास्ता खुल गया है।

कोर्टेवा एग्रीसाइंस ने आईसीएआर के सहयोग से पर्ल मिलेट की किस्मों पर किया रिसर्च

2 mins

कॉर्पोरेट से कंपोस्टर बनने तक का सफर गुर रजनीश

गुर रजनीश ने पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना से स्कूल ऑफ बिजनेस स्टडीज की डिग्री हासिल की

कॉर्पोरेट से कंपोस्टर बनने तक का सफर गुर रजनीश

2 mins

प्रसिद्ध मिट्टी विज्ञानी डॉ. विलियम ए. अलब्रेक्ट

डॉ. अल्ब्रेक्ट एक सम्मानित मिट्टी विज्ञानी हैं। उन्होंने यह खोज की कि प्राकृतिक ढंग से कैसे मिट्टी को बढ़िया बनाया जाये। उन्होंने पशुओं के कई रोगों के बारे में भी खोजें कीं, जो उनमें सीधी मिट्टी द्वारा या घटिया क्वालिटी के चारे द्वारा चली जाती है।

प्रसिद्ध मिट्टी विज्ञानी डॉ. विलियम ए. अलब्रेक्ट

2 mins

शुष्क क्षेत्र में जैविक खेती: जाने आधुनिक विधि

हमारे देश के लगभग 12 प्रतिशत (32 लाख हैक्टेयर) भू-भाग में औसत वार्षिक वर्षा 400 मिलीमीटर से कम होती है एवं यह शुष्क क्षेत्र कहलाता है।

शुष्क क्षेत्र में जैविक खेती: जाने आधुनिक विधि

3 mins

भोजन में सब्जियों का महत्व

पत्ते वाली सब्जियाँ जैसे, पालक, सलाद, बन्दगोभी तथा विभिन्न भारतीय सब्जियाँ, जिनमें जल सेल्यूलोज व रेशे की अधिकता होती है। हरी सब्जियों से हमें सेल्यूलोज तथा क्लोरोफिल मिलते हैं जो पाचन में भी सहायक होते हैं। सब्जियों के तने, पत्तियाँ, कन्द तथा जड़े पकने पर स्पंजी हो जाती हैं जो कि न केवल भूख मिटाती हैं वरन भोजन को पाचन पथ में नीचे खिसकाने में भी सहायक होती हैं।

भोजन में सब्जियों का महत्व

5 mins

कनोला सरसों: महत्व एवं उत्पादन की उन्नत तकनीक

राया सरसों में ऐसी कोई समस्या नही है तथा इसकी कटाई फसल के पूरी तरह से पकने के बाद ही करें। कटाई के बाद भली प्रकार से सुखाने के बाद ही फसल की गहाई करें।

कनोला सरसों: महत्व एवं उत्पादन की उन्नत तकनीक

3 mins

कृषि में सौर ऊर्जा वर्तमान स्थिति, चुनौतियाँ एवं संभावनाएं

भारत के लिये राष्ट्रीय ऊर्जा भंडारण मिशन के निर्माण हेतु एक मसौदा तैयार किया है। MNRE द्वारा स्थापित समिति ने मंत्रालय के पास अपनी सिफारिशें जमा करा दी हैं और जिसे कुछ महीनों के लिये सार्वजनिक सुझावों/टिप्पणियों हेतु खुला रखा जाएगा। सौर ऊर्जा से संबंधित समस्याएं भी हैं। सौर ऊर्जा उत्पादन दोपहर में अपने चरम पर होता है, लेकिन जब उसे सही समय पर संगृहीत नहीं किया जाएगा, तो रात में घरों को प्रकाश उपलब्ध नहीं होगा।

कृषि में सौर ऊर्जा वर्तमान स्थिति, चुनौतियाँ एवं संभावनाएं

5 mins

मसूर की समग्र सिफारिशें अपनाएं और उत्पादन बढ़ाएं

ध्यान रखें कि पानी अधिक न होने पावे। यथा संभव स्प्रिंकलर से सिंचाई करें या खेत में स्ट्रिप बनाकर हल्की सिंचाई करना लाभकारी रहता है। अधिक सिंचाईयाँ मसूर की फसल के लिए लाभकारी नहीं रहती है। खेत में जल निकास का उत्तम प्रबन्ध होना आवश्यक रहता है।

मसूर की समग्र सिफारिशें अपनाएं और उत्पादन बढ़ाएं

4 mins

ईसबगोल की जैविक खेती: किस्में, देखभाल और उपज

गहाई के पूर्व ढेरियों पर हल्का सा पानी छिड़क देते हैं, जिससे दाने आसानी से अलग हो जाते हैं। गहाई करने के बाद भूसा अलग करके साफ बीज प्राप्त कर लिये जाते हैं।

ईसबगोल की जैविक खेती: किस्में, देखभाल और उपज

5 mins

मेथी की जैविक खेती: किस्में, देखभाल और पैदावार

मेथी की जैविक खेती के लिए किसानों को स्थानीय किस्मों की अपेक्षा अपने क्षेत्र की प्रचलित और अधिक उपज देने वाली तथा विकार रोधी उन्नत किस्मों का चयन करना चाहिए। जहां तक संभव हो प्रमाणित जैविक बीज का ही प्रयोग करें।

मेथी की जैविक खेती: किस्में, देखभाल और पैदावार

5 mins

गेहूं की फसल में बीजोपचार व खरपतवार नियन्त्रण कैसे करें?

रबी मौसम की फसलों में गेहूं का प्रमुख स्थान है। गेहूं की नई-नई किस्मों के चयन, संतुलित खादों व पानी के समुचित प्रयोग से गेहूं की पैदावार में निरंतर बढ़ोतरी हुई है तथा कृषि की उन्नत तकनीकों को अपनाकर किसानों ने पिछले तीन-चार वर्षों में गेहूं का रिकार्ड उत्पादन किया है।

गेहूं की फसल में बीजोपचार व खरपतवार नियन्त्रण कैसे करें?

5 mins

डेयरी पशुओं का चुनाव

पशुपालकों का एक सवाल होता है कि वह डेयरी फार्म के लिए गाय रखें या भैंस ताकि वह साल भर दूध उत्पादन कर सकें तथा दूध की गुणवत्ता भी बनी रहे व उसे दूध का अच्छा मूल्य भी मिल सके। इसके लिए जरूरी है कि हम दोनों प्रकार के पशुओं के गुणों को जानें।

डेयरी पशुओं का चुनाव

6 mins

Lesen Sie alle Geschichten von Modern Kheti - Hindi

Modern Kheti - Hindi Magazine Description:

VerlagMehram Publications

KategorieBusiness

SpracheHindi

HäufigkeitFortnightly

Modern Kheti, as the name indicates, relates to the modern agricultural techniques; conservative and cash crops, allied professions and farm machinery through training programs or upcoming events on a national and international level. Introduced in 1987, it is the leading and most widely read agriculture based magazine throughout Northern India. Punjab and Haryana, extensively known as the food grain basket of India, has in almost every household Modern Kheti, as it caters to every aspect of farming like growing of seasonal crops, their problems & solutions, conservative and cash crop farming. It also covers – fishery, poultry dairy, bee keeping, floriculture, horticulture etc. The main aim of Modern Kheti is to keep up the spirit of farming, bond different regions and help agriculture grow. It inspires the youth to take up agriculture as farming with a lot of emphasis on organic and profitable farming. It keeps in mind the health and prosperity of all i.e. taking mankind and nature together. It is published Fortnightly in Punjabi and Hindi and covers the whole of Punjab, Haryana, Rajasthan, Himachal Pradesh, Uttaranchal etc. It is undoubtedly one of the best mediums trying to provide healthy information.

  • cancel anytimeJederzeit kündigen [ Keine Verpflichtungen ]
  • digital onlyNur digital
MAGZTER IN DER PRESSE:Alle anzeigen