देवभूमि में आकाश तत्व सम्मेलन
विज्ञान और प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल इंसानों के रोजमर्रे की चुनौतियों का हल ढूढ़ने के लिए हमारे देश में किया जाने लगा है। विभिन्न प्रकार की प्रौद्योगिकीयों का लाभ आमजन तक पहुंचे, इसके लिए केन्द्र सरकार और उत्तराखंड की धामी सरकार सक्रिय है। चाहे ड्रोन का इस्तेमाल हो या किसी चीज के सेटेलाइट मॉनिटरिंग का मामला हो, इनका इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन एक जो सबसे गौर करने वाली बात है, वो यह कि सरकार इस बात पर जोर दे रही है कि स्वदेशी प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाए। साथ ही स्वदेशी विज्ञान और प्रौद्योगिकी को भारत की प्राचीन प्रौद्योगिकियों की उपलब्धियों से जोड़कर उसे प्रचलित बनाया जाए। यह प्रधानमंत्री मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट भी है जिसे साकार करने के लिए सबसे जरूरी यह था कि देश के अलग-अलग राज्यों में स्वदेशी विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर विचार-विमर्श की एक इकोलॉजी तैयार हो जहां अंतरिक्ष विज्ञान के स्वदेशीकरण को बल मिले।
अंतरिक्ष अनुसंधान के अनुप्रयोगों को लोगों के दैनिक जीवन को सरल सुगम बनाने के लक्ष्य के साथ आकाश सम्मेलन का आयोजन एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहल है। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर अपराध और तस्करी, जलवायु निगरानी, मरुस्थलीकरण की सही स्थिति के आंकलन, परिवहन क्षेत्र के कुशल प्रशासन को अंजाम दिया जा सकता है। उत्तराखंड की धामी सरकार इन बातों पर ध्यान देते हुए प्रदेश में एक स्पेस इकोसिस्टम को विकसित कर रही है।
इस दिशा में बड़ी पहल करते हुए उत्तराखंड की धामी सरकार ने राज्य स्तर पर इस विजन को साकार करने का बीड़ा उठाया है और इसी कड़ी में आकाश तत्त्व- आकाश फॉर लाइफ पर पहला सम्मेलन 5 से 7 नवंबर तक उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में आयोजित किया गया। इस राष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजन के लिए इसरो और सभी प्रमुख वैज्ञानिक मंत्रालय और विभाग विज्ञान भारती के साथ मिलकर काम किया। गौरतलब है कि विज्ञान भारती स्वदेशी भावना के साथ एक गतिशील विज्ञान आंदोलन है, जो एक ओर पारंपरिक और आधुनिक विज्ञान को, तो वहीं दूसरी ओर प्राकृतिक और आध्यात्मिक विज्ञान को आपस में जोड़ता है।
क्यों जरूरी है आकाश तत्व सम्मेलन
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दलतंत्र को लोकतंत्र की मजबूती के लिए काम करना चाहिए
वाणी की शक्ति अपरिमित है। संस्कृति मनुष्य को उदात्त बनाती है। संस्कृत देववाणी है। इसमें संस्कृति के विकास की विराट क्षमता है। भारतीय संस्कृति में वाणी और शब्द के आश्चर्यजनक सदुपयोग मिलते हैं लेकिन राजनैतिक क्षेत्र में सामान्य वक्तव्य भी हिंसक हो जाते हैं। भारतीय सुभाषितों में कहा गया है कि सत्य बोलो-सत्यम ब्रूयात। प्रिय बोलो-प्रियं ब्रूयात। लेकिन अप्रिय सत्य मत बोलो। यहां सत्य को भी अप्रिय होने के कारण उचित नहीं कहा गया।
देशभक्ति की भावना भरेंगे 'योद्धा' सिद्धार्थ मल्होत्रा
सिद्धार्थ मल्होत्रा, राशि खन्ना और दिशा पटानी अभिनित ऐक्शन फिल्म 'योद्धा' सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। यह फिल्म एक विशेष टास्क फोर्स अधिकारी अरुण कात्याल (सिद्धार्थ मल्होत्रा) की यात्रा की कहानी पर आधारित है, जो देश को आतंकवादियों से बचाने के लिए कुछ भी करेगा।
धोनी का जलवा बरकरार!
आईपीएल के अपने पहले ही मैच में विस्फोटक बल्लेबाजी से जीता दिल
बदल रहे मौसम में अपने खान-पान का रखें ध्यान
कहा जाता है कि तंदुरुस्ती हजार नियायत है, सेहत ठीक रहेगी तभी हर काम फिट होगा। पंचतत्व से बना मानव शरीर ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में से एक है पर इसका संचालन खुद मानव के हाथ में है।
समुद्री डकैतों के लिए खौफ बन कर उभर रही भारतीय नौसेना
हिंद महासागर के कई इलाकों में समुद्री डकैती जारी है । सोमालिया, इथोपिया, इरिट्रिया और जिबूती जैसे देशों के समुद्री डकैत समंदर में सामानों से भरे जहाज लूटने में लगे हैं और अब भारतीय नौसेना इनके लिए एक काल बनके उभरी है। भारतीय नौसेना ने अरब सागर और अदन की खाड़ी जैसे क्षेत्रों में मैरीटाइम सर्जिकल स्ट्राइक करते हुए 35 समुद्री लुटेरों को पकड़कर उन्हें मुंबई लेकर आई। इस कार्यवाही को आईएनएस कोलकाता ने अंजाम दिया है।
उत्तराखंड में ऊर्जा निगम से मिल रही नई ऊर्जा
उत्तराखंड ऊर्जा निगम ने केन्द्र सरकार की दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत पर्वतीय क्षेत्रों में घर-घर बिजली पहुंचाने और फाल्ट की समस्या के निस्तारण के लिए ठोस पहल की। उत्तराखंड ऊर्जा निगम का दावा है कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों को 99 प्रतिशत विद्युतीकृत कर दिया गया है। हालांकि पहाड़ों के कुछ दुर्गम क्षेत्रों तक बिजली पहुंचना बाकी है।
बसपा फिर से सोशल इंजीनियरिंग की राह पर
बहुजन समाज पार्टी लोकसभा चुनाव में अपना पूरा दमखम दिखाने की कोशिश कर रही है। किसी भी चुनाव में मायावती की उपस्थिति इसलिए काफी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि उनके पास दलितों का अच्छा खासा वोट है। मायावती की पहचान एक सशक्त दलित नेता के रूप में भी होती है लेकिन चौंकाने वाली बात यह है इस बार है मायावती नहीं, उनके उत्तराधिकारी आकाश आनंद ने प्रचार की शुरुआत की। मायावती के भतीजे आकाश अब बीएसपी में नंबर 2 की हैसियत पर हैं।
यूपी में पेंडुलम की तरह झूलते ओबीसी वोटर!
केन्द्र में मोदी को शीर्ष तक पहुंचाने में ओबीसी की बड़ी भूमिका रही है। राज्यों में मुलायम, लालू एवं नीतीश की राजनीति भी ओबीसी की फैक्ट्री से ही निकली। आज भी कई राज्यों में राजनीतिक दलों का भविष्य ओबीसी वोटरों के मूड पर निर्भर करता है। यह तब है जबकि चुनाव आयोग के पास ऐसा कोई आंकड़ा नहीं है, जो बता सके कि किस वर्ग ने किस दल को वोट किया।
पश्चिमी यूपी के मुसलमान इस बार किसके साथ?
पश्चिमी यूपी की 27 सीटों पर पहले तीन चरणों में मतदान होना है, जहां मुस्लिम वोटर की बड़ी आबादी किसी भी चुनाव का परिणाम बदलने का माद्दा रखती है। सपा, बसपा ने पिछले चुनाव में इसी समीकरण के जरिए आठ सीटें जीती थीं। वर्ष 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद जाटों और मुस्लिमों के बीच जो दूरी बढ़ी, वह रालोद के लगातार प्रयास से कम हुई थी।
पहला द्वार पश्चिमी यूपी तो 7वां पूर्वांचल में खुलेगा
19 और 26 अप्रैल को प्रथम एवं द्वितीय चरण का मतदान होगा। इन दोनों चरणों में पश्चिमी यूपी की 16 सीटों पर वोटिंग होगी। प्रथम और दूसरे चरण के मतदान में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की क्रमशः आठ-आठ सीटों के उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होगा। 07 मई को भी तीसरे चरण में दस सीटों पर मतदान होगा। इसमें भी 10 में से पश्चिमी यूपी की चार सीटें शामिल होंगी।