वो अधूरी प्रेम कहानी..
DASTAKTIMES
|December 2025
मीना कुमारी किसी ज़िद्दी बच्ची की तरह सड़क पर बैठ गईं। बेबस निगाहों से धर्मेंद्र को खोजते हुए बोलीं- 'मेरा धरम कहां है ?' यह वह दौर था जब धर्मेंद्र को 'टाइम' मैगजीन ने दुनिया के दस सबसे हैंडसम मर्दों में शुमार किया था। उनकी एक मुस्कान पर लड़कियां अपना दिल बिछा देती थीं। मीना कुमार पहले से शादीशुदा थीं और उनके शौहर दिग्गज एक्टर-फिल्म मेकर कमाल अमरोही थे। इसके बावजूद वह धर्मेंद्र को अपना दिल दे बैठी थीं। इन दोनों का अफेयर लंबे समय तक चला था। माना यह भी जाता है कि धर्मेंद्र को बॉलीवुड को सुपरस्टार बनाने में मीना कुमारी का अहम योगदान था। वह फिल्म मेकर्स से अपनी फिल्मों में बतौर लीड एक्टर धर्मेंद्र को कास्ट करने के लिए सिफारिश करती थीं।
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पूर्णिमा (1965) वो पहली फिल्म थी जो धर्मेंद्र-मीना कुमारी की जोड़ी ने सबसे पहले साइन की थी। हालांकि इस जोड़ी की पहली रिलीज़ फिल्म थी 'मैं भी लड़की हूं' जो साल 1964 में रिलीज़ हुई थी। पंजाब से आंखों में हीरो बनने का सपना लेकर बंबई पहुंचे शर्मीले धर्मेंद्र ज्यादा लोगों को नहीं जानते थे। वह कभी-कभी पुल से बातें करते जहां से गुजरते हुए वह शूटिंग के लिए पैदल स्टूडियो जाया करते थे। वह पुल से पूछते- क्या मैं कभी हीरो बन पाऊंगा? धर्मेंद्र ने जब पूर्णिमा फिल्म साइन की थी तब उन्होंने इंडस्ट्री के अपने एक दोस्त से मीना कुमारी के बारे में बात की। वह उनके स्वभाव के बारे में जानना चाहते थे क्योंकि उस दौर में मीना कुमारी इंडस्ट्री की टॉप-मोस्ट स्टार थीं। उनकी पाकीज़ा फिल्म कई रिकार्ड तोड़ चुकी थी। उनके अपोज़िट काम करने का मौका मिलना धर्मेंद्र के लिए उस समय बहुत बड़ी बात थी। वो काफी नर्वस थे। धर्मेंद्र के दोस्त ने उन्हें सलाह दी कि जब तुम उनसे पहली दफा मिलो तो उनके पैर छू लेना।
Bu hikaye DASTAKTIMES dergisinin December 2025 baskısından alınmıştır.
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