![नक्सलियों के गढ़ में जमकर वोटिंग](https://cdn.magzter.com/1427090692/1716441339/articles/7gfkbcYSn1716799862754/1716800106601.jpg)
भारत का दिल कहे जाने वाले मध्य प्रदेश से साल 2000 में अलग हुआ छत्तीसगढ़ 44 फीसदी वन क्षेत्रों के साथ भारत के मध्यवर्ती इलाके का प्रतिनिधित्व करता है। पूरे देश के साथ यहां भी 18वीं लोकसभा के चुनाव जारी हैं। प्रथम चरण के लोकसभा चुनाव में 19 अप्रैल को बस्तर संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में शांतिपूर्ण तरीके से वोट पड़े और मतदान प्रतिशत में भी इजाफा हुआ है। बस्तर में जहां पहले नक्सली चुनाव के दौरान भय पैदा करने के लिए धमाके करते थे, गांव में बैठक कर लोगों को डराते थे, मगर नक्सलियों का अब यह डर लोगों के दिमाग से निकल चुका है। यह कहा जा सकता है कि बैलेट पेपर अब बारूद पर भारी पड़ रहा है। सुरक्षाबलों की लगातार कार्रवाई में नक्सली मारे जा रहे है, इससे आम जनता में विश्वास बढ़ा है। बस्तर में 2024 के लोकसभा चुनाव में रिकार्ड मतदान दर्ज किया गया है। 2019 लोकसभा चुनाव में जहां बस्तर में 66.04 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था, वहीं 2024 के चुनाव में मतदान बढ़कर 68.30 प्रतिशत पहुंच गया। इस तरह बैलेट नाम बुलेट की जंग में बैलेट ने बुलेट को पटखनी दी है। बस्तर की जनता ने लाल आतंक की हवा निकाल दी है। बस्तर में कुल 4,72,207 मतदाता हैं जिनमें 7,71,679 महिलाएं, 7,00,476 पुरुष हैं। इसके अलावा 52 ट्रांसजेंडर मतदाता भी वोटर्स की भूमिका में रहे।
वर्ष 2004 से बढ़ा वोटिंग प्रतिशत
बस्तर में वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव से वोटिंग का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है। साल 2004 के लोकसभा चुनाव में 43.33 फीसदी मतदान हुआ। उसके बाद साल 2009 में यह वोटिंग प्रतिशत बढ़कर 47.34 फीसदी तक हो गया। इसके बाद बस्तर में वोटिंग के ग्राफ में कभी गिरावट नहीं देखी गई। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बस्तर में 59.32 प्रतिशत मतदान रिकॉर्ड किया गया। साल 2019 में बस्तर लोकसभा सीट पर वोटिंग का यह आंकड़ा बढ़कर 66.19 प्रतिशत हो गया।
बस्तर में वोटिंग ग्राफ बढ़ने के मायने
Bu hikaye DASTAKTIMES dergisinin May 2024 sayısından alınmıştır.
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![आईपीएल से दूर रहकर उर्वशी ने किया मायूस](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/9400/1729608/FhWnKd3E51718179420979/1718179499660.jpg)
आईपीएल से दूर रहकर उर्वशी ने किया मायूस
उर्वशी रौतेला को निश्चित रूप से देश में सबसे अधिक पसंद की जाने वाली, सम्मानित और चहेती शख्सियतों में से एक माना जाता है। इस साल कान्स में उर्वशी रौतेला का जलवा बरकरार रहा।
![अपनी तमिल फिल्म के बारे में दिलचस्प अपडेट देगी सनी लियोनी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/9400/1729608/IfBxh99zS1718179378340/1718179421188.jpg)
अपनी तमिल फिल्म के बारे में दिलचस्प अपडेट देगी सनी लियोनी
सनी लियोनी अपनी आगामी फिल्म 'कोटेशन गैंग' पर एक रोमांचक अपडेट का अनावरण करने को तैयार हैं।
![अदा शर्मा ने रैंप पर शेयर किया ऊप्स मोमेंट](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/9400/1729608/zy_HiK5ui1718179279856/1718179358450.jpg)
अदा शर्मा ने रैंप पर शेयर किया ऊप्स मोमेंट
अदा शर्मा इस पीढ़ी की सबसे बहुमुखी अभिनेत्रियों में से एक हैं। उन्होंने द केरल स्टोरी के साथ अपने यथार्थवादी अभिनय कौशल को साबित किया और इसके बाद कॉमेडी सनफ्लावर सीज़न 2 के साथ आईं और अब वह बस्तर द नक्सल स्टोरी में एक शक्तिशाली प्रदर्शन के साथ आई हैं जिसके लिए उन्हें प्रशंसा मिल रही है।
![सुपर-8 में भारत की हो सकती है ऑस्ट्रेलिया से टक्कर](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/9400/1729608/VhO7kdkwV1718178968484/1718179270580.jpg)
सुपर-8 में भारत की हो सकती है ऑस्ट्रेलिया से टक्कर
टी20 वर्ल्डकप का आगाज हो चुका है। टूर्नामेंट में 28 दिन तक 55 मैच खेले जाएंगे। ग्रुप स्टेज में 2 से 18 जून तक 17 दिन में 40 मैच होंगे। सुपर-8 स्टेज में 19 से 25 जून तक 7 दिन में 12 मैच खेले जाएंगे। 27 जून को दोनों सेमीफाइनल, वहीं 29 जून को फाइनल होगा। टी-20 वर्ल्ड कप की होस्टिंग अमेरिका और वेस्टइंडीज को मिली है। अमेरिका के 3 वेन्यू पर कुल 16 मैच होंगे। न्यूयॉर्क में 8, वहीं डलास और फ्लोरिडा में 4-4 मैच खेले जाएंगे।
![जीवन में प्रसाद का अभाव और अवसाद का प्रभाव](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/9400/1729608/ZpiMKNGFK1718178717160/1718178967909.jpg)
जीवन में प्रसाद का अभाव और अवसाद का प्रभाव
जीवन में प्रसाद का अभाव है और अवसाद का प्रभाव। अवसाद वस्तुतः पराजित मानसिकता का परिणाम है। मित्रता सुख देती है। मित्र परस्पर सुख-दुख बांटते हैं लेकिन मित्रता भी स्वार्थ निरपेक्ष नहीं है। एकाकी होने में दुख है। एकाकी अनुभव होने में और ज्यादा दुख है। बृहदारण्यक उपनिषद में सृष्टि के विकास का सुन्दर वर्णन है। ऋषि कहते हैं, पहले वह अकेला था। अकेला होने के कारण उसे आनंद नहीं मिला।
![पिता एक रिश्ता है तो जिम्मेदारी का नाम भी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/9400/1729608/FFbMD3MGo1718178553276/1718178713311.jpg)
पिता एक रिश्ता है तो जिम्मेदारी का नाम भी
अंतर्राष्ट्रीय पिता दिवस (16 जून) पर विशेष
![बच्चों को गैजेट नहीं, टाइम दें!](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/9400/1729608/Jy9ZBtVyJ1718178352769/1718178552911.jpg)
बच्चों को गैजेट नहीं, टाइम दें!
आजकल कम उम्र में बच्चे आत्महत्या जैसा भयानक कदम उठाने से भी परहेज नहीं करते। इसकी बड़ी वजह है परिवार, संयुक्त परिवार की जगह एकांकी परिवार का बढ़ता चलन। बात यहीं तक सीमित नहीं है, समस्या यह भी है घर में रहते हुए भी लोगों का अधिकांश समय आपसी बातचीत से अधिक मोबाइल, टीवी में गुजरता है। इस वजह से आपस में सामाजिक दूरियां भी बढ़ रही हैं।
![एनडीए की जीत पर पाकिस्तान सदमे में!](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/9400/1729608/4M0i-Y7Jy1718178175821/1718178352837.jpg)
एनडीए की जीत पर पाकिस्तान सदमे में!
भारत में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा अकेले दम पर बहुमत आंकड़ा पार नहीं कर पाई तो सबसे ज्यादा खुश पाकिस्तानी नेता नजर आए। 2019 के मुकाबले भाजपा की सीटें घटने पर पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार में मंत्री रहे फवाद चौधरी ने खुशी जताई। फवाद ने कहा कि उनको उम्मीद थी कि भारत की जनता नरेंद्र मोदी और उनकी विचारधारा को खारिज करेगी।
![एनडीए ने 9, इंडिया ने 5 सीटों पर जमाया कब्जा](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/9400/1729608/4CiH6frOW1718178031417/1718178174824.jpg)
एनडीए ने 9, इंडिया ने 5 सीटों पर जमाया कब्जा
भाजपा को रांची, धनबाद, पलामू, कोडरमा, चतरा हजारीबाग, जमशेदपुर और गोड्डा सीट पर सफलता मिली तो आजसू एक बार फिर गिरिडीह सीट बचाने में सफल रहा। वहीं इस बार दुमका, राजमहल और सिंहभूम सीट झामुमो के खाते में गई तो वही लोहरदगा और खूंटी सीट कांग्रेस ने जीत ली। एनडीए और इंडिया के लिए प्रतिष्ठा बनी खूंटी और दुमका भी भाजपा ने गंवा दी। यहां से केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा और हाल ही में झामुमो छोड़कर भाजपा में शामिल हुईं सीता सोरेन दुमका सीट नहीं बचा सकी। दो बार चुनाव जीतने वाली लोहरदगा संसदीय सीट भी भाजपा ने गंवा दी।
![लालू की रणनीति से गठबंधन के सहयोगी भी चित](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/9400/1729608/xMJKqbohO1718177861973/1718178027460.jpg)
लालू की रणनीति से गठबंधन के सहयोगी भी चित
बिहार में पूरे लोकसभा चुनाव पर नजर डालें तो इंडिया गठबंधन जिस तरह के जीत के दावे कर रहा था, वैसी सफलता नहीं मिली। हालांकि, उसे नौ सीटों मिली जीत छोटी नहीं है, क्योंकि पिछली बार महज एक सीट पर जीत मिली थी। इस जीत में बड़ी भूमिका तेजस्वी यादव की रही। पिता लालू प्रसाद की पूरी रणनीति पर उन्होंने काम किया और पूरे चुनाव प्रचार में वे बड़े स्टार प्रचारक के रूप में रहे। चुनाव प्रचार के दौरान पूरे इंडिया गठबंधन में राजद को छोड़ अन्य किसी बड़े नेता ने चुनाव प्रचार को बहुत गंभीरता से नहीं लिया।