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रामकथा जैसी लोकव्यापी कोई काव्य रचना नहीं
DASTAKTIMES
|February 2023
रामचरितमानस के निंदक चर्चा में बने रहने के लिए राजनैतिक कारणों से बेजा टिप्पणियां कर रहे हैं। तुलसी कहते हैं, सब नर करहिं परस्पर प्रीती रामराज्य में सभी नागरिक प्रेमपूर्ण हैं। रामराज में चिकित्सा सुविधा परिपूर्ण है। तुलसी लिखते हैं, 'अल्पमृत्यु नहि कउनू पीरा / सब सुंदर सब बिरुज शरीरा।’ रामराज्य में अल्पमृत्यु नहीं। कोई पीड़ा नहीं | सब स्वस्थ हैं और निरोग हैं। तुलसी लिखते हैं कि, ‘रामराज्य में वृक्ष फूलों से भरे पूरे रहते हैं।
रामचरितमानस विश्वकाव्य की अमूल्य निधि है। रामचरितमानस में प्रगतिशील काव्य सृजन के भी गुण हैं। भारत में भिन्न-भिन्न विषयों पर अनेक ग्रंथ प्राचीनकाल से ही लिखे जा रहे हैं लेकिन जीवन के सभी पहलुओं को समेटते हुए तुलसी की रामकथा सामान्यजनों में भी लोकप्रिय है। पुरोहित का काम राष्ट्रजागरण है। वेदों में कहा गया हैराष्ट्रे जाग्रयाम, वयं पुरोहितः । रामचरितमानस में आदर्श राज समाज के स्वप्न हैं। रामकथा में आदर्श राज्य की कल्पना भी है। राज्य के अनेक मॉडल बताए जाते हैं। मार्क्सवादी राज्य का मॉडल अलग है। समाजवादी राज्य की कल्पना भी अलग है। राज्य का एक मॉडल इस्लामी भी था । यह साम्प्रदायिक था। गैर मुस्लिमों के साथ भेदभाव वाला था लेकिन रामराज्य की बात दूसरी है। संप्रति कुछ राजनेता मध्यकाल की सुंदर रचना रामचरितमानस पर घटिया ढंग से आक्रामक हैं। वह समाजवाद की बात करते हैं। वह रामचरितमानस उत्तरकाण्ड में वर्णित रामराज्य का अध्ययन नहीं करते। रामराज्य में भेदभाव नहीं है। रामराज्य में परस्पर प्रेम है। तुलसी लिखते हैं, 'बयरु न कर काहू सन कोई / राम प्रताप विषमता खोई।' रामराज्य में गैर बराबरी नहीं है। समता के भाव है में सब प्रसन्नतापूर्वक रहते हैं।
रामचरितमानस के निंदक चर्चा में बने रहने के लिए राजनैतिक कारणों से बेजा टिप्पणियां कर रहे हैं। तुलसी कहते हैं, 'सब नर करहिं परस्पर प्रीती- रामराज्य में सभी नागरिक प्रेमपूर्ण हैं। रामराज में चिकित्सा सुविधा परिपूर्ण है। तुलसी लिखते हैं, 'अल्पमृत्यु नहि कउनू पीरा / सब सुंदर सब बिरुज शरीरा।' रामराज्य में अल्पमृत्यु नहीं। कोई पीड़ा नहीं। सब स्वस्थ हैं और निरोग हैं। तुलसी लिखते हैं कि, 'रामराज्य में वृक्ष फूलों से भरे पूरे रहते हैं। लगातार फूल देते हैं। हाथी और सिंह तथा सभी पशु पक्षी परस्पर बैरभाव भुलाकर प्रेम से रहते हैं। 'फूलहि फलहि सदा तरु कानन / खग मृग सहज बैरु बिसराई / सबहि परस्पर प्रीति बढ़ाई।'
Bu hikaye DASTAKTIMES dergisinin February 2023 baskısından alınmıştır.
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