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कबीर के शब्दों में कबीर

Sadhana Path

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June 2024

कबीर पर लिखना या बोलना। कठिन ही नहीं असंभव जैसा है। यह ऐसे ही है जैसे सागर पर कुछ लिखना हो, सूरज पर कुछ लिखना हो। इन पर लिखने के लिए इन्हें उनके जितना जानना या नापना जरूरी है और सागर की गहराई और सूरज की आग-नापने का अर्थ है खुद का न बच पाना, खुद को खो देना। इन्हें खोजने वाले कभी खुद नहीं बचे। खोजने वाला स्वयं लुप्त हो जाता है।

- कुमोदकर कुमार

कबीर के शब्दों में कबीर

यही सागर की, सूर्य की परिभाषा है, यही सत्य है। कबीर शब्दों का महासागर हैं, ज्ञान का सूरज हैं। जितना भी कहो थोड़ा है। सच तो यह है बूंद-बूंद में सागर है और किरण-किरण में सूरज। कबीर के भी शब्द-शब्द में जीवन की गहराई है, सच का तेज है जिसे आंकना या कह पाना कठिन है। कबीर ने इतना कहा है कि वह स्वयं शब्द रूप ही हो गए हैं। इसलिए कबीर को समझना हो तो उन्हीं के शब्दों का सहारा लेना पड़ता है।

कबीर के ज्ञान के आगे शास्त्र भी फीके हैं। वेदों में भी इतना ज्ञान नहीं जितना कबीर की वाणी में है। वेदों को महा पंडितों, ज्ञानियों, भाषा एवं व्याकरण के जानकारों ने रचा है फिर भी वह कबीर के ज्ञान के आगे बौने लगते हैं। कबीर की वाणी में विरोधाभास है, क्रांति है। उन्हें किताबों के माध्यम से नहीं हृदय के माध्यम से समझा जा सकता है। जिसे कानों से सुनना या आंखों से पढ़ना संभव नहीं। कबीर को समझने के लिए अनुभव, आत्मानुभव बहुत जरूरी है। प्रेम, भक्ति और समर्पण, कबीर इन सारे शब्दों का शब्दकोश हैं। जैसे ही इंसान इन तीनों शब्दों के अनुभव में आता है तब उसे स्वतः ही कबीर समझ में आ जाते हैं। सच तो यह है उसे कबीर ही नहीं, यह जीवन, आत्मा-परमात्मा आदि का भेद एवं समानता दोनों नजर आ जाते हैं। फिर कबीर की उल्टी बातें भी उल्टी नहीं लगती। सीधी-सीधी दिल में उतरती है जैसे कबीर कहते हैं-

पानी बिच मीन पियासी, मोहि सुनि-सुनि आवत हांसि।

बिन घन परत फुहार या धरती बरसै अम्बर भीजे,

ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होए, या बिन नैना दीदार दिखावे

आदि ऐसे अनेक उदाहरण कबीर की वाणी में मिल जाते हैं जो आत्मज्ञान के बाद ही समझ आते हैं। हैरानी की बात तो यह कि कबीर को व्यवहारिक शिक्षा या ज्ञान का कोई इल्म नहीं था, वह अनपढ़ थे। तभी तो उन्होंने कहा है-

'मसि कागद छूयो नहीं, कलम गहि नहीं हाथ'

संत तो बहुत हुए हैं परंतु कबीर की बात ही और है। कबीर ने जो कुछ कहा वह अपने अनुभव के आधार पर कहा। बाकी साधु-संतों ने, गुरुओं ने, ऋषि-मुनियों ने किताबों को पढ़कर कहा। इसी ओर ईशारा करती है कबीर की साखी की ये पंक्ति।

'तू कहता कागद की लेखी, मैं कहता आंखन की देखी।'

Sadhana Path'den DAHA FAZLA HİKAYE

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ध्यान एक प्रक्रिया है

अभय की खोज हमारे जीवन की महत्त्वपूर्ण खोज है। हम अभय बनें, डरना छोड़ें। जिस व्यक्ति ने अभय का पाठ नहीं पढ़ा, उसका विचार सही नहीं होगा। उसका विचार भय से प्रभावित विचार होगा।

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November 2025

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मंगल ग्रह और ज्योतिष

मगल सूर्य के बाद चौथा व सातवां बड़ा ग्रह माना जाता है इसकी सूर्य से लगभग दूरी 22 करोड़ 79 लाख किलोमीटर हैं। इस ग्रह का व्यास लगभग तकरीबन 6794 किलोमीटर है।

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November 2025

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आनंद में रहना वास्तविक स्वर्ग है

गीता में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि स्वर्ग के साम्राज्य को पाने के लिए वास्तव में मनुष्य को केवल कर्मों के फलों को त्यागने की आवश्यकता है। ईश्वर ने मनुष्य को इस जीवन में भूख और इच्छाओं के साथ ऐसी परिस्थितियों में भेजा है कि उसे कर्म करना ही पड़ेगा। कार्य के बिना मानव सभ्यता रोग, अकाल और अव्यवस्था का जंगल बन जाएगी। यदि संसार के सभी लोग अपनी भौतिक सभ्यता त्याग कर जंगलों में रहें, तो जंगलों को शहरों में बदलना पड़ेगा, अन्यथा वहां के निवासी स्वच्छता की कमी के कारण मर जाएंगे। दूसरी ओर भौतिक सभ्यता अपूर्णताओं और दुःखों से भरी पड़ी है। तो किस सम्भव उपाय का समर्थन किया गया?

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November 2025

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मंदिरों में सिमटा रहस्य

हमारे आस-पास बहुत सी जगहें व मंदिर ऐसे हैं जो अपने अंदर बहुत से रहस्यों को समेटे हुए हैं, जिनको समझ पाना सामान्य मनुष्य या फिर विज्ञान के लिए सम्भव नहीं है। ऐसे ही कुछ मंदिर हैं जो आस्था के साथ-साथ आकर्षण का भी केंद्र हैं।

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November 2025

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ध्यान की एक विधि नक्षत्र मेडिटेशन

पंडित अजय भाम्बी जी ने ध्यान की एक ऐसी खोजी है जिसका व्यवहारिक प्रयोग करके कोई भी व्यक्ति अपने भीतर की बंद ऊर्जा के स्रोत को जान सकता है। इसके द्वारा व्यक्ति आकाश से ऊर्जा लेकर न केवल अपनी समस्याओं का समाधान कर सकता है बल्कि मुक्ति भी प्राप्त कर सकता है।

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November 2025

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तुलसी विवाह

भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम और माता तुलसी के मिलन का पर्व 'तुलसी विवाह' यानी हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन तुलसी पूजा और तुलसी विवाह करने का बड़ा ही महत्त्व है।

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November 2025

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गुरु नानक एवं उनसे जुड़े ऐतिहासिक गुरुद्वारा साहिब

गुरु नानक सिख धर्म के प्रथम गुरु थे। उनका कहना था कि ईश्वर एक है और हम सब उसकी संतान हैं। जानें इस लेख से उनसे जुड़े कुछ ऐतिहासिक गुरुद्वारा साहिब, जहां दिखती है असीम भक्ति व श्रद्धा।

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November 2025

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उह हंस अकेला जाई

गुरु नानक का जन्म 15 अप्रैल 1469 ई. में तलवंडी नामक स्थान में हुआ था। किंतु गुरु नानकदेव की जयंती कार्तिक पूर्णिमा को मनाई जाती है। इस दिन गुरुद्वारों में शब्द कीर्तन एवं गुरुवाणी का पाठ किया जाता है। इस बार गुरू नानक का 550वां प्रकाशोत्सव विश्व भर में मनाया जा रहा है।

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November 2025

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भैरव जी की महिमा अपरम्पार है

भैरों बाबा शक्ति का असीमित भंडार हैं जो भक्तों की रक्षार्थ हमेशा तत्पर रहते हैं। इनके प्रसिद्ध मंदिर कौन से और कहां है तथा क्या है उनकी विशेषता आइए जानते हैं इस लेख से।

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November 2025

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सर्दियों में भी रखें वास्तु का ख्याल

सर्दी के इस मौसम में कुछ वास्तु उपाय करके आप सकारात्मक परिणाम प्राप्त कर सकते हैं कौन से हैं वो उपाय आइए लेख के माध्यम से जानें?

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November 2025

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