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"पैशन व लगन हो तो पैसा रुकावट नहीं बनता" - जीत
अभिनेता जीत ने वैसे तो बौलीवुड और साउथ सिनेमा में काफी काम किया है लेकिन उन्हें स्टारडम बंगाली सिनेमा से मिला है. आज वे एक निर्माता और अभिनेता के तौर पर जाने जाते हैं.
एसिडिटी से नजात पाएं
ऋतु मात्र 30 वर्ष की थी. कब्ज व एसिडिटी की समस्या ने उसे परेशान कर रखा था. इस वजह से न तो वह अपनी फैमिली का अच्छे से ध्यान रख पाती थी और न ही जौब पर फोकस कर पा रही थी. औफिस में पार्टी होने पर वह कोई बहाना बना कर वहां से जल्दी निकल जाती थी. घर में भी खाना खाने से बचती थी क्योंकि उस की तकलीफ बढ़ती ही जा रही थी.
बाप की ऊपरी कमाई किस को रास आई
आज के समाज में अवैध कमाई को हेय दृष्टि से नहीं देखा जाता है. जिन घरों में पैसा मेहनत से नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार से आता है, देखा गया है कि उन घरों के बच्चों में अहंकार, जिद्दीपन, बुरी आदतें, दूसरों से असम्मानित व्यवहार और नशे की लत होना आम है.
क्लिष्ट हिंदी - कम पढ़ों के लिए साजिश
क्लिष्ट भाषा में कोई भी विषय पढ़ना आसान नहीं. बात जब क्लिष्ट हिंदी की हो तो यह न सिर्फ पाठ्यक्रमों में छात्रों को परेशान करती है बल्कि अदालती दस्तावेज, जमीन के कागज, सरकारी दस्तावेजों में क्लिष्ट हिंदी के इस्तेमाल से आम लोग भी परेशान रहते हैं. कहीं यह कम लिखेपढ़ों के खिलाफ साजिश तो नहीं?
इजराइल से सबक
इजराइल में लोकतंत्र को बचाने के लिए शुरू हुए जनआंदोलन ने पूरी दुनिया में तानाशाही रवैयों के खिलाफ एक चमक पैदा की है. इस से दुनिया के जनवादी लोगों को सबक मिला है.
युवाओं में बढ़ता सौलिड और्गन कैंसर
कैंसर सब से घातक बीमारियों में से एक माना जाता है. वैसे तो कैंसर से उम्रदराज लोग प्रभावित होते हैं लेकिन धीरेधीरे युवाओं में भी इस का फैलाव बढ़ रहा है, जो चिंताजनक है.
जजों की कमी चिंताजनक
कहते हैं देर में भले मिले पर न्याय जरूर मिले. सवाल यह कि देर में क्यों मिले? भारत की न्याय प्रणाली इतनी ढीली है कि न्याय अपनेआप में अन्याय का रूप ले लेता है. इंडिया जस्टिस रिपोर्ट यही हाल बयां करती है.
प्राइमरी लैवल पर ट्यूशन सही या गलत
दो दशक पहले तक भारत में स्कूल की पढ़ाई के साथ अतिरिक्त ट्यूशन की आवश्यकता बच्चों को नहीं होती थी लेकिन आज बच्चा स्कूल में दाखिले के साथ ही प्राइवेट ट्यूटर के पास जाने लगता है. शिक्षण संस्थानों की नाकामयाबी और निकम्मापन न सिर्फ पेरेंट्स की जेब पर भारी पड़ रहा है। बल्कि बच्चों की सेहत व मानसिक दशा को बिगाड़ भी रहा है.
चैट जीपीटी टैक्नोलौजी के बढ़ते कदम
इंटरनैट की दुनिया में आजकल चैट जीपीटी का जोरशोर से डंका बज रहा है. इस के जितने फायदे गिनाए जा रहे हैं उतने ही भविष्य में होने वाले नुकसान भी. इस लिहाज से यह एक विवादित एप्लीकेशन बन कर उभरा है. आखिर क्या है चैट जीपीटी, जानें इस रिपोर्ट में.
धर्मकर्म में उलझी मध्य प्रदेश की चुनावी राजनीति
कर्नाटक के नतीजों ने एक अच्छा मैसेज यह दिया है कि अब धर्मकर्म, पूजापाखंडों की राजनीति से वोटर नजात पाना चाहता है लेकिन भाजपा इस से बाहर नहीं आ पा रही है खासतौर से मध्य प्रदेश में उसे इस का खमियाजा भुगतने को तैयार भी रहना चाहिए.
दलित शादियां - लड़कियों की चुनौतियां
पिछले 150 सालों में दलित समाज को कुरीतियों से दूर रखने के लिए शिक्षा का प्रचारप्रसार किया गया है. यह सोचा जा रहा था कि इस समाज के शिक्षित और प्रभावशाली लोग अपने समाज को आगे बढ़ाने में मदद करेंगे. लेकिन राजनीति और आर्थिक रूप से संपन्न होने के बाद भी दलित समाज ऊंची जातियों के रीतिरिवाज अपना कर अपने समाज के कमजोर लोगों को अपने से नीचा दिखाने का काम कर रहा है. दलित समाज की महंगी होती शादियां इस की मिसाल हैं और हर सफल दलित लड़की के लिए नए चैलेंजेज आ रहे हैं.
"पुस्तकें पढ़ने का अपना मजा है" - प्रवीण मोरछले
ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले निर्देशक प्रवीण मोरछले ने भले ही निर्देशन क्षेत्र में कदम रखने में अपना समय लगाया पर उन्होंने जिन विषयों को चुना उन में उन्होंने सामाजिक विषमताओं पर गहरी चोट की है. उन का जोर फिल्मों की विषयवस्तु पर अधिक रहता है.
हैल्दी और फ्रैश रहने के टिप्स
धूप और चिलचिलाती गरमी के कारण डिहाइड्रेशन, हिट स्ट्रोक की समस्या हो जाती है.
कर्नाटक चुनाव पलटमारों का मुकाबला
कर्नाटक के बारे में मशहूर है कि वहां किसी एक पार्टी की सरकार को मतदाता दोबारा मौका नहीं देते. वहां वोटिंग पैटर्न हर बार बदलता रहा है और वहां कोई चौथी ताकत भी नहीं है. कर्नाटक में मौजूदा शासन भाजपा का है, उस के वादों और दावों में जनता सचाई ढूंढ़ने से नहीं ढूंढ़ पा रही, ऐसे में समीकरण बदलाव की तरफ ही इशारा कर रहे हैं.
अतीक अहमद की हत्या कानून पर बुलडोजर
हिरासत में हत्या उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवालिया निशान है. इस से साफ लगता है कि बुलडोजर और एनकाउंटर से कानून का राज स्थापित नहीं होता. कानून के राज के लिए कानून के हिसाब से अपराध का अंत होना चाहिए.
सीने में जलन और अस्पताल का चलन
जरूरी नहीं कि सीने की हर जलन हार्ट से संबंधित समस्या हो, लेकिन कहते हैं न कि एक प्रतिशत चांस भी अगर हार्ट का बन रहा है तो डाक्टरी परामर्श लेना जरूरी हो जाता है. पर क्या हो जब यह परामर्श लेने गए हों और डाक्टर व अस्पताल इसे समस्या से अधिक पैसे ऐंठने का मौका समझ लें.
बदलती जीवनशैली से बढ़ रही बीमारियां
पहले उम्रदराज लोग हृदय रोग से पीड़ित होते थे, अब युवाओं में भी हृदय संबंधित खतरे बढ़ गए हैं. इस का कारण जीवनशैली में भारी बदलाव का आना है, जिस में युवा गलत खानपान, रहनसहन और खराब पर्यावरण का शिकार बन रहे हैं.
"टोबैको कैंसर का ही नहीं, हार्ट रोग का भी प्रमुख कारक है" - प्रोफेसर डा. सुदीप कुमार
दुनियाभर में हार्ट संबंधित रोग बुजुर्गों में ज्यादा दे को मिलते थे, अब युवाओं में भी ये समस्याएं उभरने लगी हैं. युवाओं में इन के होने का बड़ा कारण खानपान, रहनसहन, प्रदूषण और टोबैको उत्पादों का अत्यधिक सेवन करना है.
कोलेस्ट्रोल पर रखें नजर
कोलैस्ट्रौल अच्छा और खराब दो तरह का होता है. बात जब खराब कोलैस्ट्रौल के बढ़ने की आती है तो चिंताजनक हो जाती है, क्योंकि इस का संबंध सीधे दिल की गंभीर बीमारी से जुड़ा होता है. ऐसे में बेहतर है कि समयसमय पर इस पर नजर रखते रहें.
ब्रेन ब्लीड से दिल का दौरा पड़ने का खतरा
इस्केमिक स्ट्रोक और हार्टअटैक दिल की वे बीमारियां हैं जो दुनियाभर में लाखों लोगों को प्रभावित करती हैं. सेरेब्रल हैमरेज यानी ब्रेन ब्लीडिंग यानी दिमाग में रक्तस्राव से इस्केमिक स्ट्रोक या हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है.
हार्ट अटैक जान पर भारी
हार्ट अटैक ऐसी गंभीर समस्या है जिस में मरीज तो मरीज, पूरा परिवार भी सकते में आ जाता है. ऐसी स्थिति में सारी चीजें आननफानन होती हैं. इस का फायदा अस्पताल और डाक्टर उठाने से गुरेज नहीं करते.
भारत को औस्कर इमोशन का उत्सव
तमिलनाडु के मुदुमले नैशनल पार्क में 5 साल तक फिल्माई गई कार्तिकी गोंजाल्विस की फिल्म 'द एलिफैंट व्हिस्परर्स' ने औस्कर अवार्ड जीत कर इतिहास रचा है. इस की कहानी अकेले छोड़ दिए गए हाथी और उस की देखभाल करने वालों के बीच अटूट बंधन है.
भारत भूमि युगे युगे
संक्षेप में भारतीय राजनीति
सौंदर्य प्रसाधनों से होने वाले गंभीर रोग
सौंदर्य प्रसाधनों में भारत दुनिया का तेजी से उभरने वाला बाजार है. भारत का दुनियाभर में चौथा स्थान है जहां से सौंदर्य प्रसाधन इंडस्ट्री रैवेन्यू इकट्ठा करती है. लेकिन जितनी बड़ी यह इंडस्ट्री है उसी तरह के खतरे भी इस से पैदा हुए हैं. सवाल यह कि सुंदरता किसे कहा जाए, बाहरी लीपापोती को या अंदरूनी व्यक्तित्व को?
हैप्पीनेस इंडैक्स में 126वीं रैंक भारत से खुशी गायब
संयुक्त राष्ट्र खुशी सूचकांक में भारत को 126वां रैंक मिला है यानी भारत में लोग बेतहाशा दुख में हैं. यह सही है कि देश को तमाम तरह की समस्याएं घेरे हुए हैं लेकिन पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल जैसे देशों जहां गरीबी, राजनीतिक अस्थिरता व्याप्त है, उन से भी हमारा पिछड़ना गंभीर सवाल छोड़ जाता है.
अमृतपाल और लाचार सिस्टम
न तो खालिस्तान की मांग नई है और न ही हिंदू राष्ट्र की. ये दोनों ही देश को नुकसान पहुंचा रही हैं. अमृतपाल के बहाने आइए देखें कि अलगाव की मानसिकता क्यों पनपती है और उस का हल क्या है.
पर्यटन का बढ़ता कारोबार
पर्यटन बिजनैस से न सिर्फ किसी देश की जीडीपी में बढ़ोतरी होती है बल्कि वहां के लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी खुलते हैं. भारत में पर्यटन कारोबार कोरोनाकाल के बाद अब फिर से पटरी पर आ रहा है, जिस से देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है.
जरूरी मोबाइल औनलाइन एप्लीकेशंस
कहीं घूमने जा रहे हैं तो उस की प्लानिंग पहले ही करनी बेहतर होती है. इस से गलतियां कम होती हैं और ट्रिप का मजा दोगुना हो जाता है. ऐसे में जरूरी है कि उन ऐप्स का इस्तेमाल किया जाए जो आप की ट्रिप को सुविधाजनक और आसान बनाएं.
ग्रुप टूरिज्म - एक सुंदर एहसास
बड़े शहरों में भीड़भाड़ और शोरशराबा युवाओं की मैंटल हैल्थ पर असर डाल रहा है. इस के लिए ब्रेक ले कर कहीं टूर पर निकल पड़ना अच्छा विकल्प है.
होम स्टे - घर जैसा आनंद
छुट्टियों में जब हम घूमने के इरादे से निकलते हैं तो सब से पहला खयाल दिल में आता है कि हम रहेंगे कहां होटल और रिसोर्ट में ठहरना जहां बड़ा खर्च कराता है वहीं पर अपने मनमुताबिक खाना भी नहीं मिलता. मगर होम स्टे सुविधा ने पर्यटकों की ये दिक्कतें खत्म कर दी हैं. पर्यटकों के लिए होम स्टे कई मानो में खास और बेहतर चुनाव है. आइए जानते हैं कैसे.