CATEGORIES

देहरी पर ठिठकी धूप
Samay Patrika

देहरी पर ठिठकी धूप

समलैंगिकता पर बहस जब छिड़ती है तो हवाएं अक्सर तेज बहने लगती हैं। मगर धारा 377 के हटाए जाने के बाद कुछ बदला जरुर है।

time-read
1 min  |
September 2022
लोग जो मुझमें रह गए
Samay Patrika

लोग जो मुझमें रह गए

कुछ लोग जब आपमें छप जाते हैं, आप उन्हें आसानी से भुला नहीं सकते। कुछ यादें जब मिटती नहीं, तो उनके हिस्से आपमें ही रह जाते हैं।

time-read
1 min  |
September 2022
सेंसेक्स क्षेत्रीय दलों का
Samay Patrika

सेंसेक्स क्षेत्रीय दलों का

ख़ास किताब - भारतीय राजनीति में क्षेत्रीय दलों का उदय

time-read
3 mins  |
September 2022
मौत के मुँह में जाकर लिखी 'मृत्यु - कथा'
Samay Patrika

मौत के मुँह में जाकर लिखी 'मृत्यु - कथा'

कसी संकटग्रस्त इलाके में रहना- जीना तो मुश्किल होता ही है मगर उससे ज्यादा कठिन होता है वहां रहकर पत्रकारिता करना।

time-read
3 mins  |
September 2022
रिपोर्टिंग इंडिया - पत्रकारिता और 70 साल का सफ़र
Samay Patrika

रिपोर्टिंग इंडिया - पत्रकारिता और 70 साल का सफ़र

'रिपोर्टिंग इंडिया' भारतीय पत्रकारिता जगत् में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानेवाले, प्रेम प्रकाश के जीवन और समय का एक रोचक वर्णन है। एक फोटोग्राफर, फिल्म कैमरामैन और स्तंभकार के रूप में प्रकाश ने अपने लंबे और शानदार कैरियर के दौरान देश-विदेश की प्रमुख घटनाओं को कवर किया और इस दौरान प्राकृतिक आपदाओं, युद्धों, सैन्य तख्तापलट और उग्रवाद के गवाह भी बने। यह पुस्तक प्रकाश जी के बेमिसाल काम की सराहना करती है, जिसमें उनके व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन की विस्तृत जानकारी दी गई है। साथ ही उनकी ओर से कवर की गई सबसे प्रभावशाली खबरों की यादें भी ताजा करती है, जिनमें 1962 के भारत-चीन युद्ध से लेकर पाकिस्तान के खिलाफ 1965 और 1971 के युद्ध और आपातकाल से लेकर इंदिरा गांधी की हत्या तक शामिल हैं। साथ ही, लाल बहादुर शास्त्री की दुर्भाग्यपूर्ण ताशकंद यात्रा से लेकर बांग्लादेश की मुक्ति और जवाहरलाल नेहरू के निधन से लेकर नरेंद्र मोदी के उत्थान तक की खबरें शामिल हैं। पढ़ने में बेहद दिलचस्प यह पुस्तक भारतीय इतिहास के कुछ निर्णायक क्षणों को जीवंत बना देती है।

time-read
4 mins  |
September 2022
बड़ा सोचें, बड़ा करें
Samay Patrika

बड़ा सोचें, बड़ा करें

जीवन में सोचकर, जानकार और समझकर सफलता हासिल की जा सकती है

time-read
1 min  |
September 2022
श्रेष्ठ बनने के मार्ग पर 7 डिवाइन लॉज़
Samay Patrika

श्रेष्ठ बनने के मार्ग पर 7 डिवाइन लॉज़

जिस प्रकार भौतिक घटना विधानों से बँधी होती है, उसी प्रकार जीवन यात्रा को नियंत्रित करने के लिए आध्यात्मिक विधान होते हैं। उनकी जानकारी से हम समझ पाते हैं कि कुछ लोग इतनी आसानी से सफल कैसे हो जाते हैं, जबकि दूसरों के लिए सफलता एक संघर्ष बनी रहती है

time-read
5 mins  |
July 2022
अंतर्मन की ओर
Samay Patrika

अंतर्मन की ओर

यह पुस्तक हमें विचलित विचारों को शांत करने के लिए ध्यान का उपयोग कर वर्तमान में जीने, अपनी ऊर्जा को फिर से केंद्रित कर समस्याओं को दूर करने तथा उत्तरोत्तर आगे बढ़ने के साधन उपलब्ध कराती है

time-read
5 mins  |
July 2022
कुबेर की जीवन-गाथा के जरिए सामाजिक और आर्थिक विचार
Samay Patrika

कुबेर की जीवन-गाथा के जरिए सामाजिक और आर्थिक विचार

कुबेर : लंका का पूर्व राजा

time-read
1 min  |
July 2022
मनुष्यता और प्रेम की वैचारिक पृष्ठभूमि तैयार करती कविताएँ
Samay Patrika

मनुष्यता और प्रेम की वैचारिक पृष्ठभूमि तैयार करती कविताएँ

आदमी बनने के क्रम में

time-read
4 mins  |
July 2022
'किताबें तब तक ही बची रहेंगी जब तक कि वे कागज़ पर लिखी जाएँगी'  डॉ. अबरार मुल्तानी
Samay Patrika

'किताबें तब तक ही बची रहेंगी जब तक कि वे कागज़ पर लिखी जाएँगी' डॉ. अबरार मुल्तानी

डॉ. अबरार मुल्तानी एक बेस्टसेलर लेखक हैं, जिनकी किताबों के विषय विविध हैं। वे पेशे से चिकित्सक हैं। डॉ. मुल्तानी ने हिंदी और अंग्रेजी में कई सेल्फ हेल्प पुस्तकों की रचना की है, जिन्हें खूब पढ़ा जाता है। सोशल मीडिया पर भी वे काफी सक्रिय रहते हैं तथा उनके फोलॉवर्स की संख्या लाखों में है। दो साल पूर्व उन्होंने मैंड्रेक पब्लिकेशंस की शुरुआत की थी। इस प्रकाशन के जरिए क्लासिक कृतियों के साथ-साथ नए लेखकों को एक बहुत शानदार मंच मिला है। पिछले दिनों डॉ. अबरार मुल्तानी ने स्कूली शिक्षा पर एक खास किताब 'मत रहना स्कूल के भरोसे प्रकाशित की जिसमें उन्होंने शिक्षा, छात्र, अध्यापक आदि पर विस्तृत चर्चा की है। समय पत्रिका ने उनकी इस नई पुस्तक तथा प्रकाशन-लेखन से संबंधित कई विषयों पर चर्चा की, प्रस्तुत हैं बातचीत के मुख्य अंश :

time-read
9 mins  |
July 2022
कुछ अलग, कुछ ख़ास
Samay Patrika

कुछ अलग, कुछ ख़ास

सन्मति पब्लिशर्स ने तीन ख़ास किताबों को प्रकाशित किया जिन्हें पाठक खूब पसंद कर रहे हैं।

time-read
2 mins  |
July 2022
देखो हमरी काशी बनारस का शब्द - चित्र बनाती जीवन-यात्रा
Samay Patrika

देखो हमरी काशी बनारस का शब्द - चित्र बनाती जीवन-यात्रा

यह पुस्तक संस्मरण विधा में एक नवोन्मेष है। यह संस्मरण काशी की संस्कृति और बनारसी जीवन का रंगमंच प्रतीत होता है। इसमें वर्णित व्यक्तियों के जरिए काशी की संस्कृति, परंपरा और जीवनधारा की खोज की गई है। जो सदियों से सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन के अपरिहार्य अंग रहे हैं। ऐसे लोगों को केंद्र में रखकर कथा बुनी गई है। इस पुस्तक के पात्र चाहे जो हों, वे सामाजिक जीवन में साधारण भले माने जाते हों, पर कथा में वे असाधारण हैं।

time-read
9 mins  |
July 2022
मनुष्य, पृथ्वी और अंतरिक्ष...
Samay Patrika

मनुष्य, पृथ्वी और अंतरिक्ष...

लगभग हर चीज़ का संक्षिप्त इतिहास

time-read
10+ mins  |
July 2022
'सोचा नहीं था कि पाँच किताबें कभी लिख पाऊँगा'
Samay Patrika

'सोचा नहीं था कि पाँच किताबें कभी लिख पाऊँगा'

आमतौर पर ये कम ही देखा जाता है कि टेलीविजन के पत्रकार लगातार लिखते हैं फिर चाहे वो कॉलम हो या किताबें। भोपाल में रहने वाले और एबीपी न्यूज में लंबे समय से स्टेट ब्यूरो संभाल रहे ब्रजेश राजपूत इस मामले में अलग हैं। पिछले सात सालों में वे पाँच किताबें लिख चुके हैं। इनमें दो किताबें मध्यप्रदेश के पिछले विधानसभा चुनावों पर तो, दो किताबें टेलीविजन के पर्दे के पीछे की छिपी हुई कहानियों पर हैं। दो साल पहले एमपी में हुए सत्ता परिवर्तन पर भी उनकी रोचक किताब 'वो सत्रह दिन' प्रकाशित हुई थी जिसे बहुत दिलचस्पी से पढ़ा गया। ब्रजेश राजपूत अपनी नयी किताब 'ऑफ़ द कैमरा लेकर आये हैं जिसमें टीवी रिपोर्टिंग के किस्से हैं। ये वो किस्से हैं जिनको उन्होंने टीवी रिपोर्टिंग के दौरान देखा और बाद में विस्तार से इन पर लिखा। ये किस्से कोरोना काल की करुण कथाएँ हैं तो सत्ता परिवर्तन की उठापटक और बदलावों में कितना और क्या बदला ये बताते हैं। 'ऑफ द कैमरा' किताब के इन पैंसठ किस्सों को पढ़कर आपको घटनास्थल पर खड़े होने का अहसास तो होगा ही, किस्सों में समाये दर्द को भी पाठक महसूस कर पायेंगे। समय पत्रिका ने लेखक ब्रजेश राजपूत से बात की:

time-read
1 min  |
May 2022
यूरोप का पहला सफ़रनामा
Samay Patrika

यूरोप का पहला सफ़रनामा

18 वीं शताब्दी मुग़ल साम्राज्य के पतन के साथ-साथ यूरोपीय शक्तियों विशेष रूप से अंग्रेज़ों के उत्थान की शताब्दी है।

time-read
1 min  |
May 2022
गरिमा और करुणा का संसार
Samay Patrika

गरिमा और करुणा का संसार

इस संग्रह की कहानियों में ऐसी स्मृतियाँ और अनभिव विन्यस्त हैं जिनमें खिले हुए रंगीन फूलों की खुशबू और उन्माद है तो खुले घाव से रिसते दर्द की कसक भी है।

time-read
1 min  |
May 2022
क्लासरूम में चाणक्य - विद्यार्थियों के लिए चाणक्य नीति
Samay Patrika

क्लासरूम में चाणक्य - विद्यार्थियों के लिए चाणक्य नीति

"काम, क्रोध, लोभ, स्वाद, शृंगार (रति), कौतुक (मनोरंजन), अति निद्रा एवं अति सेवा- विद्या की अभिलाषा रखनेवाले को इन आठ बातों का त्याग कर देना चाहिए।” - चाणक्य

time-read
1 min  |
May 2022
आवाज़ें काँपती रहीं - मानवीय सम्बन्धों का मार्मिक आख्यान रचती कहानियाँ
Samay Patrika

आवाज़ें काँपती रहीं - मानवीय सम्बन्धों का मार्मिक आख्यान रचती कहानियाँ

हिन्दी कहानी के लिए यह परम्परा और परिवर्तन के बीच का संक्रमण-काल है।

time-read
1 min  |
May 2022
शैडो - भटकती आत्माओं का रहस्य
Samay Patrika

शैडो - भटकती आत्माओं का रहस्य

सम्मोहन क्रिया, तंत्र विद्या और मृत आत्माओं के बारे में काल्पनिक साहित्य में प्राचीन काल से बहुत कुछ लिखा गया है।

time-read
1 min  |
May 2022
लक्खा सिंह - थोड़ा है थोड़े की ज़रूरत है
Samay Patrika

लक्खा सिंह - थोड़ा है थोड़े की ज़रूरत है

एक कोलियरी(कोयला खान) में फिटर के पद पर कार्यरत सरदार लक्खा सिंह के हवाले से कोयलांचल में सीसीएल, बीसीसीएल, एनसीएल, एसईसीएल या ईस्टर्न कोल्फील्ड्स जैसे बैनर्स के तले जीवन बसर कर रहे साधारण लोगों की ज़िंदगी का लेखक ने बड़ा ही बेबाक और रोचक वर्णन किया है।

time-read
1 min  |
May 2022
रुको मत, आगे बढ़ो
Samay Patrika

रुको मत, आगे बढ़ो

स्वामी विवेकानंद व्यक्ति को जाति, धर्म के नजरिए से न देखकर उन्हें समान से देखते थे। देश की भूखी और अज्ञानी जनता में आत्मविश्वास उत्पन्न करने के लिए वे कहते थे कि उठो, जागो और तब तक मत रुको, जब तक तुम अपने लक्ष्य को न पा लो।

time-read
1 min  |
May 2022
ब्लैक वॉरंट तिहाड़ जेल के जेलर की इनसाइड स्टोरी
Samay Patrika

ब्लैक वॉरंट तिहाड़ जेल के जेलर की इनसाइड स्टोरी

यह पुस्तक दरशाती है कि जेलरों को भी अपनी ही प्रणाली के हाथों कैद होना पड़ता है। अपर्याप्त वेतन और अधिक काम के बोझ से दबे वहाँ के कर्मचारी इतने अप्रशिक्षित एवं संसाधन-विहीन हैं कि वे कैदियों के सुधार को लागू कर पाने में पूर्णतया अक्षम हैं। उनमें से अधिकांश उत्पीड़ित लोग आगे चलकर स्वयं उत्पीड़क बन जाते हैं।

time-read
1 min  |
May 2022
अंतर्मन की ओर - सांसारिक जीवन में ध्यान की आवश्यकता
Samay Patrika

अंतर्मन की ओर - सांसारिक जीवन में ध्यान की आवश्यकता

खास किताब

time-read
1 min  |
May 2022
यूपी चुनाव और राजनीति की तासीर
Samay Patrika

यूपी चुनाव और राजनीति की तासीर

उत्तर प्रदेश चुनाव 2022

time-read
1 min  |
March 2022
बच्चों को न सुनाने लायक बाल कथाए
Samay Patrika

बच्चों को न सुनाने लायक बाल कथाए

माया ने घुमायो

time-read
1 min  |
March 2022
पुलवामा अटैक
Samay Patrika

पुलवामा अटैक

सच्ची घटनाओं पर आधारित उपन्यास

time-read
1 min  |
March 2022
नर्मदा नदी की विलक्षण सांस्कृतिक कथा
Samay Patrika

नर्मदा नदी की विलक्षण सांस्कृतिक कथा

यह उपन्यास नर्मदा के साथ हमें भारत की सनातनी संस्कृति के बारे में बहुत कुछ समझाने का प्रयास करता है।

time-read
1 min  |
March 2022
कारगिल एक यात्री की जुबानी
Samay Patrika

कारगिल एक यात्री की जुबानी

शहीदों ने भी जब देश पर जान कुरबान की होगी तो उन्होंने सोचा ही होगा कि हमारे देशवासी हमारी स्मृति, हमारी सोच एवं हमारी वैभवपूर्ण विरासत को जीवित रखेंगे और यही सोच हमारी युवा पीढ़ी को देश की सेवा के लिए प्रेरित करती रहेगी।

time-read
1 min  |
March 2022
अरब देशों के बारे में महात्मा गांधी की सोच
Samay Patrika

अरब देशों के बारे में महात्मा गांधी की सोच

बीते कुछ दशकों में अरब देशों ने अतिवाद, हिंसा और आतंकवाद की सबसे घिनौनी और खौफनाक तसवीरों को देखा है, जिन्हें धर्म के नाम पर ध्रुवीकरण करनेवाली सोच और तकरीरों से भड़काया व उकसाया जाता है। ऐसे विचारों और तकरीरों से नफरत व खून-खराबा को बढ़ावा दिया जाता है, जिससे समाज बँट जाता है और सभ्यता की बुनियाद ही खतरे में पड़ जाती है। अगर ऐसी सोच का इलाज नहीं होगा, तो उनका अंतिम परिणाम खतरनाक बौद्धिक भटकाव के रूप में दिखेगा, जो सारे अरब देशों को निराशा, हताशा, संकट एवं विघटन के गर्त में धकेल देगा। इन मुश्किल और निराशाजनक परिस्थितियों के बीच लेखक महात्मा गांधी की बौद्धिक विरासत को फिर से याद करते हैं और उनके मुख्य संदेशों पर विचार करते हैं। उनके जीवन के विभिन्न चरणों के माध्यम से लेखक उन विरोधाभासी परिस्थितियों पर रोशनी डालते हैं, जो पहले से मौजूद थीं और जिनके कारण मुसलमानों की राय भारत से अलग हो गई, चाहे खिलाफत का मुद्दा हो या फिर गांधी के कुछ विचारों के प्रति मुसलमानों की आशंका। 'गांधी और इस्लाम' इस्लाम और मुस्लिम देशों के सामने आई चुनौतियों से गांधीवादी तरीके से निपटने का एक प्रयास है।

time-read
1 min  |
March 2022