Modern Kheti - Hindi - 1st November 2020Add to Favorites

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Benefits Paddy Straw

बकरी पालन-सफलता की सीढ़ी

बकरी के दूध में कैल्शियम, फास्फोर्स, मैग्नीशियम, पोटाशियम, क्लोरीन तथा जिंक की मात्रा गाय के दूध के मुकाबले ज्यादा होती है। बकरी के दूध के औषधीय गुणों का अंदाजा तो इस बात से ही लग सकता है कि पुरातन समय से गरीब आदमी बकरी के दूध का सेवन करता था क्योंकि उसके पास गाय पालने के लिए पैसे नहीं होते थे। गरीब आदमी में अमीरों के मुकाबले कोई बीमारियां कम होती थी। आजकल भी मच्छरों के मौसम में बकरी के दूध की मांग निरंतर बढ़ रही है।

बकरी पालन-सफलता की सीढ़ी

1 min

तारामीरा शुष्क क्षेत्रों के लिए वरदान

तारामीरा की खेती के लिए बलूई, दोमट एवं दोमट मिट्टी अधिक उपयुक्त रहती है। साधारणतया वर्षा उपरांत नमी को संरक्षित करते हुए खेत को पाटा लगाकर समतल करते हुए खेत की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। नमी संरक्षण एवं खरपतवार नियंत्रण हेतु प्रत्येक हल्की जुताई के बाद पाटा अवश्य लगाएं।

तारामीरा शुष्क क्षेत्रों के लिए वरदान

1 min

फसली अवशेष प्रबंधन एक चुनौती

धान व गेहूं दोनों ही फसलें ऐसी हैं जो संभवतः अधिकतम प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करती हैं। इन फसलों में बहुत अधिक जल, रासायनिक खाद व दवाओं का प्रयोग होता है। इन्हीं फसलों के अधिकतर अवशेषों में आग लगाई जाती है। ये दोनों फसलें आमतौर पर अधिक उत्पादकता वाले क्षेत्रों में उगाई जाती हैं।

फसली अवशेष प्रबंधन एक चुनौती

1 min

दुधारू पशुओं का दुग्ध उत्पादन एवं गर्भावस्था में आहार प्रबंधन

हरा चारा भरपूर मात्रा में उपलब्ध हो तो दुधारू पशुओं के लिए बहुत अच्छा रहेगा। अच्छे हरे चारे जैसे बरसीम, जई और ज्वार इत्यादि की दो तिहाई मात्रा और एक तिहाई भूसा देना सर्वोत्तम रहेगा और दुधारू पशु 6-8 लीटर तक दुग्ध उत्पादन मामूली दाना मिश्रण की मात्रा के साथ बनाये रख सकता है।

दुधारू पशुओं का दुग्ध उत्पादन एवं गर्भावस्था में आहार प्रबंधन

1 min

मूंगफली में समन्वित कीट प्रबंधन

अधिकतर हानिकारक कीट-पतंगे जैसे हरीलट, कातरा, सफेद लट आदि के व्यस्क प्रकाश की तरफ आकर्षित होते हैं। रात्रि में लाईट ट्रेप लगाकर इनका नियंत्रण कर सकते हैं। किसान खेत में बल्ब या लालटेन रात्रि में जलाकर उसके नीचे पानी की परात भरकर रख दें एवं उसमें थोड़ा मिट्टी का तेल डाल दें।

मूंगफली में समन्वित कीट प्रबंधन

1 min

आधुनिक कृषि का पर्यावरण पर प्रभाव

सारांश : आधुनिक कृषि प्रणाली के प्रयोग से खाद्यान्न उत्पादन में अविश्वसनीय वृद्धि हुई है जिसके फलस्वरूप देश ने खाद्यान्न उत्पादन न सिर्फ आत्मनिर्भरता प्राप्त कर ली है अपितु खाद्यानों का निर्यात दूसरे देशों में भी किया जा रहा है। आधुनिक कृषि प्रणाली में उपयोगी आधुनिक विधियां जैसे उन्नत किस्म के बीजों का प्रयोग, भारी मात्रा में रासायनिक खादों का प्रयोग एवं कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग से पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है जिसके कारण अनियंत्रित वर्षा, सूखा, बाढ़ एवं भूस्खलन जैसे घटनाओं ने किसानों को भूखमरी के कगार पर ला खड़ा किया है।

आधुनिक कृषि का पर्यावरण पर प्रभाव

1 min

गेहूं की मेड़ पर बिजाई करने का तरीका और फायदे

हरियाणा में गेहूं की खेती रबी सीजन में है तथा दक्षिणी हरियाणा खासकर रेवाड़ी जिले के किसान गेहूं उत्पादन में अच्छी मेहनत करते हैं। यहां के किसान अभी तक सीड ड्रिलिंग मशीन से ही गेहूं की बिजाई करते हैं।

गेहूं की मेड़ पर बिजाई करने का तरीका और फायदे

1 min

हरे चारे के लिए ज्वार की खेती

ज्वार खरीफ मौसम की सबसे महत्वपूर्ण चारे की फसल है। यह पोषक तत्वों से भरपूर स्वादिष्ट चारा है जिसे जानवरों को हरा या सुखाकर साईलेज बनाकर खिलाया जा सकता है।

हरे चारे के लिए ज्वार की खेती

1 min

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Modern Kheti - Hindi Magazine Description:

YayıncıMehram Publications

kategoriBusiness

DilHindi

SıklıkFortnightly

Modern Kheti, as the name indicates, relates to the modern agricultural techniques; conservative and cash crops, allied professions and farm machinery through training programs or upcoming events on a national and international level. Introduced in 1987, it is the leading and most widely read agriculture based magazine throughout Northern India. Punjab and Haryana, extensively known as the food grain basket of India, has in almost every household Modern Kheti, as it caters to every aspect of farming like growing of seasonal crops, their problems & solutions, conservative and cash crop farming. It also covers – fishery, poultry dairy, bee keeping, floriculture, horticulture etc. The main aim of Modern Kheti is to keep up the spirit of farming, bond different regions and help agriculture grow. It inspires the youth to take up agriculture as farming with a lot of emphasis on organic and profitable farming. It keeps in mind the health and prosperity of all i.e. taking mankind and nature together. It is published Fortnightly in Punjabi and Hindi and covers the whole of Punjab, Haryana, Rajasthan, Himachal Pradesh, Uttaranchal etc. It is undoubtedly one of the best mediums trying to provide healthy information.

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