तारामीरा, राया सरसों समूह की एक तिलहनी फसल है। इसमें तेल की मात्रा 32 से 37 प्रतिशत तक पाई जाती है। राजस्थान में इसकी खेती रबी में सुखा प्रभावित क्षेत्रों जैसे नागौर, पाली, बीकानेर, बाड़मेर व जयपुर जिलों में मुख्य रूप से की जाती है। कम उपजाऊ भूमि व सूखा सहने की क्षमता के कारण संरक्षित नमी में इसकी फसल सफलतापूर्वक ली जा सकती है। जिन क्षेत्रों में वर्षा काल के पश्चात खेतों में बुवाई नहीं हो पाती है वहां इस फसल को मावठ के बाद भी देरी से बुवाई की जा सकती है। राजस्थान राज्य तारामीरा के उत्पादन में उन्नत किस्मों के विकास में अग्रणी राज्य है।
भूमि का चुनाव व खेत की तैयारी : तारामीरा की खेती के लिए बलूई, दोमट एवं दोमट मिट्टी अधिक उपयुक्त रहती है। साधारणतया वर्षा उपरांत नमी को संरक्षित करते हुए खेत को पाटा लगाकर समतल करते हुए खेत की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। नमी संरक्षण एवं खरपतवार नियंत्रण हेतु प्रत्येक हल्की जुताई के बाद पाटा अवश्य लगाएं।
बीज की दर व बीज उपचार : खेत में नमी के स्तर को ध्यान में रखते हुए बीज की मात्रा का निर्धारण करें। आमतौर पर 4 से 5 किलो बीज प्रति हैक्टेयर उपयुक्त रहता है। बीजों को 2 से 3 ग्राम मैनकोजेब प्रति किलो की दर से उपचारित कर बोये।
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किसानी मसलों का शाश्वत समाधान कैसे हो?
आज के भारतीय किसान संघर्ष ने दुनिया के इतिहास में विलक्षण तारीख लिख दी है। सरकार जितनी जोर के साथ इस संघर्ष को कुचलने का प्रयत्न कर रही है, इस संघर्ष की पकड़ उससे भी ज्यादा मजबूत होती जा रही है।
किसान आंदोलन निर्णय की प्रतीक्षा में...
भारत सरकार ने इस वर्ष किसानों के नाम पर तीन कानून लागू किये हैं। पहला किसान सुशक्तिकरण और संरक्षण कीमत असवाशन और खेती सेवा समझौता कानून, दूसरा किसान उत्पादन व्यापार और व्यापार प्रोत्साहन और सुविधा कानून और तीसरा जरूरी वस्तु (संशोधन) अध्यादेश ।
गोभी वर्गीय फसलों में घातक काला सड़न (ब्लैक रोट) रोग व रोकथाम
पौधों की पत्तियों पर अंग्रेजी के अक्षर वी के आकार के हरितहीन, मुरझाए हुए धब्बे बनने शुरू होते हैं, जो बाद में पूरी पत्ती पर फैल जाते हैं। इस तरह से पत्ती एक और के किनारे से सूखना और मुड़ना आरंभ कर देती है और बाद में सूखकर मर जाती है। पत्तियों की नसें अंदर से काली पड़ जाती हैं। पौधों के तनों के अंदर भी काले रंग का द्रव्य दिखाई पड़ता है जो कि संक्रमण का कारण बनता है।
आखिर क्यों है खेती कानूनों को लेकर किसानों का विरोध?
इन दिनों में किसान खेती कानूनों के विरूद्ध लड़ाई लड़ रहा है, जो उसके अस्तित्व के लिए खतरा बन रहे हैं और जिन्होंने उसको शारीरिक, आर्थिक और भावनात्मिक तौर पर प्रभावित किया है।
पशुपालक की जागरूकता समय की आवश्यकता
पशुपालक गलती करके पीड़ित पशु के मुंह में हाथ डाल बैठते हैं, जिससे वो रेबीज से पीड़ित हो जाते हैं। कुछ पशुओं में पशु धरती पर पांव मार मार के गिरने लगते हैं तथा बेकाबू हो जाते हैं। कुछ पशुओं में अधरंग हो जाता है तथा पशु की मौत भी हो जाती है।
डेयरी पशुओं को खरीदते समय प्रजनन जांच जरूरी क्यों?
कई बार तो ऐसी स्थिति हो जाती है कि पशुपालक मंडी में से पशु को गाभिन समझ कर खरीद कर ले आते हैं, घर में नए आए पशु के पोषण का उचित ध्यान भी रखा जाता है, प्रबंधन में कोई कमी नहीं रखी जाती, पर पशु ब्याहता नहीं है।
कृषि में साइट-विशिष्ट पोषक तत्व प्रबंधन का महत्व
किसान अकसर उर्वरक को एक दर एवं एक समय पर फसलों में डालते हैं जो कि उनकी फसल की जरूरतों के अनुरूप नहीं होता है साइटविशिष्ट पोषक तत्व प्रबंधन उन सिद्धांतों और दिशानिर्देशों को प्रदान करता है
संघर्ष 'अन्नदाता' के अधिकारों का...
संघर्ष 'अन्नदाता' के अधिकारों का...
किसान संघर्ष एक नये युग का आगाज
कृषि कानूनों को रद्द करवाने के लिए शुरु हुआ किसान संघर्ष आज आंदोलन का एक रुप धार चुका है। युवक, बच्चे एवं बुजुर्ग काबिल-ए-तारीफ ढंग से दिल्ली में अपनी आवाज़ पहुंचाने में सफल हुए हैं।
कृषि अध्यादेश बनाम किसान
अंकित यादव (शोध छात्र), देवेन्द्र सिंह (असि. प्रो.), अंशुल सिंह (शोध छात्र), सत्यवीर सिंह (शोध छात्र ), चंद्रशेखर आजाद
NUTRIENT STEWARDSHIP
New 4R Certification Program Launches With Help of Major Ag Figures
What Christmas means to me...chaos
When it comes to presents, Green goddess Marama repurposes it with love from the op shop.
श्री विधि से धान की खेती
यह धान की खेती की ऐसी तकनीक है, जिस में बीज, पानी, खाद और मानव श्रम का समुचित तरीके से इंतजाम करना शामिल है, जिस का मकसद प्रति इकाई क्षेत्रफल में ज्यादा से ज्यादा उत्पादकता बढ़ाना है.
Keeping Your Edibles Happy
Tend your crops for a great harvest this year, says Ruth
सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल से करें बोआई
सीड कम फर्टिलाइजर कृषि यंत्र से एक ही बार में खाद व बीज खेत में डाला जाता है. इस यंत्र के इस्तेमाल से खाद व बीज का सही इस्तेमाल होता है और भरपूर फसल पैदावार भी मिलती है.