एक स्त्री का प्रभाव उसके पति पर ही नहीं, वरन् पूरे परिवार पर पड़ता है। एक स्त्री घर का आधार होती है। उसी से घर प्रसिद्धि प्राप्त करता है। स्त्री के कर्मों से ही परिवार यश तथा अपयश प्राप्त करता है।
शास्त्र कहता है कि यदि स्त्री दुर्भाग्य तथा अशुभता लेकर घर में आई है, तो पुरुष जातक का जन्म कितने ही राजयोगों के साथ हुआ हो, लेकिन पहले उसे स्त्री के दुर्भाग्य के फलों को भोगना होगा और वहीं यदि स्त्री सौभाग्य तथा राजयोग लेकर घर में आई है, तो फिर र पुरुष के ग्रह चाहे कितने ही विपरीत हों, कुयोग हों, लेकिन स्त्री का सौभाग्य उसे अपना फल देने लगता है और यह केवल स्त्री पर ही लागू नियम है, अत: एक स्त्री का जीवन में बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान होता है और इसी कारण विवाह के समय मनुष्य सौभाग्यवती स्त्री की तलाश ही अधिक करता है। ऐसे कुछ योग जन्मपत्रिका में बन रहे हों, तो वह स्त्री बहुत ही कुलवर्धिनी और सौभाग्यशालिनी होती है। इनके कुछ सूत्र निम्नलिखित हैं:
1. जब स्त्री की जन्मपत्रिका में चन्द्रमा लग्न में हो अथवा लग्न को देखता हो, दशम भाव में बुध स्थित हो और लाभ भाव में सूर्य स्थित हो, तो ऐसी स्त्री घर की बरकत तथा सुख के लिए बहुत ही सौभाग्यशालिनी होती वह रूपवती, गुणवती होती है और सरकारी नौकरी में किसी अच्छे पद पर बैठती है अथवा उसके कर्मों से उसका पति सरकारी अफसर या व्यवसायी होता है।
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शराब की लत छुड़ाने के सरल उपाय!
नशा एक बहुत ही नकारात्मक और परिवारों को नष्ट करने वाला होता है और इसी नशे की लत के चलते जातक अपने घर, कॅरिअर आदि सब-कुछ बर्बाद कर देता है।
वास्तु शास्त्र से जानें कौनसे पेड़ लगाने चाहिए और कौनसे नहीं?
घर के समीप अशुभ वृक्ष लगे हों और उनको किसी कारण से नहीं काट सकते हों, तो अशुभ वृक्ष और घर के बीच में शुभ फल वाले वृक्ष लगा देने चाहिए।
अहिंसा के प्रवर्तक भगवान् महावीर
जैन धर्म की चार संज्ञाओं का बहुत महत्त्व है। प्रथम संज्ञा है 'जिनेन्द्र' अर्थात् जिन्होंने इन्द्रियों को जीतकर अपने वश में कर लिया है। दूसरी ‘अरिहंत’ अर्थात् जिन्होंने केवल ज्ञान प्राप्त किया है। तीसरी संज्ञा 'तीर्थंकर' है।
ज्योतिष और वैवाहिक सुख
जन्मपत्रिका में शुक्र ग्रह हमारे मानव जीवन में अहम स्थान रखते हैं। यह समस्त प्रकार के भौतिक सुख-सुविधाओं का कारक शुक्र ही है।
वक्री ग्रहों की आध्यात्मिक विवेचना
अपनी जन्मपत्रिका में वक्री ग्रह को पहचानकर कोई भी व्यक्ति उस वक्री ग्रह द्वारा परोक्ष रूप से दी जाने वाली सीख को आत्मसात करके अपने जीवन को सरल बना सकता है।
नववर्ष का अभिनन्दन
भारत के विभिन्न हिस्सों में नववर्ष अलग-अलग तिथियों को मनाया जाता है। प्रायः ये तिथियाँ मार्च और अप्रैल के माह में आती हैं। पंजाब में नया साल बैसाखी के नाम से 13 अप्रैल को मनाया जाता है।
सर्वसिद्धि-फल प्रदाता पाँच यज्ञ
पाँच यज्ञ जातक प्रतिदिन कर ले, तो उसके सारे रोग, सन्ताप एवं बुरे कर्म ऐसे नष्ट होने लगते हैं, जैसे अग्नि लकड़ी को जलाकर राख कर देते हैं।
नारी को शक्ति मानकर पूजना मात्र पर्याप्त नहीं...
स्त्री यदि वास्तव में दुर्गा एवं शक्ति का अवतार है, तो यह सम्मान उसे प्रत्येक स्तर पर मिलना ही चाहिए। चाहे वह धार्मिक क्षेत्र हो, राजनीति क्षेत्र हो, आर्थिक क्षेत्र हो या शिक्षा हो।
शक्ति की आराधना का पर्व है नवरात्र
रात्रि रूपा यतो देवी दिवा रूपो महेश्वरः रात्रि व्रतमिदं देवी सर्वपाप प्रणाशनम्
ऊर्जा प्रदायिनी आद्याशक्ति
नवरात्र का पर्व व्यक्ति के भीतर स्थित आसुरी शक्ति (काम, क्रोध, असत्य, अहंकार आदि) को नष्ट कर दैवीय सम्पदा के तत्त्वों का प्रार्दुभाव करता है।