आस्था और विश्वास की यात्रा अमरनाथ यात्रा
Jyotish Sagar|August 2023
बाहर की ओर जल की मोटी धारा में से थोड़ा-थोड़ा जल प्रसाद के रूप में एक व्यक्ति सबको देता है। यहीं पर यात्रा की समाप्ति के पश्चात् यात्री वापस लौटना आरम्भ कर देते हैं।
ज्योति प्रकाश खरे
आस्था और विश्वास की यात्रा अमरनाथ यात्रा

शुतोष भगवान् शिव की भारत के अलावा विश्व के अन्य देशों में भी पूजा होती है। भारत में जहाँ श्री रामेश्वरम्, काशी विश्वनाथ आदि प्रमुख श्री शिवस्थल हैं, वहीं कश्मीर प्रान्त में लगभग 14,000 फुट की ऊँचाई पर स्थित भगवान् शिव तथा पार्वती की पावन अमर कथा का महत्त्वपूर्ण संवाद केन्द्र श्री अमरनाथ जी के नाम से विश्वविख्यात है।

प्रत्येक वर्ष श्रावण माह में पहलगाम की घाटी में तीर्थ यात्रियों का सागर उमड़ता है। युग बीत गए, लेकिन आज भी सब कुछ वैसा ही है। आज भी अमरनाथ हमारे देश का शिरोमणि तीर्थ है। पुराणों में अमरनाथ यात्रा का प्रचलन वर्णित है और इसे ईसा से 1000 वर्ष पूर्व का माना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार अमरनाथ की गुफा में बैठकर भगवान् शिव ने माता पार्वती को अमरकथा सुनाई थी।

अमरनाथ के लिए एक धार्मिक मान्यता यह भी है कि यहाँ पर शंकर भगवान् ने मृत्यु पर विजय और आत्मज्ञान की प्राप्ति के लिए आराधना की थी। एक गड़रिए को बकरी चराते समय इस गुफा का पता चला था। उस मुसलमान गड़रिए के उत्तराधिकारी जो पहलगाम में रहते हैं, अभी भी चढ़ावे का चौथाई भाग लेते हैं।

अमरनाथ यात्रा का पहला पड़ाव पहलगाम पर रुकता है। जहाँ यात्री जम्मू से बसों तथा अपने निजी वाहनों द्वारा पहुँचते हैं। यहाँ पर बस मार्ग समाप्त हो जाता है और आगे का मार्ग यात्री पैदल या घोड़ों पर बैठकर तय करते हैं। आजकल पहलगाम से चन्दनबाड़ी तक लोग टैक्सी का सहारा भी ले लेते हैं। पहलगाम से अमरनाथ की गुफा 48 किलोमीटर दर है। पहलगाम दग्ध गंगा के किनारे एक रमणीक स्थान है। देवदार वृक्षों से घने वन और हरेभरे खेत यात्रियों को बहुत आकृष्ट करते हैं। यहाँ से यात्री गर्म कपड़े, जूते, छड़ी तथा पाँच दिन के लिए यात्रा में काम आने वाले पदार्थ खरीदते हैं। घोड़े किराये पर लेते हैं। पड़ावों पर रात बिताने के लिए तम्बू भी साथ रखे जाते हैं। वैसे तो इन दिनों प्रशासन द्वारा भी यात्रियों के द्वारा भुगतान किए जाने पर तम्बू आदि में रहने के स्थान की व्यवस्था सुलभ होती है।

This story is from the August 2023 edition of Jyotish Sagar.

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