विक्रम संवत् 2080 में श्रावण मास अधिक मास है। जिस चान्द्र अमान्त मास में सूर्य संक्रान्ति नहीं होती, वह 'अधिकमास' कहलाता है। अधिकमास के अन्तर्गत दो मास होते हैं, एक शुद्धमास एवं दूसरा मलमास। पूर्णिमान्त पद्धति से प्रथम मास का कृष्णपक्ष एवं द्वितीय मास का शुक्लपक्ष 'शुद्धमास' होता है। इस प्रकार इस वर्ष प्रथम श्रावण का कृष्णपक्ष एवं द्वितीय श्रावण का शुक्लपक्ष शुद्ध मास के रूप में होगा, वहीं प्रथम श्रावण का शुक्लपक्ष एवं द्वितीय श्रावण का कृष्णपक्ष 'मलमास' या 'अधिकमास' के रूप में होगा।
अधिकमास में जन्मतिथि, पुण्यतिथि, श्राद्ध, व्रत-उपवास-स्नान, संस्कार, शुभ कार्य इत्यादि के सम्बन्ध में धर्मशास्त्रीय एवं मुहूर्तशास्त्रीय जो व्यवस्था है, उसका संक्षेप में विवरण प्रस्तुत है।
जन्मतिथि और अधिकमास
यदि किसी व्यक्ति का जन्म अधिकमास के अन्तर्गत होता है, तो उसकी जन्मतिथि उसी माह में मानी जाती है। उदाहरण के लिए किसी शिशु का जन्म यदि प्रथम श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को होता है, तो आगामी वर्षों में उसकी जन्मतिथि श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को ही होगी।
यदि किसी जातक का जन्म पूर्व में किसी ऐसे मास में हुआ है, जो वर्ष विशेष के अन्तर्गत अधिकमास है, तो उस स्थिति में शुद्धमास के अन्तर्गत पड़ने वाली तिथि को उसकी जन्मतिथि होगी। उदाहरण के लिए किसी जातक का जन्म श्रावण शुक्ल एकादशी को हुआ था, तो इस वर्ष उसकी जन्मतिथि द्वितीय श्रावण के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आएगी। उसे अपना जन्मदिन शुद्ध मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही मनाना चाहिए। इस प्रकार उसका जन्मदिन 29 जुलाई, 2023 को न होकर, 27 अगस्त, 2023 को होगा।
पुण्यतिथि और अधिकमास
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