एक दिन सुबह धूप खिली थी, वे नदी के किनारे चल रहे थे, तो उन्होंने घने जंगल में एक रहस्यमय रास्ता देखा..
“क्या तुम्हें लगता है कि हमें उस रास्ते पर चल कर देखना चाहिए कि वह कहां जा रहा है?" मोहित ने रोशन से पूछा.
"जरूर, यह किसी छिपे खजाने या किसी जादुई प्राणी तक पहुंचा सकता है," मोहित ने शरारती के साथ कहा.
उस विचार के साथ वे घर गए और एक छोटे से बैग में स्नैक्स रख कर पैक किए. उन्होंने रोशन के बड़े भाई से एक नक्शा बनाने में मदद मांगी. उन्होंने मोहित के दादाजी से एक कंपास लिया और जंगल की तरफ चले गए.
जैसेजैसे वे घने जंगल में गए, पेड़ों की लंबाई बढ़ती गई और झाड़ियों से सरसराहट की आवाज सुनाई देने लगी. वे रुक गए, उन की धड़कनें बढ़ गई थीं.
"रुको रोशन, शोर मत करो. मुझे लगता है झाड़ी के पीछे कोई जानवर है," मोहित बोला.
वे रुके और इंतजार करने लगे, उन्होंने देखा कि एक छोटा सा रोएंदार प्राणी उन की तरफ देख रहा है.
"हैलो," मोहित ने अपना हाथ धीरे से उस की तरफ बढ़ाते हुए कहा, "हम शांति चाहते हैं."
प्राणी सावधानी से बाहर आया और उस ने अपना परिचय पिप के रूप में दिया. वह मिलनसार था और उस की हरी आंखें व झाड़ीनुमा पूंछ थी, जो हिल रही थी.
"क्या आप साहसी हो?" पिप ने उत्सुकता से पूछा.
"हां, हम साहसी हैं," मोहित चिल्लाया.
"हम कोई खजाना या जादुई जीव को खोजने आए हैं," रोशन ने कहा.
पिप की आंखें चमक उठीं.
"मैं उस जगह को जानता हूं,” उस ने कहा और उन्हें जंगल में और अंदर ले गया.
थोड़ी देर बाद वे एक साफसुथरे स्थान पर पहुंचे. उस के बीचोंबीच एक चमचमाता तालाब था. मोहित और रोशन का मुंह विस्मय से खुला का खुला रह गया,
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