Poging GOUD - Vrij
नाटो, पुतिन की महत्वाकांक्षा और वैश्विक समीकरणों के बीच भारत की स्थिति
DASTAKTIMES
|November 2022
संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि हमारा दृढ़ विश्वास है कि वैश्विक व्यवस्था अंतरराष्ट्रीय कानून, संयुक्त राष्ट्र चार्टर और राज्यों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान पर आधारित होनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि यूक्रेन संघर्ष के लिए भारत का दृष्टिकोण मानव - केन्द्रित बना रहेगा। कम्बोज ने कहा कि संघर्ष से पहले ही अनगिनत जानें जा चुकी हैं और लोगों की खासतौर पर महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों की जिंदगी नारकीय बन चुकी है।

रूस- यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष ने विश्वभर के कूटनीतिक समीकरणों को एक असहज स्थिति में डाला है। राष्ट्रों में यह गंभीर सोच-विचार का विषय बना है। संयुक्त राष्ट्र महासभा, सुरक्षा परिषद या अन्य फोरमों की बैठक में किसके पक्ष में मतदान किया जाए या मतदान न करते हुए, वोटिंग प्रक्रिया से अनुपस्थित रहा जाए। लेकिन इसके बावजूद एक जिस बात पर भारत सहित सभी राष्ट्र सहमत हो रहे हैं वो यह है कि यूक्रेन मुद्दे का हल संवाद और कूटनीतिक मार्ग साथ ही लोकतांत्रिक मूल्यों का अनुसरण करते हुए ही होना चाहिए क्योंकि वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए पूर्व निर्धारित शर्त यही है। विश्व को तृतीय विश्व के अटकलों से दूर करने के लिए भारत जैसे देशों के निर्णायक दृष्टिकोण को स्पष्ट रूप से सामने आने की जरूरत थी और इसलिए भारत ने पिछले डेढ़-दो माह में यूक्रेन मुद्दे पर अपने स्पष्ट दृष्टिकोण से विश्व समुदाय को अवगत कराया है। 77वें संयुक्त राष्ट्र महासभा असेंबली में विश्व के नेताओं को संबोधित करते हुए भारत के विदेश मंत्री ने कहा था कि हमसे अक्सर पूछा जाता है कि हम किसके पक्ष में है और हमारा उत्तर हर बार सीधा और ईमानदार होता है। भारत शांति के पक्ष में खड़ा है और मजबूती से उसी है के साथ खड़ा रहेगा। हम उस पक्ष के साथ खड़े हैं जो संयुक्त राष्ट्र चार्टर और उसके मौलिक सिद्धांतों का सम्मान करता है। हम उस पक्ष के साथ हैं जो बातचीत और कूटनीति के जरिए ही इस हल को निकालने की बात करता है। हम उन लोगों के पक्ष में हैं जो अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, भले ही वे बढ़ते खाने, तेल और उर्वरक के दामों को ताक रहे हैं।
भारत के विदेश मंत्री ने रूस यूक्रेन विवाद को दूर करने के लिए डिप्लोमेसी की भूमिका पर सर्वाधिक बल दिया है। जयशंकर ने रूस-यक्रेन युद्ध के दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर का जिक्र करते हुए कहा कि इससे तेल, खाद्य और उर्वरक की उपलब्धता पर असर होगा और इसकी कीमतें बढ़ेंगी। संयुक्त राष्ट्र की 77वीं महासभा में जयशंकर ने कहा, इस संघर्ष का जल्द से जल्द समाधान निकालना संयुक्त राष्ट्र के अंदर और बाहर हम सभी के सामूहिक हित में है।
Dit verhaal komt uit de November 2022-editie van DASTAKTIMES.
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