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भारतीय संस्कृति में पर्यावरण का महत्त्व

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Kendra Bharati - June 2023

मानव जाति के संरक्षण के लिए पर्यावरण की सुरक्षा अत्यन्त आवश्यक है। दिन-प्रतिदिन दूषित होते पर्यावरण की रक्षा एवं इसके संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से प्रति वर्ष ५ जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।

- डॉ. सौरभ मालवीय

भारतीय संस्कृति में पर्यावरण का महत्त्व

संयुक्त राष्ट्र द्वारा १६७२ में इसकी घोषणा की गई थी। इसके पश्चात ५ जून, १६७४ को प्रथम विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया था तथा तब से यह निरन्तर मनाया जा रहा है। पर्यावरण शब्द संस्कृत भाषा के ‘परि' एवं 'आवरण' से मिलकर बना है, अर्थात जो चारों ओर से घेरे हुए हैं।

मानव शरीर पंचमहाभूत से निर्मित है। पंचभूत में पांच तत्त्व आकाश, वायु, अग्नि, जल एवं पृथ्वी सम्मिलित है। सभी प्राणियों के लिए वायु एवं जल अतिआवश्यक है। इसके पश्चात मनुष्य को जीवित रहने के लिए भोजन चाहिए। भोजन के लिए अन्न, फल एवं सब्जियां उगाने के लिए भी जल की ही आवश्यकता होती है। परन्तु पर्यावरण के प्रदूषित होने से मानव के समक्ष अनेक संकट उत्पन्न हो गए हैं। वर्षा अनियमित हो गई है। बहुत से कृषकों को अपनी फसल की संचाई के लिए वर्षा पर निर्भर रहना पड़ता है। पर्याप्त वर्षा न होने पर उनकी फसल सूख जाती है। अधिकांश क्षेत्र ऐसे हैं, जहाँ पर वर्षा नाममात्र की ही होती है। अत्यधिक रसायनों और कीटनाशकों के प्रयोग से उपजाऊ भूमि बंजर होती जा रही है। जलवायु परिवर्तन एवं जल के अत्यधिक दोहन के कारण भू-जल स्तर निरन्तर गिरता जा रहा है। विभिन्न क्षेत्रों में जल संकट बना हुआ है। लोग जल के लिए त्राहिमाम कर रहे हैं।

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