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पण्डित चन्द्र शेखर आजाद
Kendra Bharati - केन्द्र भारती
|July 2023
क्रान्तिकारियों को एकजुट कर अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलानेवाले अद्भुत योद्धा

२३ जुलाई, जयन्ती पर विशेष
महान क्रान्तिकारी चन्द्रशेखर आजाद एक ऐसे विलक्षण व्यक्तित्व के धनी थे कि उन्होंने अंग्रेजी शासन के विरुद्ध भारत के सम्पूर्ण क्रान्तिकारी आंदोलनकारियों को एकजुट किया तथा बंगाल से पंजाब तक अंग्रेजी शासन की जड़ें हिला दीं।
आजाद का जन्म २३ जुलाई, १६०६ को मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले के अन्तर्गत ग्राम भावरा में हुआ था उनके पूर्वज उत्तर प्रदेश के बदरका ग्राम के रहनेवाले थे लेकिन प्राकृतिक और राजनैतिक विषम परिस्थितियों के चलते उन्होंने अपना पैतृक ग्राम छोड़ा और अनेक स्थानों से होकर सन १६०५ के आसपास पिता सीताराम तिवारी झाबुआ आ गए। यहीं बालक चन्द्रशेखर का जन्म हुआ। पिता सीताराम तिवारी और माता जगरानी देवी के परिवार ने सन १८५७ की क्रान्ति के बाद अंग्रेजों का दमन झेला था। वह सामूहिक दमन था, गांव के गांव फांसी पर चढ़ाये गए थे। अंग्रेजों के इस दमन की परिवार में अक्सर चर्चा होती थी। बालक चन्द्रशेखर ने इस दमन की कहानियाँ बचपन से सुनी थीं। इस कारण उनके मन में अंग्रेजी शासन के प्रति एक वितृष्णा का भाव जागा था, उन्हे गुस्सा आता था अंग्रेजों पर। भावरा गांव वनवासी बाहुल्य क्षेत्र था। अन्य परिवार गिने चुने ही थे। ये परिवार वही थे जो आजीविका या नौकरी के लिये वहाँ से आकर बसे थे। इस कारण बालक चन्द्रशेखर की टीम में सभी वनवासी बालक ही जुटे। इसका लाभ यह हुआ कि बालक चन्द्रशेखर ने धनुष बाण चलाना, निशाना लगाना और कुश्ती लड़ना बचपन में ही सीख लिया था। उन दिनों वनवासी गांवो के आसपास के वन्यक्षेत्र में वन्यजीवों का बाहुल्य हुआ करता था। वन्यजीवों की अनेक प्रजातियाँ हिंसक भी होती थीं इसलिए वनवासी गांव के निवासियों को आत्मरक्षा की कला बचपन से आ जाती थी।
बालक चन्द्रशेखर भी इन्हीं विशेषताओं को सीखते हुए बड़े हुए। बालक चन्द्रशेखर के परिवार का वातावरण राष्ट्रभाव, स्वायत्ता और स्वाभिमान के बोध से भरा था। इसपर गांव का प्राकृतिक और सामाजिक वातावरण। इन दोनों विशेषताओं से बालक चन्द्रशेखर मानसिक और शारीरिक दोनों में तीक्ष्णता समृद्ध हुई। उनमें सक्षमता और स्वायत्तता का बोध भी जागा सन १६१६ में जलियांवाला बाग हत्याकांड के विरोध देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए चन्द्रशेखर ने इसमें भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
Denne historien er fra July 2023-utgaven av Kendra Bharati - केन्द्र भारती.
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