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धार्मिक कन्फ्यूजन में जैन जी

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November First 2025

जेन जी पहली वह पीढ़ी है जिसे कई वजहों के चलते धार्मिक माहौल पिछली पीढ़ियों के मुकाबले कम मिला है और उसी अनुपात में में साइंस साइंस और टैक्नोलोजी का माहौल ज्यादा मिला है लेकिन जहर जहर होता हैं, उस की मात्रा कम हो या ज्यादा असर तो करती ही है. यही इस जेनरेशन के साथ हो रहा है कि वह इसे गले में रखे. इस धार्मिक जहर को न निगल पा रही है न उगल.

- भारत भूषण श्रीवास्तव

धार्मिक कन्फ्यूजन में जैन जी

जेन जी पीढ़ी को इस बाबत कोसना बहुत आसान और आम है कि वह धरमकरम को नहीं मानती, पौराणिक मान्यताओं को सहज मान्यता नहीं देती, तीजत्योहार, व्रतझांकियों वगैरह से दूरी बना कर चलती है. यह हालांकि अच्छी बात है कि वह नास्तिक या अनास्थावादी नहीं है लेकिन ईश्वर के अस्तित्व को ले कर फुजूल सवाल खड़े करती है जबकि वह है, इस में किसी को शक नहीं होना चाहिए. न जाने क्या होगा इस जेनरेशन का. आजकल ये और इस तरह के आरोप जेन जी पर लगाने वाले लोगों की कमी नहीं. दरअसल, यह पीढ़ी धर्म और उस से जुड़े अंधविश्वासों व रीतिरिवाजों को मानने या स्वीकारने से पहले उन्हें तर्क के तराजू पर तोलती है जो इस दौर का सब से 'गंभीर अपराध' है.

जेन जी पहली वह पीढ़ी है जिसे कई वजहों के चलते धार्मिक माहौल पिछली पीढ़ियों के मुकाबले कम मिला है और उसी अनुपात में साइंस और टैक्नोलौजी का माहौल ज्यादा मिला है लेकिन जहर जहर होता है, उस की मात्रा कम हो या ज्यादा हो, असर तो करती ही है. यही इस जेनरेशन के साथ हो रहा है कि वह इसे गले में रखे, इस यानी धार्मिक जहर को वह न निगल पा रही है और न ही उगल पा रही.

धर्म कुछ तो है, लेकिन है क्यों और उस का न होना जिंदगी पर क्या कोई असर डालता है, यह सब से बड़ा कन्फ्यूजन जेन जी का है. दूसरा बड़ा कन्फ्यूजन यह है कि भगवान कहीं हो न हो, ऐसा हो या वैसा हो, उस के कोई खास माने नहीं लेकिन उस के नाम पर मचाया जाने वाला हल्ला क्या साबित करता है और यह हल्ला मचाते रहने वाले मुट्ठीभर लोग किस चालाकी से दुनिया को हांक रहे हैं. ये धर्म के ठेकेदार कैसेकैसे हमारे सार्वजनिक और व्यक्तिगत जीवन तक में दखल दे कर जो खलल पैदा करते हैं, इस पर दुनिया खामोश क्यों रहती है?

धर्म बनाम आध्यात्म का कुचक्र

जेन जी कितनी धार्मिक है और कितनी धार्मिक नहीं है, इस पर दुनियाभर में आएदिन सर्वे होते रहते हैं जो यह बताते हैं कि यह जेनरेशन धर्म से परहेज तो कर रही है लेकिन उस के आध्यात्म नाम के कुचक्र से मुक्त नहीं हो पा रही है. इस जेनरेशन का प्रिय नारा है- वी आर स्प्रिचुअल बट नौट रिलीजियस.

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