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हाथी के दांत
Sarita
|July First 2025
हाथी के दांत खाने के और होते हैं और दिखाने के और, यह बात पलक को तब समझ आई जब उस के संस्कार की बात करने वाले बहुरुपिए ससुराल वालों की असलियत सामने आई.
मटन का पैकेट किचन प्लेटफॉर्म पर रखते हुए घर का नौकर संजू बोला, "बीबीजी, दादा साहब ने यह 2 किलोग्राम मटन भिजवाया है, उन्होंने कहा है कि आज दोपहर के खाने में मटन बिरयानी और मटन कबाब बनाना है."
इतना कह कर संजू वहां से चला गया. राजेश्वरी, जो किचन का ही कुछ काम कर रही थीं, अपने हाथों को रोके बगैर ही किचन में खड़ी अपनी बहू पलक, जो हरी पत्तेदार सब्जियां सुधार रही थी, से बोलीं, "पलक बेटा, पहले मटन को धो कर गलाने के लिए चढ़ा दो क्योंकि मटन को गलने में टाइम लगेगा. तब तक मैं बाकी तैयारियां कर लेती हूं."
राजेश्वरी के ऐसा कहते ही पलक ने कुछ कहने की मंशा से अपनी सासुमां की ओर देखा, लेकिन राजेश्वरी अपनी ही धुन में काम में लगी हुई थीं. असल में पलक अपनी सासुमां से यह कहना चाहती थी कि मम्मीजी, कल ही तो फिश बनाई थी तो आज मटनबिरयानी और कबाब बनाना क्या जरूरी है? लेकिन वह कुछ बोल नहीं पाई और चुपचाप मटन धोने लगी.
जब से पलक इस घर में ब्याह कर आई है तब से वह देख रही है मंगलवार और शनिवार को छोड़ कर हर दिन दोनों टाइम दोपहर और रात के खाने में हरी सब्जियों के अलावा नौनवेज भी बनता ही है. मंगलवार और शनिवार को घर पर नौनवेज नहीं बनने के पीछे भी एक कारण है. इस घर के मुखिया यानी राजेश्वरी के ससुरजी, पलक के दादाससुर इन दोनों दिनों में केवल सात्विक भोजन ही करते हैं और राजेश्वरी को घर पर नौनवेज नहीं बनाने की सख्त हिदायत है.
घर पर नौनवेज अवश्य इन दोनों दिनों में नहीं बनता लेकिन राजेश्वरी के पति और बेटे मतलब पलक के ससुर और पति दोनों ही घर के बाहर नौनवेज खा ही लेते हैं. बाहर खाने में कोई रोकटोक नहीं है, केवल मंगलवार और शनिवार को घर के किचन में सात्विक भोजन ही बनता है.
Denne historien er fra July First 2025-utgaven av Sarita.
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