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जमाना हाफ डाक्टरों का

Sarita

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June Second 2025

वर्तमान में स्वास्थ्य सेवाओं की जरूरत लगातार बढ़ रही है. हरकोई पैसों की तंगी की वजह से डाक्टर तो नहीं बन सकता लेकिन जिसे मैडिकल लाइन में कैरियर बनाना है, उस के लिए विकल्प जरूर उपलब्ध है. जानें आप भी कि क्या है डाक्टर बनने का सस्ता विकल्प.

जमाना हाफ डाक्टरों का

सृजन काफी परेशान थे. उन के बेटे प्रखर ने इस वर्ष 12वीं की परीक्षा पास की थी. 7वीं कक्षा से ही वह डाक्टर बनने के सपने देख रहा था. बचपन से ही स्टेथोस्कोप कानों में लगा कर अपने दादाजी का बुखार नापता रहता था. दरअसल प्रखर के मामाजी डाक्टर थे. मामाजी से वह काफी हिलामिला था. मामाभांजे में प्यार भी बहुत था और प्रखर को कभी कोई तकलीफ हुई तो उस के मामाजी ही उस का इलाज करते थे.

प्रखर ने बचपन से ही मामाजी जैसा डाक्टर बनने का सपना पाल रखा था, मगर 12वीं में उस के मार्क्स सिर्फ 79 फीसदी ही आए थे, ऐसे में सृजन को उम्मीद नहीं थी कि प्रखर मैडिकल के टफ कंपीटिशन को निकाल पाएगा. अगर कंपीटिशन निकाल भी लिया तो सरकारी मैडिकल कालेज में यदि उस को स्थान नहीं मिला तो किसी निजी मैडिकल कालेज में बेटे को पढ़ाने की हैसियत सृजन की नहीं थी.

नीट क्लियर करने के बाद डाक्टरी की पढ़ाई वैसे भी 7-8 साल मांगती है और निजी संस्थान में पढ़ो तो खर्चा 90 लाख से 1.5 करोड़ रुपए तक होता है. वहीं सरकारी मैडिकल कालेज में औसत एमबीबीएस कोर्स की फीस 10,000 रुपए से ले कर 50,000 रुपए प्रतिवर्ष है.

प्रखर उन का इकलौता बेटा था, वह शादी के 14 साल बाद पैदा हुआ था, इसलिए उस को ले कर सृजन और उन की पत्नी क्रांति बहुत इमोशनल थे. बचपन से उस की हर ख्वाहिश पूरी करते आए थे वे. मगर सृजन चाहते थे कि प्रखर जल्दी से जल्दी कमाने लगे, ताकि वे जल्दी ही घर में बहू ला सकें. यदि डाक्टर बनने के चक्कर में प्रखर के 10-12 साल लग गए तो कब वह कमाना शुरू करेगा और कब सैटल होगा.

सृजन ने जब अपनी चिंता अपने साले यानी प्रखर के मामाजी के सामने रखी तो वे तपाक से बोले, 'कोई जरूरत नहीं है डाक्टर बनाने की. 8-10 साल में डाक्टर बन भी गया तो सरकारी अस्पताल में उस को 30-50 हजार रुपए सैलरी मिलेगी और किसी बड़े प्राइवेट अस्पताल में लगा तो ज्यादा से ज्यादा 80 हजार रुपए महीना कमा पाएगा. अपना खुद का क्लिनिक खोलने और स्थापित डाक्टर बनने के लिए कम से कम 15 साल का तजरबा हो तब कहीं जा कर अच्छी कमाई होती है.

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