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सिंदूर का मोल सतत गुलामी
Sarita
|June Second 2025
सदियों से हिंदू धर्म ने महिलाओं की पहचान सिंदूर, मंगलसूत्र के इर्दगिर्द बुनी और आज भी इसी तक सीमित रखी. अब भी एक महिला की सफलता उस के पहनावे, वैवाहिक स्थिति या धार्मिक प्रतीकों से आंकी जाती है, न कि उस की मेहनत व काबिलीयत से. धर्म ने महिलाओं के लिए सिंदूर जैसे तमाम प्रतीक लाद दिए, उन्हें पुरुषों के अधीन बनाए रखने के लिए जंजीरें कस दीं.
सिंदूर की महिमा का गुणगान करना आज राजनीतिक हथियार चाहे बन गया हो पर असलियत यही है कि पुरुषों ने हमेशा से स्त्रियों को अपनी मुट्ठी में रखने की कोशिश की है. लेकिन अब वे जमाने लद गए जब स्त्रियां अनपढ़ थीं और आंख बंद कर हर बात को स्वीकार कर लेती थीं. बहुत अंधेरा देख लिया. अब उम्मीद की जाती है कि आज की पढ़ीलिखी लड़की की सोच में कहीं न कहीं तर्क हो.
लकीर के फकीर बने रहना कहां की समझदारी है. विवेकशील और वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखने वाली महिलाओं का भी यह कर्तव्य होता है कि वे अपने से कमतर मानसिक सोच वाली महिलाओं के दृष्टिकोण को विकसित करने में सहयोग करें. खासकर, आज एक महिला को विरोध करना आना चाहिए. न कह पाने में बड़ी ताकत है.
जवानी की दहलीज में कदम रखती एक लड़की अपनी शादी के बाद के लिए न जाने कितने सपने मन में संजोती है. कभीकभी यह भी सोचती है कि अब वह आजाद पंछी बन कर मस्त गगन में उड़ पाएगी क्योंकि शादी से पहले तो मातापिता और परिवार के बहुत सारे बंधन होते हैं. बहुत सारे कंट्रोल और प्रतिबंध उस की राह रोके खड़े होते हैं. शादी के मंडप में पति द्वारा उस की मांग में सिंदूर भर कर उसे एक नए बंधन में बांध लिया जाता है जिस के तहत वह परपुरुष की तरफ नहीं देख सकती, उस से बात नहीं कर सकती और सिर्फ पति की अमानत बन कर उस के संरक्षण में रह जाती है. क्या यह संभव है? भारतीय महिलाओं ने हो सकता है इसे संभव किया हो लेकिन सवाल यह है कि क्या यह न्यायसंगत है?
सिंदूर से नुकसानयों तो सिंदूर की रस्मअदायगी भी महिलाविरोधी एक साजिश है पर चलिए इसे यहीं तक सीमित रख लीजिए. विवाह के बाद एक स्त्री को मायके, ससुराल, पासपड़ोस, समाज सभी के द्वारा तरहतरह की हिदायतें दी जाती हैं. उस की मांग में सिंदूर भरा होना जरूरी माना जाता है. जबकि त्वचा विशेषज्ञ बताते हैं कि सिंदूर में मरक्यूरिक सल्फाइड जैसे हानिकारक तत्व होते हैं जो स्किन के लिए काफी नुकसानदायक होते हैं.
Denne historien er fra June Second 2025-utgaven av Sarita.
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