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घर को न बनाएं कैमिस्ट शौप

Sarita

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May Second 2025

आजकल सोशल मीडिया पर नएनए उत्पादों के बारे में जानकारियां मिल तो जा रही हैं मगर वे कच्ची होती हैं. ऐसे में लोग सोचते हैं कि डाक्टर के पास जा कर बारबार शरीर का चैकअप कराने से बेहतर है उपकरण खरीद कर घर में ही सारे टैस्ट कर लो. लेकिन यह खतरनाक हो सकता है.

- नसीम अंसारी कोचर

घर को न बनाएं कैमिस्ट शौप

'बेटा, मुझे डाक्टर के पास ले चलो. मेरा ब्लडप्रैशर बहुत बढ़ गया है,' सुदर्शन लाल ने बेटे के औफिस से लौटते ही फरमान सुनाया.

'कितना है ब्लडप्रैशर?' अमित ने पिता से पूछा.

'160/100,' सुदर्शन लाल ने जवाब दिया.

'कब चैक किया था ?'

'दोपहर में.'

'चलिए, मैं एक बार फिर चैक कर लेता हूं,' अमित ने पिता की अलमारी से ब्लडप्रैशर नापने वाला इंस्ट्रमेंट निकालते हुए कहा. सुदर्शन लाल का ब्लडप्रैशर 120/80 निकला. अमित बोला, 'पापा, आप का बीपी तो बिलकुल ठीक है.'

'पर दोपहर में तो 160/100 था. यानी बीपी फ्लकचुएट कर रहा है. बेटा, डाक्टर को दिखा ही लेते हैं.'

'पापा, बीपी बिलकुल ठीक है. बेकार में डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं है. 800 रुपए फीस ले लेगा और 800 रुपए की दवा लिख देगा, जबकि आप बिलकुल ठीक हैं.'

पर सुदर्शन लाल को लगा कि बेटा पैसे बचाने के लिए ऐसा कह रहा है. दूसरे दिन खुद ही डाक्टर के पास चले गए और दवा लिखवा लाए.

ऐसे बहुतेरे बुजुर्ग हैं, युवा भी हैं जो इस भय से ग्रस्त रहते हैं कि उन के शरीर में कुछ गड़बड़ है. यह भय कोरोना महामारी के बाद बहुत ज्यादा बढ़ गया है. जरा सी खांसी आई तो लोग समझने लगते हैं कि कंजेशन हो गया और फेफड़े संक्रमित हो गए हैं. फिर वे खुद को नेबुलाइज करने में लग जाते हैं. सुबहशाम नेबुलाइजर में दवा डालडाल कर सांस के साथ खींचने लगते हैं. बारबार घर पर टैस्ट करने की आदत व्यक्ति को स्वास्थ्य के प्रति अत्यधिक चिंतित बना देती है.

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