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शिक्षा में धर्म का संक्रमण खतरनाक
Sarita
|May Second 2025
सरकार की धार्मिक शिक्षा को बढ़ावा देने और विज्ञान को पीछे धकेलने की नीति देश के भविष्य के लिए हानिकारक हो सकती है. इसलिए शिक्षा नीतियों में संतुलन और आधुनिकीकरण की आवश्यकता है, ताकि हम एक प्रगतिशील समाज की ओर बढ़ सकें.
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आधुनिक शिक्षा और धर्म का कोई तालमेल नहीं. सभी धर्मों के अपने शिक्षण संस्थान हैं जिन का नियंत्रण पूरी तरह धार्मिक व्यवस्था के हाथों में है. भारत का संविधान सभी धर्मों को अपनेअपने हिसाब से धार्मिक शिक्षाओं के प्रसारप्रचार की आजादी देता है. गुरुकुल और मदरसों में धर्म की शिक्षा दी जाती है.
इन धार्मिक संस्थानों में क्या पढ़ाया जाए, यह धार्मिक व्यवस्था तय करती है. इस में सरकार का हस्तक्षेप नहीं होता. यहां धार्मिक ग्रंथों को रटवाया जाता है. धार्मिक संस्कार सिखाए जाते हैं जबकि इन का संबंध मनुष्य की जिंदगी की जरूरत रोटी, कपड़ा, मकान, चिकित्सा, घरेलू सामान किसी से नहीं होता.
धर्मग्रंथों की शिक्षाएं समाज के किसी काम की नहीं होतीं लेकिन इस से मुल्लाओं और पुरोहितों की फौज जरूर खड़ी हो जाती है. धार्मिक शिक्षण संस्थानों से पढ़ कर निकले स्नातक धार्मिक व्यवस्था में रोजगार पा लेते हैं. मदरसे से मौलवी बन कर निकले व्यक्ति को किसी मसजिद में या मदरसे में जौब मिल जाती है. गुरुकुल से पुरोहित की शिक्षा हासिल करने वाले को भी किसी न किसी धार्मिक अड्डे पर रोजगार मिल जाता है लेकिन दोनों जगह सैलरी बहुत कम होती है जिस से खर्चे पूरे नहीं होते.
आजकल के मुल्ला, पादरी और पुरोहितों की सोच भले ही उन के धर्म जितनी पुरानी हो पर लाइफस्टाइल बिलकुल मौडर्न होता है. हाथ में एंड्रौयड फोन और घर में आधुनिक सुविधाएं सभी को चाहिए लेकिन धार्मिक संस्थानों की जौब से मौडर्न लाइफस्टाइल को मैंटेन करना मुश्किल होता है. इस का समाधान यह है कि पुरोहितों को आधुनिक विज्ञान पर आधारित शिक्षा देने वाले स्कूलकालेजों में भी जौब मिल जाए. लेकिन यह होगा कैसे ?
स्कूलकालेजों की व्यवस्था बिलकुल अलग होती है. स्कूलकालेजों में वे विषय पढ़ाए जाते हैं जिन का संबंध रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़ा होता है.
यहां धार्मिक शिक्षा का कोई काम नहीं. लेकिन आधुनिक शिक्षण संस्थान या तो निजी हैं या सरकार के नियंत्रण में हैं. प्राइवेट शिक्षण संस्थानों में क्या पढ़ाना है, यह सरकार तय करती है पर जो सरकार धर्म के नाम पर ही सत्ता में आई हो उस के लिए तो शिक्षा को बदलना ही सब से जरूरी काम है.
Denne historien er fra May Second 2025-utgaven av Sarita.
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