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सबका चहेता, सदाबहार हीरो संजीव कुमार

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July - 2025

87वीं सालगिरह पर विशेष

- उदय जरीवाला

सबका चहेता, सदाबहार हीरो संजीव कुमार

संजीव कुमार जीवित रहते तो इस जुलाई में 87 साल के होते। राजेश खन्ना, शशि कपूर, विनोद खन्ना और अमिताभ बच्चन जैसे सुपर स्टारों के युग में, संजीव कुमार का अपना फैन क्लब रहा है। अपनी इस पॉप्युलर छवि के विपरीत, संजीव कुमार पर्सनल लाइफ में बेहद संवेदनशील और भावुक इंसान थे। संजीव कुमार की चर्चित जीवनी, 'द एक्टर वी ऑल लव्ड' रीता राममूर्ति गुप्ता और संजीव कुमार के भतीजे उदय जरीवाला ने लिखी है। दस्तक टाइम्स में पढ़िए अपने दिवंगत चाचा की प्यारी यादों को समेटे हुए उदय जरीवाला का यह लेख।

चाचा संजीव कुमार, जेठालाल जरीवाला और शांताबेन के सबसे बड़े बेटे थे। किशोर जरीवाला जो एक संगीतकार और अभिनेता थे, उनके दूसरे बेटे थे। मेरे पिता निकुल जरीवाला, जिन्होंने दो वक्त की रोटी का सह-निर्माण किया था, उनके सबसे छोटे बेटे थे। संजीव कुमार का जन्म 9 जुलाई, 1938 को सूरत, गुजरात में हरिहर जेठालाल जरीवाला के रूप में हुआ था और उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में हरिभाई के नाम से जाना जाता था। वह अपनी मां शांताबेन के बहुत करीब थे, उन्हें वह बा कहकर बुलाते थे। मेरे दादा जेठालाल सूरत में जरी कढ़ाई का व्यवसाय करते थे और इस क्षेत्र में शीर्ष पर थे। लेकिन उनके साझेदारों ने धोखा दिया, जिसके चलते उनके पास कुछ भी नहीं बचा था। मेरे दादा के निधन के बाद, बा ने बच्चों को पालने के लिए कड़ा संघर्ष किया। वे लोग बाद में मुंबई के भुलेश्वर में शिफ्ट हो गए। यह बा का ही सपोर्ट था जिसने मेरे चाचा को अभिनेता बनने के उनके सपनों को पूरा करने में मदद की। मुंबई में उन्होंने इप्टा के साथ 'प्रॉम्पटिंग' करके थिएटर में अपना करियर शुरू किया। एक दिन आर्थर मिलर के ऑल माई सन्स के हिंदी रूपांतरण, डमरू में पिता की भूमिका निभाने वाला अभिनेता नहीं आया। इसलिए 22 साल की उम्र में उन्होंने ए.के. हंगल द्वारा निर्देशित नाटक में 60 वर्षीय व्यक्ति की भूमिका निभाई।

चाचा-भतीजे का रिश्ता

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असम की वादियों में काजीरंगा भले टाइगर रिजर्व फॉरेस्ट घोषित किया गया हो लेकिन बरसों से इसकी पहचान यहां के एक सींग वाले गैंडे को लेकर रही है। एक सींगी गैंडे के साथ काजीरंगा केएनपी हाथी, जंगली जल भैंसों और दलदली हिरणों का प्रजनन स्थल भी है।

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पेसा पर फंसा पेच

झारखंड आदिवासी बहुल राज्य है, इसके बावजूद यहां अब तक पेसा कानून लागू नहीं हो पाया है। अब कांग्रेस इसे मुद्दा बना रही है, वहीं बीजेपी इस पूरे मामले को हवा दे रही है। सोरन सरकार ने इस कानून की नियमावली तैयार कर ली है जिसका विरोध भी शुरू हो गया है।

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आस्था से अर्थव्यवस्था को मिली नई रफ्तार

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भारत में अब तक नौ बड़े विमान हादसे हो चुके हैं। इनमें ज्यादातर हादसे बोइंग के हुए हालांकि इन हादसों में मानवीय चूक ज्यादा थी।

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जनता के दरबार में सीएम

मॉर्निंग वॉक के बहाने हर सुबह खुद जनता की नब्ज टटोलते हैं धामी

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बोइंग के बुरे दिन

दुनिया की सबसे भरोसेमंद एविएशन कंपनी रही बोइंग के बुरे दिन आ गए हैं। दुनिया में बहुत से विमान उड़ते हैं और हादसे भी होते हैं। अजब लेकिन दुखद संयोग है कि पिछले दस सालों में अलग-अलग विमान हादसों में कोई तीन हजार लोगों की मौत हुई, इनमें करीब आधे बोइंग के एयरक्राफ्ट में सवार थे। भारत में ही पिछले 10 साल में दो बड़े जानलेवा प्लेन क्रैश हुए और दोनों ही विमान बोइंग कंपनी के थे। बोइंग विमान पिछले दो दशक से विवादों में हैं। अहमदाबाद हादसे ने कंपनी की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। मुसीबतों में घिरी अमेरिकी एविएशन कंपनी बोइंग पर 'दस्तक टाइम्स’ के प्रमुख संपादक रामकुमार सिंह की एक रिपोर्ट।

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दुनिया का सबसे ऊंचा 'चिनाब रेलवे ब्रिज' बनने के बाद कश्मीर घाटी आजादी के 76 साल बाद देश के रेलवे से अब सीधे जुड़ गई है।

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