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वृंदावन कॉरिडोर का विरोध क्यों?
DASTAKTIMES
|July - 2025
अयोध्या-काशी की तर्ज पर वृंदावन में प्रस्तावित बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर का विरोध नहीं थम रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने बांके बिहारी मंदिर के इर्द गिर्द 5 एकड़ जमीन अधिगृहीत करने की मंजूरी दे दी है, इसके बावजूद मंदिर की देखरेख करने वाला गोसाईं परिवार जिद पर अड़ा है, लेकिन योगी सरकार भी पीछे हटने को तैयार नहीं। आखिर क्या है यह विवाद, बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार
बरसों से बांके बिहारी मंदिर की देखरेख करने वाला गोस्वामी समुदाय इस समय काफी आक्रामक हैं और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बनाए जा रहे कॉरिडोर का विरोध कर रहे हैं। वह इस मुद्दे पर किसी की सुनना नहीं चाहते हैं। उनकी बस एक शर्त है कि किसी भी कीमत पर कॉरिडोर को ना बनाया जाए और जैसी व्यवस्था चल रही है, उसमें थोड़ा बहुत परिवर्तन कर उसे ही लागू रहने दिया जाए। आखिर गोस्वामी कॉरिडोर का विरोध क्यों कर रहे हैं और सरकार किसी भी कीमत पर अपने इस निर्णय से पीछे क्यों नहीं हटना चाहती? उत्तर प्रदेश सरकार को सुप्रीम कोर्ट से भी यह निर्देश मिल चुका है कि बांके बिहारी मंदिर के इर्द गिर्द 5 एकड़ जमीन अधिगृहीत किया जाए और वहां पर श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए कॉरिडोर का निर्माण किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को यह भी अनुमति दे दी है कि बांके बिहारी ट्रस्ट के 350 करोड़ रुपये का इस्तेमाल सरकार कॉरिडोर बनाने के लिए भूमि का अधिग्रहण करने और मकानों के मुआवजे देने में कर सकती है। शर्त यही होगी कि अधिगृहीत जमीन बांके बिहारी के नाम होगी और इसमें सरकार का कोई अधिकार नहीं होगा।
बांके बिहारी मंदिर के गोसाइयों को यह भी मंजूर नहीं है। वे ट्रस्ट से एक पैसा भी नहीं लेना चाहते। इस मामले पर एक सुझाव यह भी आ रहा है कि बांके बिहारी मंदिर में कॉरिडोर ना बनाकर टाटिया स्थान पर कॉरिडोर निर्माण किया जाए। चूंकि टाटिया स्थान स्वामी हरिदास जी की भजन स्थली है और स्वामी जी ने वृंदावन के निधिवन में भी भजन किया था। स्वामी हरिदास जी ने ही अपने भजन के प्रभाव से बांके बिहारी जी को प्रकट किया। यह विश्वास है कि बांके बिहारी जी स्वयं प्रकट हैं। स्वामी हरिदास जी बहुत बड़े संत और संगीतज्ञ थे। अकबर के दरबार के नवरत्नों में से एक तानसेन स्वामी हरिदास जी के ही शिष्य थे।
अनियंत्रित भीड़ के लिए कॉरिडोर जरूरीDenne historien er fra July - 2025-utgaven av DASTAKTIMES.
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