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क्या हरियाणा कांग्रेस विद्रोह के कगार पर खड़ी है!
DASTAKTIMES
|November 2024
कांग्रेस हाई कमान के दोबारा हुड्डा को गद्दीनशीन करने के कदम से गैर जाट वर्ग और आक्रोशित हो गया तथा 2014 के विधानसभा चुनावों में, जो पुनः हुड्डा के ही नेतृत्व में लड़े गए थे, कांग्रेस को 15 सीटों तक समेट कर रख दिया। हाईकमान को अपनी गलती का आभास होने लगा तथा हाईकमान ने भजन लाल के राजनीतिक वारिस कुलदीप बिश्नोई को 2016 में दोबारा शामिल कर लिया ताकि नाराज गैर जाट वर्ग को अपने साथ जोड़ सके।
 लोकसभा में आधी सीटों पर विजयी होने के बाद हवा में उड़ रही कांग्रेस पार्टी को मात्र छह माह बाद हुए विधानसभा चुनाव में आशा के विपरीत परिणाम ने सुन्न करके रख दिया है। कांग्रेस दो तिहाई बहुमत से नीचे सपने में भी नहीं सोच रही थी। एक नेता के समर्थक तो मुख्यमंत्री की गद्दी को अपनी गोद में लेकर सोने लगे थे। खुद 'वो नेता' भी अपना हर शब्द एक मुख्यमंत्री की तर्ज पर बोलने लगे थे। पर पासा उलटा पड़ गया और भाजपा के तत्कालीन एवं घोषित भावी मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए वक्तव्य 'हमने जीत की सारी व्यवस्थाएं कर ली हैं' ने कांग्रेस की सभी आशाओं एवं परिकल्पनाओं को ठेंगा दिखा कर पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया।
अब हालात यह है कि अप्रत्याशित हार से चित हुई कांग्रेस लगभग एक महीना बीत जाने के बावजूद विधानसभा में विपक्ष के नेता का नाम तक तय नहीं कर पा रही है। लोग मजाक के तौर पर कहने लगे हैं कि यदि खुदा ना खस्ता उसे बहुमत मिल जाता, तो क्या वे मुख्यमंत्री का नाम तय कर लेते ? समस्या यह नहीं है कि उसके पास वांछित विधायक संख्या नहीं है, अपितु समस्या यह है कि यह फैसला लेना कमजोर हाई कमान के गले की फांस बनी हुई है। हाई कमान के बार-बार के गलत निर्णयों ने हाई कमान के पैरों पर खुद कुल्हाड़ी मार कर उसकी निर्णय लेने एवं नियंत्रित करने की शक्ति को लकवाग्रस्त कर दिया है और उसे प्रदेश के केवल एक ही व्यक्ति की कठपुतली बनाकर छोड़ दिया है। आखिर कौन है वह व्यक्ति, जिसके आभा मंडल के आगे हाई कमान का प्रकाश धूमिल पड़ जाता है? ऐसा कौन सा कारण है कि हाई कमान अनिर्णय की स्थिति से बाहर नहीं निकल पा रही है? क्यों इतना शक्तिशाली हो गया है, यह व्यक्ति?
इन सब सवालों का जवाब ढूंढने के लिए राजनीतिक विश्लेषक 2005 के विधानसभा चुनावों में मिली प्रचंड जीत से आह्लादित कांग्रेस हाईकमान का भूपिंदर हुड्डा को मुख्यमंत्री की गद्दी सौंपने को शुरुआती कदम मानते हैं। इस चुनाव में, जो कि पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भजन लाल के नेतृत्व में लड़ा गया था, कांग्रेस को 90 में से 67 सीट हासिल हुई थी। भजन लाल के बढ़ते कद से चिंतित हाईकमान ने भजन लाल के पर काटने हेतु एक ऐसे व्यक्ति, भूपिंदर हुड्डा, को गद्दी सौंप दी जिसे हाईकमान अपने इशारों के अनुरूप निर्देशित कर सके।
Denne historien er fra November 2024-utgaven av DASTAKTIMES.
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