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केदारनाथ उपचुनाव: आशा नौटियाल का पलड़ा भारी

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November 2024

लगातार दो उपचुनावों में अनुमान के मुताबिक परिणाम न आने पर भाजपा संगठन व सीएम पुष्कर सिंह धामी केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव को लेकर सतर्क नजर आ रहे हैं। इस चुनाव में जीत-हार का फैसला आने के बाद कई क्षत्रपों पर सवाल उठने भी तय हैं। यह चुनाव भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के लिए भी बड़ी चुनौती माना जा रहा है। नामांकन के बाद केदारनाथ उपचुनाव को लेकर भाजपा में विशेष हलचल देखी जा रही है। कांग्रेस के आक्रामक रुख को देखते हुए भाजपा क्षत्रपों की रणनीति व अन्य सवालों का बाजार गर्म है। मंगलौर व बदरीनाथ उपचुनाव की हार के बाद केदारनाथ उपचुनाव की जीत-हार के कारकों को लेकर पार्टी के अंदर अभी से ही सियासत तेज हो गयी है। एक अहम सवाल यह भी उठ रहा है कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट अपनी मूल विधानसभा बदरीनाथ की हार का 'दाग' केदारनाथ में धो पाएंगे? राज्यसभा सांसद बनने के बाद उत्तराखण्ड भाजपा को अब नया अध्यक्ष भी चुनना है।

केदारनाथ उपचुनाव: आशा नौटियाल का पलड़ा भारी

भाजपा के गलियारों में ऐसे राजनीतिक सवाल अहम तौर पर सुने जा रहे हैं। केदारनाथ उपचुनाव में मुख्य तौर पर सीएम, गढ़वाल सांसद, प्रभारी मंत्री और प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट को एक नयी अग्नि परीक्षा से गुजरना है। हालांकि, जुलाईं महीने में बदरीनाथ उपचुनाव में कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए राजेन्द्र भंडारी की हार के पीछे कई कारण गिनाए गए। भाजपा कैडर बाहरी भंडारी के भाजपा में आने से पहले ही जला-भुना बैठा था। बदरीनाथ सीट पर महेंद्र भट्ट भाजपा से और राजेंद्र भण्डारी कांग्रेस के टिकट पर एक-दूसरे के खिलाफ कई बार चुनावी जंग में उलझ चुके थे लेकिन लोकसभा चुनाव के समय भाजपा के गढ़वाल प्रत्याशी अनिल बलूनी ने रातों-रात कांग्रेसी विधायक राजेन्द्र भंडारी को भाजपा में शामिल करवा दिया था। इस दलबदल की भाजपा के बड़े नेताओं को ऐन वक्त पर ही पता चला था। बाद में भंडारी को दलबदल करने

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