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पीएम मोदी के सपनों के अनुरूप संवर रहा केदारनाथ
DASTAKTIMES
|July 2024
आज चारधाम यात्रा हर साल नये कीर्तिमान बना रही है। श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय कहते हैं कि केदारनाथ धाम में तीर्थयात्रियों की संख्या में साल-दर-साल बढ़ोत्तरी हो रही है। तीर्थ यात्रियों के खाने-ठहरने व स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। उम्मीद है कि इस वर्ष तीर्थ यात्रियों की संख्या नए कीर्तिमान स्थापित करेगी।
केदारनाथ आपदा के 11 साल बाद उत्तराखंड की धामी सरकार ने केदारपुरी ही नहीं बल्कि चारधाम यात्रा का भी स्वरूप बदल दिया है। आज यही कारण है कि चारधाम में सबसे अधिक केदारनाथ धाम का ही क्रेज बना हुआ है। केदा-रनाथ आपदा को 11 वर्ष बीत चुके हैं। वर्ष 2013 में 16-17 जून को आए सैलाब में केदारपुरी पूरी तरह तबाह हो गई थी। गौरीकुंड से केदारनाथ धाम को जोड़ने वाले पैदल मार्ग का अस्तित्व खत्म हो गया था। तबाही को देखकर यह उम्मीद कर पाना मुश्किल था कि भविष्य में धाम के लिए यात्रा शुरू हो भी पाएगी या नहीं। लेकिन, रामबाड़ा से दायीं ओर की पहाड़ी पर नया पैदल मार्ग बनने के बाद धीरे-धीरे यात्रा व्यवस्थित होने लगी। फिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत शुरू हुए पुनर्निर्माण कार्यों ने केदा-रपुरी की तस्वीर ही बदल डाली। वर्तमान में यात्री सुविधाओं से संपन्न जो दिव्य एवं भव्य केदारपुरी नजर आती है, उसने चारधाम यात्रा के स्वरूप को ही बदल डाला है। चारधाम यात्रा के इतिहास में वर्ष 2022 तक जहां बदरीनाथ धाम ही सर्वाधिक तीर्थयात्री पहुंचते रहे हैं, वहीं वर्ष 2023 से बदरीनाथ धाम से कहीं ज्यादा तीर्थयात्री केदारनाथ धाम पहुंचने लगे हैं। मास्टर प्लान के तहत नए स्वरूप में तैयार हो रही केदारपुरी में पुनर्निर्माण कार्यों नए आयाम स्थापित किए हैं। अब तक लगभग 400 करोड़ रुपये के कार्य केदारपुरी में पूर्ण हो चुके हैं और 150 करोड़ रुपये के संपादित होने बाकी हैं। प्रथम चरण के सभी कार्य पूरे हो गए हैं, जबकि द्वितीय चरण के 40 प्रतिशत कार्य अभी शेष हैं। आपदा के समय मंदाकिनी व सरस्वती नदी का रुख मंदिर की ओर हो गया, जो तबाही का कारण बना। इसी के मद्देनजर मंदिर के ठीक पीछे 390 मीटर लंबी, 18 फीट ऊंची और दो फीट चौड़ी कंक्रीट की त्रिस्तरीय दीवार बनाई गई, जिससे केदारपुरी काफी हद तक सुरक्षित हो गई है। मंदाकिनी व सरस्वती नदी पर भी सुरक्षा दीवार बनाई गई है, जिससे नदियों से होने वाला कटाव रुक गया है। आपदा के समय गौरीकुंड हाईवे रुद्रप्रयाग से लेकर गौरीकुंड तक कई जगह पूरी तरह ध्वस्त हो गया था। अब इस हाईवे को आलवेदर रोड के तहत बनाया जा रहा है, जिसका 80 प्रति
Denne historien er fra July 2024-utgaven av DASTAKTIMES.
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