आत्मरक्षा की आड़ में 'नरसंहार' - वैश्विक निकाय बना मूकदर्शक, कहां मिलेगा न्याय?
DASTAKTIMES
|February 2024
मानवाधिकार, ऐसा संवेदनशील विषय है जिसका महत्व समूचे विश्व के प्रत्येक देश के नागरिकों के लिए एकसमान है, परंतु दुर्भाग्य से वैश्विक शक्तियों ने इस महत्वपूर्ण मुद्दे को राजनीतिक हथकंडे के रूप में अपनाने का काम किया है। निष्पक्ष न होकर प्रभावशाली देशों ने मानवाधिकारों के उल्लंघन पर हमेशा पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया है। परिणास्वरूप, मानवाधिकार उल्लंघन की सीमा आज स्वतंत्रता छीनने से भी आगे बढ़कर नरसंहार तक पहुंच गई है।
किसी भी देश में शासन की उत्कृष्टता नागरिक अधिकारों के संरक्षण एवं खुशहाली से मापी जाती है, विश्व में कई ऐसे देश भी हैं जिनके मुखिया तानाशाहीपूर्ण शासन चला रहे हैं, जिसमें नागरिकों के अधिकार व खुशहाली का कोई महत्व नहीं है। यहां नरसंहार की घटना भी आम है। सूडान जैसे अनेक देश ऐसे उदाहरण हैं। वहीं, कई देश ऐसे हैं जो अपनी आत्मरक्षा का हवाला देकर दूसरे देशों में नरसंहार को अंजाम दे रहे हैं। इजरायल द्वारा हमास पर किए जा रहे हमलों में हजारों निर्दोषों को मौत के घाट उतारना इस बात का प्रमाण है कि आज वैश्विक न्यायिक प्रणाली पूर्णतः निष्प्रभावी हो चुकी है। मौजूदा वैश्विक व्यवस्था में इजरायल ताकत के बल पर निर्दोषों को तब तक निशाना बनाने को जायज ठहरा रहा है, जब तक कि उसे संतोष महसूस नहीं हो जाता। अमेरिका व पश्चिमी देशों का भी इजराइल को समर्थन मिल रहा है। मगर, नरसंहार का सामना कर रहे हजारों निर्दोष बेबस हैं और उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। ऐसी वैश्विक न्याय प्रणाली में न्याय की उम्मीद कैसे की जा सकती है? अति राष्ट्रवादी भावनाओं को बढ़ाने के लिए भी रूस, चीन, इजरायल जैसे देश युद्ध में लिप्त होते देखे गए हैं। ऐसे में जेनोसाइड की घटनाओं की संभावना भी बढ़ी है। हाल के समय में इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में इजरायल के खिलाफ जेनोसाइड का अपराध करने को आधार बनाकर याचिका दायर की गई। यह यूनाइटेड नेशंस का प्रमुख न्यायिक निकाय है जो दो या दो से अधिक देशों के बीच कानूनी विवादों पर निर्णय सुनाता है। याचिका में बताया गया कि गाजा में हजारों लोगों की नृशंस हत्या हुई है। अस्पताल व खाद्य भंडारों को नष्ट किया गया है। पीड़ित मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर को भी बड़ी क्षति पहुंची है, जिससे आमजन जीवन दोबारा पटरी पर लौटने में लंबा समय लगेगा। याचिका में कहा है कि इजरायल ने फिलिस्तीनी उग्रवादी संगठन हमास के खिलाफ़ जो युद्ध छेड़ा, वो 1948 के जिनोसाइड कन्वेंशन का उल्लंघन है। वहीं, इजरायल सरकार के प्रवक्ता इलान लेवी ने कहा कि साउथ अफ्रीका 'हमास रेपिस्ट रेजिम' के कुकृत्यों पर पर्दा डाल रही है और अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में इजरायल आतंकी संगठन हमास और उसके समर
Denne historien er fra February 2024-utgaven av DASTAKTIMES.
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