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सीएम धामी ने दिखाया डबल इंजन का 'दम', उत्तराखंड नहीं किसी से कम

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November 2023

पुष्कर सिंह धामी सरकार जल्द प्रदेश को सौंपेगी यूसीसीए भू-कानून व महिला नीति आंदोलनकारियों को आरक्षण देना एवं अर्थव्यवस्था को 5 गुना करना भी लक्ष्य कई सालों बाद अस्थिरता से उबरा प्रदेश, आंदोलनकारियों के कई सपने भी साकार

- गौरव ममगाई

सीएम धामी ने दिखाया डबल इंजन का 'दम', उत्तराखंड नहीं किसी से कम

राज्य गठन के बाद उत्तराखंड के सामने भौगोलिक, आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक व शैक्षिक चुनौतियां रहीं। वर्ष 2001 में केंद्र सरकार ने राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देकर सहारा दिया। समय के साथसाथ उत्तराखंड ने उठना शुरू किया। एनडी तिवारी, बीसी खंडूडी, हरीश रावत के रूप में कई मुख्यमंत्रियों ने ऐतिहासिक कार्य किए, जो प्रदेश की प्रगति में मददगार साबित हुए। वहीं, दूसरी ओर यह भी कड़वा सच है कि प्रदेश ने जब-जब विकास की रफ्तार पकड़नी शुरू की, तभी राजनीतिक अस्थिरता के रूप में मार्ग में ब्रेकर आते रहे।

9 नवंबर 2000 का दिन, जब उत्तर प्रदेश जैसे बड़े प्रदेश से अलग होकर एक छोटा-सा हिमालयी राज्य अस्तित्व में आया, नाम था- उत्तराखंड (गठन के समय उत्तरांचल)। करीब दो दशक के लंबे संघर्ष और कई शहादतों के पश्चात नया राज्य नसीब हुआ। रामपुर तिराहा कांड में मां-बहनों की अस्मिता को ताक पर रखा गया। मसूरी, देहरादून, श्रीनगर में अनेक गोलीकांड व हिंसक घटनाओं में दर्जनों जानें गंवानी पड़ी। बस कसूर इतना था कि वो अलग राज्य चाहते थे, जहां उनकी सुनवाई हो।

आंदोलनकारियों की मुख्य मांगों में महिलाओं को हक, राजनीतिक स्थिरता, पर्वतीय क्षेत्रों का विकास, संस्कृति संरक्षण, संसाधनों पर उत्तराखंडियों का हक जैसे अनेक विषय प्रमुखता में रहे। लंबे संघर्ष के बाद अलग राज्य तो मिल गया, लेकिन क्या हम उन सपनों को पूरा कर पाए हैं, जो आंदोलनकारियों ने उत्तराखंड के लिए देखे थे। राज्य गठन के बाद उत्तराखंड के सामने भौगोलिक, आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक व शैक्षिक चुनौतियां रहीं। वर्ष 2001 में केंद्र सरकार ने राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देकर सहारा दिया। समय के साथ-साथ उत्तराखंड ने उठना शुरू किया। एनडी तिवारी, बीसी खंडूडी, हरीश रावत के रूप में कई मुख्यमंत्रियों ने ऐतिहासिक कार्य किए, जो प्रदेश की प्रगति में मददगार साबित हुए।

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