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भारत विरोध की प्रयोगशाला बना कनाडा, मोदी का करारा जवाब
DASTAKTIMES
|October 2023
टूडो को शायद अपनी धरती और संप्रभुता की रक्षा की जरूरत तो दिखाई दे रही है लेकिन भारत की ऐसी ही जरूरत के संबंध में उनकी आंखों पर लंबे समय से पट्टी क्यों लगी हुई है? टूडो इस बात में रूचि नहीं रखते। इसलिए भारत के विदेश मंत्रालय ने हालिया घटनाक्रमों के मद्देनजर कनाडा को यह अहसास करा दिया है कि कनाडा की धरती भारत विरोध की प्रयोगशाला नहीं है। कूटनीतिक, आर्थिक, राजनीतिक, सामरिक हर प्रकार के संबंध प्रभावित हो सकते हैं और इस मुद्दे पर भारत इसके लिए तैयार दिख रहा है। भारत इस समय निर्णायक रूप से कार्यवाही करने से पीछे नहीं रह सकता।
हर देश की विदेश नीति का लक्ष्य अपनी प्रादेशिक अखंडता और संप्रभुता की सुरक्षा करना है। खालिस्तान आंदोलन और उससे जुड़े षड्यंत्र भारत की प्रादेशिक अखंडता और संप्रभुता को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं, इसलिए भारत इस मुद्दे को हल्के में नहीं ले सकता। विदेशी धरती पर भारत विरोधी अभियान, दुष्प्रचार, षड्यंत्र के प्रभाव को धूमिल करना भारत की बहुत बड़ी जरूरत बन चुका है। भारत कनाडा संबंधों के संदर्भ में इस मुद्दे को साफ तौर पर देखा जा सकता है। हाल के समय में कनाडा में एक सिख अलगाववादी नेता की हत्या के बाद कनाडा के प्रधानमंत्री ने इसमें भारतीय एजेंसियों के हाथ होने का आरोप लगाया। कनाडा के पीएम टूडो ने कनाडा की प्रादेशिक अखंडता और संप्रभुता की दुहाई देते हुए भारत की कथित भूमिका का हवाला देते हुए इसे अस्वीकार्य कहा लेकिन टूडो को शायद अपनी धरती और अपनी संप्रभुता की रक्षा की जरूरत तो दिखाई दे रही है लेकिन भारत की ऐसी ही जरूरत के संबंध में उनकी आंखों पर लंबे समय से पट्टी क्यों लगी हुई है? टूडो इस बात में रुचि नहीं रखते। इसलिए भारत के विदेश मंत्रालय ने हालिया घटनाक्रमों के मद्देनजर कनाडा को यह अहसास करा दिया है कि कनाडा की धरती भारत विरोध की प्रयोगशाला नहीं है। कूटनीतिक, आर्थिक, राजनीतिक, सामरिक हर प्रकार के संबंध प्रभावित हो सकते हैं और इस मुद्दे पर भारत इसके लिए तैयार दिख रहा है। भारत इस समय निर्णायक रूप से कार्यवाही करने से पीछे नहीं रह सकता। राजनयिकों और वीजा से जुड़े रेगुलेशंस के जरिए कार्यवाही भी की गई है। पंजाब भारत का अभिन्न अंग है और पंजाब के समावेशी विकास के लिए भारत सरकार प्रतिबद्ध है। सिख समुदाय को उसके पूर्ण अधिकारों से नवाजने का काम भी भारत सरकार ने किया है। भारत सरकार अगर किसी के विरोध में है तो वो हैं खालिस्तानी अलगाववादी और उनको शह देने वाली ताकतें। संप्रभुता और प्रादेशिक अखंडता की परिभाषा एक देश केवल अपने हित के अनुरूप गढ़े, बोले, उस पर कुतर्क दे, यह स्वीकार्य नहीं होना चाहिए। प्रादेशिक अखंडता और संप्रभुता हमारी भी तो है जिसे कनाडाई खालिस्तानी अलगाववादी लगातार निशाना बना रहे हैं। भारत इधर बीच जब से मजबूती से निडर होकर अपने स्टैंड पर अडिग रहा है, उसे अच्छे परिणाम मिले हैं, अभी भी इसी बात की जरूरत है। राजनयिक विवाद के चलते भारत ने इस बात को भी उठा
Denne historien er fra October 2023-utgaven av DASTAKTIMES.
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