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'चंद्रयान' ने भारत के स्पेस मिशन को लगाए चार चांद
DASTAKTIMES
|September 2023
मोदी सरकार की नई स्पेस पॉलिसी के तहत पिछले एक दशक में 55 स्पेसक्राफ्ट और 50 लॉच व्हीकल मिशन चलाए गए। साथ ही भारत ने एक साथ 104 उपग्रह प्रक्षेपित करने का रिकॉर्ड बनाया। भारत प्रथम प्रयास में ही मंगल ग्रह पर पहुंचने वाला पहला देश बना और आज चंद्रयान-3 मिशन को भी सफलता मिली है। मोदी सरकार द्वारा 2020 में अंतरिक्ष क्षेत्र में किए गए सुधारों से प्राइवेट प्लेयर्स को मौका मिला है और इससे हमारे मिशन को गति मिलेगी। भारतीय कंपनियों के लिए अंतरिक्ष का प्रवेश द्वार खुलने से हमारे युवाओं के लिए रोजगार के ढेर सारे अवसर पैदा होंगे।
चंद्रयान-3 ने 23 अगस्त को चांद के साउथ पोल पर लैंडिंग कर इतिहास रच दिया। इसके साथ ही भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। इसरो ने चंद्रयान को श्रीहरिकोटा से 14 जुलाई को लॉन्च किया था और मिशन के 41वें दिन चांद के साउथ पोल पर लैंडिंग हुई और भारत का नाम अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक खास उपलब्धि से जुड़ गया। आज दुनियाभर के देश चाहते हैं कि चांद और मंगल ग्रह पर वो अपने सफल अभियानों की नई कहानियां लिखें ताकि अंतरिक्ष ताकत के रूप में उनका कद बढ़ता रहे। रूस, अमेरिका, चीन, जापान, जर्मनी जैसे देशों ने लगातार अपने स्पेस मिशन को मजबूती दी है। क्योंकि अंतरिक्ष क्षेत्र के सफल अभियान किसी देश की शक्ति, हैसियत का अंदाजा लगाने के लिए महत्वपूर्ण माने जाने लगे हैं। चंद्रयान को 23 अगस्त को मिली सफलता के ठीक पहले 20 अगस्त को रूस का लूना-25 चांद की सतह पर पहुंचने से पहले ही क्रैश हो गया था। इससे भी भारत के अभियान की महत्ता का पता चलता है। रूस की स्पेस एजेंसी रोस्कोस्मोस ने 11 अगस्त को जब लूना-25 को लॉन्च किया तो उसका सपना था कि वो 10 दिन में चांद पर पहुंच जाए मगर यह सपना नौवें दिन ही टूट गया। वहीं इसरो के वैज्ञानिकों ने कम संसाधनों में ही चांद पर सफल लैंडिंग का मुकाम पा लिया। चंद्रमिशन के तीन चरण थे - पहला- चांद की सतह पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग। दूसरा- रोवर प्रज्ञान को चांद की जमीन पर उतारना और तीसरा- डाटा जुटाना और भेजना।
चंद्रयान-3 चांद पर सफलतापूर्वक लैंडिंग करने वाला चौथा देश है। भारत से पहले अमेरिका, रूस और चीन ये उपलब्धि हासिल कर चुके हैं। हालांकि भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश इस मिशन के साथ बन चुका है। केन्द्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह का कहना है कि हम दक्षिणी ध्रुव पर इसलिए उतरना चाहते हैं कि क्योंकि हम उन चीजों को खोजना चाहते हैं जो अब तक नहीं खोजी गईं। हमें डार्क क्रेटर्स की जो तस्वीरें मिली हैं, उससे ये लगता है कि वहां पानी है। अगर चंद्रयान-3 को चांद पर पानी होने के और साक्ष्य मिले, तब वैज्ञानिक दृष्टि से नए रास्ते खुल सकते हैं।
Denne historien er fra September 2023-utgaven av DASTAKTIMES.
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