शक्ति आराधना के साढ़े तीन पीठ
Sadhana Path
|October 2024
महाराष्ट्र में कोल्हापुर, तुलजापुर, माहूर और नासिक इन स्थानों पर मां अंबे के साढ़े तीन पीठ हैं। ये सभी शक्ति पीठ जागृत धार्मिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध हैं। इनके महत्त्व और आख्यायिकाओं के बारे में जानें इस लेख से।
शक्ति आराधना में महाराष्ट्र का अपना विशेष महत्त्व है, क्योंकि यहां मां दुर्गा के साढ़े तीन पीठ हैं जो जागृत धार्मिक स्थलों के रूप में प्रसिद्ध हैं। इन देवी मंदिरों की भव्यता एवं मान्यता देखते ही बनती है -
प्रथम शक्तिपीठ-श्री महालक्ष्मी माता मंदिर (कोल्हापुर)
महाराष्ट्र के साढ़े तीन शक्तिपीठों में से पहले शक्तिपीठ के रूप में कोल्हापुर में स्थित श्री महालक्ष्मी देवी के मंदिर को स्थान दिया गया है। दो मंजिला इस मंदिर का निर्माण कोल्हापुर के आसपास पाए जाने वाले काले पत्थरों से किया गया है। मंदिर में स्थापित महालक्ष्मी देवी की मूर्ति की ऊंचाई 1.22 मीटर है और इस मूर्ति को 0.91 मीटर ऊंचे पत्थर के चबूतरे पर खड़ा किया गया है। मंदिर के आसपास रहने वालों का कहना है कि कार्तिक तथा माघ माह में महालक्ष्मी देवी के मंदिर में सूर्य की किरणें महाद्वार से मंदिर में प्रवेश करके मंदिर के गर्भगृह तक पहुंचती हैं और वहां से वे महालक्ष्मी देवी पर पड़ती हैं, सूर्य की किरणें पहले महालक्ष्मी देवी के चरणों में पहुंचती हैं। और बाद में वे वहां से धीरे-धीरे महालक्ष्मी देवी के चेहरे तक पहुंचती हैं।
इस मंदिर की स्थापना इस तरह की गई है। कि हर वर्ष केवल दो दिन ही सूर्य की किरणें महालक्ष्मी देवी के शरीर का स्पर्श करती हैं।
द्वितीय शक्तिपीठ-श्री रेणुका माता (माहुर)
Denne historien er fra October 2024-utgaven av Sadhana Path.
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ओशो शब्दों के सम्राट हैं
पहली बात तो ओशो एक विचारक हैं, महान विचारक। जो किसी धर्म से नहीं विचारों से जुड़ा रहा। विचारों से जुड़ने का मतलब है सत्य से जुड़ना। जो सत्य से जुड़ता है सब उसके दुश्मन हो जाते हैं, यही कारण था कि ओशो के इतने दुश्मन पैदा हुए। ओशो के साथ बस एक दिक्कत रही कि 99 प्रतिशत वह लोग उनके खिलाफ रहे जिन्होंने उन्हें न कभी सुना है, न ही कभी पढ़ा है।
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अद्भुत बौद्धिक क्षमता से युक्त व्यक्ति
मेरी दृष्टि में ओशो अपने समय के सबसे ज्यादा बौद्धिक क्षमता से युक्त व्यक्ति थे जिनमें ज्ञान और विज्ञान को अपने तर्कों के माध्यम से प्रस्तुत करने की अद्भुत क्षमता थी। आप उनसे सहमत हो या न हो वो अलग बात है। मेरी नजर में उन जैसा कोई दूसरा व्यक्ति नहीं है।
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काल की शिला पर अमिट हस्ताक्षर हैं ओशो
जब हम किसी भी व्यक्तित्व के बारे में सोचते हैं तो विचारों में सबसे पहले उसकी आकृति उभरती है। ऐसे ही ओशो के बारे में सोचते ही एक चित्र उभरता है, ओशो की घनी दाढ़ी, उन्नत भाल, समुद्र सी गहराई और बाज-सी तीक्ष्ण दृष्टि वाला उनका व्यक्तित्व एक ऐसा आभा मंडल रचता है, कि हम जैसे लोग जिन्होंने उन्हें सिर्फ फोटो में देखा है, उन्हें पढ़ने या सुनने के लिए विवश हो जाते हैं। ओशो की आवाज, वाणी, उनके शब्द, भाषा शैली, अभिव्यक्ति एवं वक्तव्य की बात करूं तो वह अद्वितीय है।
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नया साल अपने साथ खुशियां और सौहार्द लेकर आता है। ऐसे में पूरे वर्ष को और भी ज्यादा खास बनाने के लिए वास्तु संबंधित कुछ उपाय अपनाए जा सकते हैं। इससे घर की परेशानियां दूर होने के साथ आर्थिक तंगी से भी छुटकारा मिलेगा।
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इस सदी का चमत्कार हैं ओशो
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सर्दियों में बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाने के अचूक उपाय
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ओशो अस्तित्व की एक अभिव्यक्ति हैं
ओशो से मिलना एक ही शर्त पर होगा- आईना हो जाओ।
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