रामचरितमानस में त्रेतायुग की अलग-अलग कथाएँ बताई गई हैं। इन कथाओं को भगवान् शिव माता पार्वती जी को, काकभुशुण्ड जी गरुड़ जी को, याज्ञवल्क्य मुनि भरद्वाज और तुलसीदास जी हम सभी को कथा सुना रहे हैं। इन्हीं कथाओं में से एक कथा है नारद जी के अभिमान (अहंकार) की कथा, जिसके बारे में भगवान् शिव माता पार्वती जी को बताते हैं।
एक बार भगवान् शिव माता पार्वती से कहते हैं, "एक कल्प में जब नारद जी ने श्रीहरि को शाप दे दिया था, तब उस त्रेतायुग में भी भगवान् ने मनुष्य रूप में अवतार लिया था।" यह बात सुनकर पार्वतीजी आश्चर्यचकित हुईं और बोलीं कि 'नारदजी तो भगवान् विष्णु भक्त हैं, फिर उन्हें अहंकार कैसे, और अहंकार भी इतना कि श्रीहरि को ही शाप दे दिया? यह तो बड़े आश्चर्य की बात है। इसलिए हे प्रभु! यह कथा मुझसे कहिए न कि नारद मुनि ने भगवान् को किस कारण से शाप दिया?"
तब भगवान् शिव हँसते हुए कथा कहते हैं। हिमालय पर्वत में एक पवित्र गुफा के समीप गंगाजी बहती थीं। वह स्थान नारद के मन को बड़ा भाया। पर्वत, नदी और वन की सुन्दरता को देखकर नादरजी का भगवान् के चरणों में प्रेम और भी बढ़ गया और वहीं बैठकर श्रीहरि का स्मरण करते हुए समाधि लगाकर तप करने लगे। नारद जी की तपस्या को देखकर देवराज इन्द्र घबरा गए, क्योंकि स्वभाव के अनुसार उन्हें लगा कि कहीं नारद जी भी मेरा राज्य पाने के लिए ही तो तप नहीं कर रहे हैं।
तब इन्द्रदेव ने कामदेव और कई अप्सराओं को नारद जी की तपस्या भंग करने के लिए भेज दिया। कामदेव और अप्सराओं ने नारद मुनि के सामने हर प्रकार के मायाजाल बिछाए, लेकिन उनकी कोई भी कला नारद पर असर नहीं कर सकी। यह देखकर कामदेव अत्यन्त भयभीत हो गए। उन्हें अपने ही नाश का डर सताने लगा। तब उन्होंने और सभी अप्सराओं ने नारद जी के चरणों में प्रणाम कर क्षमा माँगी और वहाँ से लौट गए। यह देखकर नारदजी के मन में भी कोई क्रोध नहीं आया। यह सब देख सुनकर इन्द्रदेव ने भी नारद जी की प्रशंसा की।
この記事は Jyotish Sagar の May 2024 版に掲載されています。
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अजमेर की भगवान् नृसिंह प्रतिमाएँ
विधानानुसार नृसिंहावतार मानव एवं पशु रूप धारण किए, शीश पर मुकुट, बड़े नाखून, अपनी जानू पर स्नेह के साथ प्रह्लाद को बिठाए हुए है। बालक प्रह्लाद आँखें मूँदे, करबद्ध विनम्र भाव से स्तुति करते प्रतीत हो रहे हैं।
सूर्य नमस्कार से आरोग्य लाभ
सूर्य नमस्कार की विशेष बात यह है कि इसका प्रत्येक अगले आसन के लिए प्रेरित करता है। इस क्रम में लगातार 12 आसन होते हैं। इन आसनों में श्वास को पूरी तरह भीतर लेने और बाहर निकालने पर बल दिया जाता है।
जब नारद जी ने दिया श्रीहरि को शाप!
जिस रास्ते से नारद जी जा रहे थे, उसी रास्ते पर श्रीहरि ने सौ योजन का एक मायावी नगर रचा। उस नगर की रचना भगवान् विष्णु के नगर वैकुण्ठ से भी ज्यादा सुन्दर थी।
घर की सीढ़ियों की दशा और दिशा आदि का विचार
दक्षिण-पश्चिम अथवा नैर्ऋत्य कोण सीढ़ियों के लिए शुभ माना जाता है, वहीं उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में सीढ़ियाँ निर्मित नहीं करनी चाहिए।
भक्ति, वात्सल्य एवं शृंगार के परिचायक महाकवि सूरदास
पुष्टिमार्गीय भक्ति के दार्शनिक स्वरूप को सूरदास जी ने भली-भाँति समझा था तथा समझकर काव्य की भाव भूमि पर उसे प्रेषणीय बनाने के लिए वात्सल्य रस का अवलम्बन लिया।
क्रान्तिवीर विनायक दामोदर सावरकर!
सावरकर जेल से छूटकर जब वापस भारत आए, तो देश की आजादी का आन्दोलन जोर पकड़ रहा था। अब उन्होंने हिन्दू राष्ट्रवाद का समर्थन किया। जब देश के विभाजन का प्रस्ताव आया, तो सावरकर ने इसका विरोध किया पर तत्कालीन परिस्थितियों के कारण अन्ततोगत्वा देश का विभाजन हुआ।
पीपल को क्यों नहीं काटना चाहिए?
श्री मद्भगवद्गीता में भगवान् श्रीकृष्ण ने बताया है कि, पीपल उन्हीं का एक रूप है। इसी कारण पीपल की पूजा करने पर भगवान् श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं और हमारे दःखों को दूर करते हैं।
मृत्यु से परे की सत्यता!
उसने मेरे पैरों पर मकड़े से चलाए और मेरे दोनों पैर स्थिर कर दिए। जब मैंने क्षमा माँगी, तो वह मेरे सामने आ गया।
कैसा रहेगा भारत के लिए वृषभ का गुरु?
संसद एवं विधानसभाओं पर कार्यपालिका की प्रधानता तो रहेगी, परन्तु विपक्ष की बली स्थिति और उसकी सक्रियता के चलते सत्ता पक्ष पर अंकुश भी रहेगा, जिससे संसदीय लोकतन्त्र की शक्ति का अहसास भी होगा।
आम चुनाव, 2024 के सन्दर्भ में नरेन्द्र मोदी और राहुल के सितारे!
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए आम चुनाव, 2024 की दृष्टि से वर्तमान समय बहुत प्रतिकूल नहीं है। हालाँकि राहु की अन्तर्दशा में सूर्य की प्रत्यन्तर्दशा और बाद में आ रही चन्द्रमा की प्रत्यन्तर्दशा नैसर्गिक रूप से अच्छी नहीं मानी जाती।